हल्द्वानी के मासूम का हत्यारोपी गिरफ्तार
हाइलाइट्स
10 वर्षीय मासूम की हत्या का सनसनीखेज खुलासा, आरोपी निखिल ने शव को टुकड़े-टुकड़े कर नदी में बहाने का बनाया था प्लान।
पुलिस की सतर्कता और सीसीटीवी फुटेज के कारण आरोपी बच नहीं पाया, महज 5-6 घंटे में संदेह के घेरे में आया।
मनोवैज्ञानिक डॉ. युवराज पंत की मदद से आरोपी की चुप्पी टूट पाई, दो दिन में नौ घंटे की पूछताछ।
शव तीन हिस्सों में काटा गया, अंगों को आरोपी ने घर के पीछे दबा दिया; 85 घंटे के बाद सिर और हाथ बरामद हुए।
हत्या के दौरान दाहिने हाथ की तर्जनी और मध्यमा उंगलियां भी काटी गईं, रक्षासूत्र बंधा देख मां बेसुध।
पोस्टमार्टम हाउस में मां का दर्द, रक्षासूत्र की ममता, बहनें राखी नहीं बाँध पाईं, परिवार बेसुध।
हत्या की वजह दुष्कर्म का विरोध, आरोपी बच्चे की हिम्मत से बौखला गया।
लॉकडाउन इलाके और सीमित समय में आरोपी ने शव को छुपाने, मिटाने के लिए कई प्रयास किए।
हल्द्वानी के गौलापार क्षेत्र में 4 अगस्त 2025 को एक 10 वर्षीय मासूम की दिल दहला देने वाली हत्या सामने आई। आरोपी ने बच्चे की हत्या कर शव को टुकड़ों में काटकर नदी या किसी गड्ढे में छुपाने की योजना बनाई थी, लेकिन पुलिस की सक्रियता और सीसीटीवी फुटेज की मदद से मामला महज छह घंटे में सुलझ गया। यह घटना अपराध की वीभत्सता और पुलिस के त्वरित जांच की मिसाल बन गई।
हत्या की साजिश और पुलिस की खोजबीन
दरिंदगी और आरोपी की चालाकी
आरोपी निखिल ने बच्चा गायब होते ही शव को तीन हिस्सों में काटा और शव के अंगों को अलग-अलग जगह दबाया।
उसकी योजना थी कि अंगों को टुकड़े-टुकड़े कर नदी में बहा दिया जाए या गड्ढे में पूरी तरह छुपा दिया जाए।
मगर पुलिस को गुमशुदगी की सूचना के कुछ घंटे बाद ही मामला संदिग्ध लगा और जांच के घेरे में ले लिया।
सीसीटीवी और पुलिस की फुर्ती
सीसीटीवी फुटेज में बच्चे के आरोपी के घर की गली में जाते हुए स्पष्ट तस्वीर मिली, जिससे संदेह गहरा गया।
घर-घर तलाशी और पूछताछ में पुलिस ने चार-पाँच दिन तक आसपास का 500 मीटर का इलाका छान मारा।
पहले 22 घंटों में धड़ बरामद कर लिया गया, मगर अंगों की खोज के लिए 85 घंटे मशक्कत करनी पड़ी।
मनोवैज्ञानिकों की भूमिका और आरोपी की कबूलियत
आरोपी लगातार पुलिस को गुमराह करता रहा; तंत्र-मंत्र, मानसिक बीमारी जैसी बातें कहकर साफ बचना चाहता था।
मनोवैज्ञानिक डॉ. युवराज पंत की दो दिन की भावनात्मक और सधी बातचीत ने आरोपी की जिद और डर को तोड़ा।
परिवार के दर्द, संपत्ति और सामाजिक दायरे की बातें छेड़ने पर आरोपी ने जुर्म कबूला और अंगों की जगह बताई।
पीड़ित परिवार का दर्द और रक्षासूत्र की ममता
मां की पीड़ा का मार्मिक दृश्य
पोस्टमार्टम हाउस में मां ने बेटे का कटा हाथ देखा तो उस पर बंधा रक्षासूत्र देखकर पूरी तरह बिखर गई।
बोलीं, “बेटे को विपत्ति से बचाने के लिए कलावा बांधा था, पर दरिंदे ने वही कलाई काट दी।”
मां की चिंता—जिगर का टुकड़ा 5 दिन पहले गायब हुआ, रक्षाबंधन के दिन मां-बेटे का मिलन मौत के साथ।
बहनें राखी न बाँध सकीं, परिवार की टूटन
रक्षाबंधन के दिन ही बेटे की कलाई मिली, मगर बहनें राखी नहीं बाँध पाईं।
उसे देखने के बाद हर कोई रोता-बिलखता रहा—उस हाथ पर ही हर साल बहनें राखी बाँधती थीं।
वीभत्सता: सिर, हाथ, तर्जनी-मध्यमा भी कटी
शव पहचान के समय मां ने देखा कि दाहिने हाथ की दो अंगुलियां—तर्जनी और मध्यमा भी गायब थीं।
वीभत्सता की हद—बच्चे का शरीर, सिर, हाथ तीन हिस्सों में, उंगलियां भी अलग कटी मिलीं।
पूछताछ का मनोवैज्ञानिक तरीका
मनोवैज्ञानिक ने आरोपी को समाज और परिवार के नुकसान का भावनात्मक तर्क देकर चुप्पी तुड़वाई।
अभियुक्त के कम सामाजिक दायरे और कमजोर मानसिक सहनशक्ति से सवालों का असर हुआ।
दो दिन, नौ घंटे की पूछताछ और भावनात्मक दबाव के बाद आरोपी ने जुर्म कबूला, अंगों की जगह बताई।
हत्या और आरोपी की गिरफ्तारी—पुलिस की प्रेस वार्ता
एसएसपी पीएन मीणा ने बताया कि बच्चा दुष्कर्म का विरोध कर रहा था, इसी पर आरोपी ने उसकी हत्या की।
आरोपी ने सिर, हाथ सहित शरीर के हिस्से घर के पीछे दबा दिए थे।
पुलिस ने बच्चे की गुमशुदगी, सीसीटीवी से घटनास्थल तक पहुंच बनाई; पांच-छह घंटे में गिरफ्तारी कर ली।
आरोपी पर हत्या, पॉक्सो एक्ट समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया गया।
सामाजिक और स्थानीय प्रभाव
घटना की वीभत्सता ने पूरे हल्द्वानी और उत्तराखंड को झकझोर दिया—मासूम की सुरक्षा, अपराध की दरिंदगी पर चिंता।
रक्षाबंधन के पर्व पर ऐसा दर्द—समाज, प्रशासन और परिवार के लिए असहनीय पीड़ा।
परिवार, समाज और प्रशासन ने आरोपी को फांसी की सजा देने की मांग की है।



