सेवानिवृत्त और मृत शिक्षकों का भी रोका वेतन : विद्या समीक्षा केंद्र एप का मामला गरमाया
हाइलाइट्स
हल्द्वानी में मुख्य शिक्षा अधिकारी (सीईओ) ने 1500 शिक्षकों का वेतन किया रोक
सेवानिवृत्त, मृत, बंद विद्यालय और शिक्षकविहीन स्कूलों के नाम भी सूची में शामिल
351 विद्यालय प्रभावित, केवल 37 शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई बरकरार
शिक्षक संगठनों ने जताया रोष, मामले को बताया प्रशासनिक लापरवाही
विद्या समीक्षा केंद्र एप पर उपस्थिति दर्ज न करने को बताया गया वेतन रोकने का आधार
हल्द्वानी में सरकारी स्कूलों में लागू किए गए विद्या समीक्षा केंद्र एप को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। छात्रों और शिक्षकों की उपस्थिति की निगरानी के लिए लागू इस सिस्टम में तकनीकी और प्रशासनिक खामियों के चलते अब सेवानिवृत्त और मृत शिक्षकों के वेतन भी रोक लिए गए हैं। यह मामला अब शिक्षकों के संगठनों और प्रशासन के बीच सीधी टकराव का रूप लेता नज़र आ रहा है।
क्या है मामला?
अभी हाल में मुख्य शिक्षा अधिकारी (सीईओ), नैनीताल द्वारा जिले के 351 विद्यालयों के 1500 शिक्षकों का वेतन रोक दिया गया। वजह बताई गई कि विद्या समीक्षा केंद्र एप पर छात्र और शिक्षक की उपस्थिति ठीक से दर्ज नहीं हुई है।
लेकिन जब इस सूची की जाँच और सत्यापन हुआ, तो कई गंभीर त्रुटियाँ सामने आईं:
सेवानिवृत्त शिक्षकों के नाम सूची में
मृत शिक्षकों के नाम शामिल
शिक्षकविहीन विद्यालयों, बंद पड़े स्कूलों, तथा प्रबंधन व्यवस्था से संचालित विद्यालयों के नाम दर्ज
जिला स्तर पर शिक्षक संगठनों ने इसे एक प्रशासनिक चूक बताते हुए, सीईओ की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं।
किस-किस के नाम सूची में शामिल हुए?
कुछ प्रमुख उदाहरण:
मृत शिक्षक: नरेंद्र नारायण (लब्धप्रतिष्ठ शिक्षक, जिनका निधन हो चुका है)
सेवानिवृत्त शिक्षिका: रश्मि भड़वाल (2021 में सेवानिवृत्त)
बंद विद्यालय: राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय, सिल्टोना
शिक्षकविहीन संस्थान: राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय, चंद्रकोट
व्यवस्था से संचालित विद्यालय: राजकीय प्राथमिक विद्यालय, सांगुडीगांव
इन सभी नामों का वेतन वास्तव में अयोग्य या अप्रासंगिक होते हुए भी सूची में जोड़ा जाना प्रशासन की डेटा प्रोसेसिंग प्रणाली की खामी को दर्शाता है।
क्या है विद्या समीक्षा केंद्र एप?
यह एप उत्तराखंड सरकार द्वारा स्कूलों की उपस्थिति, गुणवत्ता और कार्यप्रदर्शन की निगरानी के लिए लागू किया गया एक डिजिटल टूल है, जिसे शिक्षक या प्रधानाचार्य को प्रतिदिन भरना होता है।
इसका उद्देश्य प्रतिदिन की उपस्थिति, स्कूल में संसाधनों की उपलब्धता, शिक्षण गतिविधियों, और पाठ्य योजनाओं की प्रगति को ट्रैक करना है।
परंतु गांव और दूरस्थ पहाड़ी स्कूलों में नेटवर्क समस्याएं, तकनीकी जानकारी की कमी, और मानव संसाधन का अभाव जैसे मुद्दे अब वेतन रुकवाने का कारण बन रहे हैं।
प्रशासन की सफाई और वर्तमान स्थिति
शिक्षकों के आरोपों के बाद की गई समीक्षा में पाया गया कि जिन 1500 शिक्षकों के नाम पर कार्रवाई की गई थी, उनमें से 37 को छोड़कर शेष सभी शिक्षकों को वेतन प्रक्रिया से मुक्त कर दिया गया है।
सीईओ का यह कहना है कि:
“उपस्थिति के रिकॉर्डिंग में लापरवाही पर स्वतः स्पष्टिकरण मांगा गया था और गलत नामों की पहचान के बाद सूची संपादित कर दी गई है।”
हालांकि, इस सफाई ने शिक्षकों के आक्रोश को कम नहीं किया है क्योंकि यह मामला अब एक प्रणालीगत असफलता का प्रतीक बन चुका है।
मुख्य समस्याएं और सुझाव
| समस्या | समाधान |
|---|---|
| तकनीकी खराबी | विद्या समीक्षा एप को राज्यों के ग्रामीण इलाकों के हिसाब से डिज़ाइन करना चाहिए |
| कर्मचारी प्रशिक्षण | शिक्षकों को एप पर कार्य करने की समुचित ट्रेनिंग दी जाए |
| नेटवर्क की समस्या | ऑफलाइन डेटा बचाने की सुविधा देकर बाद में सिंक करने का फीचर जोड़ा जाए |
| मृत/सेवानिवृत्त कर्मचारियों का वेतन रोकना | मानव संसाधन प्रबंधन प्रणाली को अद्यतन किया जाए (HRMS का इंटीग्रेशन) |
| जवाबदेही का अभाव | संबंधित विकास खंड शिक्षा अधिकारियों या क्लर्कों की जिम्मेदारी तय हो |
हल्द्वानी जिले में विद्या समीक्षा केंद्र एप को लेकर सामने आई यह घटना दर्शाती है कि तकनीकी नवाचारों को बिना पूर्ण कार्यान्वयन रणनीति के लागू करना उल्टा असर डाल सकता है। शिक्षकों का वेतन रोकना एक गंभीर मामला है, विशेषतः जब उसमें मृत और सेवानिवृत्त शिक्षक शामिल हों। प्रशासन को चाहिए कि वह पहले अपने डेटा सिस्टम, प्रशिक्षण, और प्रौद्योगिकी की व्यवहारिकता पर ध्यान दे — न कि शिक्षकों को दोषी ठहराकर मनमाने आदेश जारी करे।



