उत्तराखंड में बनेगा एकीकृत पंचायत भवन: VDO, पटवारी और आशा कार्यकर्ता एक ही स्थान पर
हाइलाइट्स
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एकीकृत पंचायत भवनों के निर्माण के निर्देश दिए
पंचायत स्तर पर ग्राम विकास अधिकारी (VDO), पटवारी व आशा कार्यकर्ता एक ही भवन में कार्य करेंगे
ई-गवर्नेंस को मिलेगा बढ़ावा, पंचायत योजनाओं की रियल टाइम मॉनिटरिंग होगी
जन शिकायतों के समाधान के लिए समयबद्ध व्यवस्था बनेगी
नव निर्वाचित प्रधानों और पंचायत सदस्यों को तकनीकी व प्रशासनिक प्रशिक्षण मिलेगा
ग्राम सभा स्थापना दिवस को उत्सव के रूप में मनाने के निर्देश
पंचायत चुनाव 2025 के परिणामों के बाद राज्य सरकार ने ग्रामीण विकास को नई दिशा देने हेतु बड़ा कदम उठाया है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश में एकीकृत पंचायत भवनों के निर्माण के लिए निर्देश जारी किए हैं। यह योजना न केवल ग्रामीण प्रशासन को सशक्त बनाएगी, बल्कि आम नागरिकों को एक ही छत के नीचे आवश्यक सेवाएं प्राप्त करने की सुविधा भी प्रदान करेगी।
एक भवन, अनेक सेवाएं – एकीकृत प्रणाली की नींव
एकीकृत पंचायत भवनों में पंचायत से जुड़ी तीन प्रमुख सेवाओं को एकजुट किया जाएगा:
📌 ग्राम विकास अधिकारी (VDO):
ग्राम विकास योजनाओं, रोजगार सृजन, प्रधानमंत्री आवास योजना, जल जीवन मिशन जैसे कार्यक्रमों के स्थानीय क्रियान्वयन के लिए जिम्मेदार
📌 पटवारी:
भूमि अभिलेख, खतौनी, भू-अर्जन व भूमि विवाद के मामलों के समाधान के लिए
📌 आशा कार्यकर्ता:
ग्रामीण प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं के संचालन, मातृ-शिशु कल्याण और निगरानी कार्यों की प्रमुख भूमिका
इन तीनों विभागों का एक ही स्थान पर बैठना, सरकार के समेकित ग्राम विकास मॉडल की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल होगी।
मुख्यमंत्री का स्पष्ट संदेश
मुख्यमंत्री धामी ने सचिवालय में हुई पंचायती राज विभाग की समीक्षा बैठक में स्पष्ट रूप से कहा:
“गांवों के समुचित विकास से ही प्रदेश और देश का सर्वांगीण विकास संभव है। एकीकृत पंचायत भवन गांवों की सशक्तिकरण की नींव बनेंगे।”
उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘विकसित भारत @2047’ के संकल्प को पूरा करने में ग्राम स्तर की प्रशासनिक दक्षता बेहद जरूरी है।
रियल टाइम मॉनिटरिंग व ई-गवर्नेंस को मिलेगा प्रोत्साहन
प्रत्येक पंचायत भवन को डिजिटल तकनीक से लैस किया जाएगा
योजनाओं की रियल टाइम मॉनिटरिंग होगी, जिससे भ्रष्टाचार व देरी पर नकेल कसी जा सके
सभी कार्यों व योजनाओं की ऑडिट रिपोर्ट सार्वजनिक पोर्टल पर डालने के निर्देश भी दिए गए हैं
जन शिकायतों की ऑनलाइन व समयबद्ध निवारण प्रणाली
सरकार अब पंचायत स्तर पर ही नागरिकों की शिकायतों के समाधान की व्यवस्था स्थापित करेगी। इसके लिए:
शिकायत दर्ज करने का डिजिटल माध्यम (पोर्टल/एप्लिकेशन) उपलब्ध कराया जाएगा
हर शिकायत के निपटारे के लिए एक निर्धारित समयसीमा तय की जाएगी
संबद्ध अधिकारी की जवाबदेही तय होगी
प्रधानों और पंचायत सदस्यों को प्रशिक्षण
मुख्यमंत्री ने नव निर्वाचित प्रधानों, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत सदस्यों को:
आधुनिक शासन प्रणाली
वित्तीय प्रशासन
योजना क्रियान्वयन और निगरानी
का अनिवार्य प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करने के निर्देश दिए हैं।
इससे पंचायत प्रतिनिधियों की संस्थागत दक्षता और पारदर्शिता धीरे-धीरे विकसित होगी।
ग्राम सभाओं का महोत्सवीकरण
प्रत्येक ग्राम सभा का स्थापना दिवस अब ‘गांव उत्सव’ के रूप में मनाया जाएगा
स्थानीय मेले, सांस्कृतिक आयोजन, प्रबुद्धजनों की जन्म तिथियाँ सहित एक वार्षिक “ग्रामीण कैलेंडर” बनाया जाएगा
इसका उद्देश्य गांवों को सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से जागरूक बनाना है
क्षेत्रीय संतुलन पर भी जोर
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक क्षेत्र और व्यक्ति तक योजनाओं का समतुल्य लाभ पहुँचना चाहिए
“कोई पंचायत या ग्रामीण क्षेत्र विकास से वंचित न रहे”, इस सिद्धांत पर कार्य किया जाएगा
नीतिगत उद्देश्य
सरकार की इस नीति का बड़ा उद्देश्य है:
पंचायती प्रशासन के विकेंद्रीकरण को व्यवहारिक मंच देना
ई-गवर्नेंस और पारदर्शिता को ग्रामीण बुनियादी ढाँचों से जोड़ना
सेवाओं की पहुँच को आसान और सुलभ बनाना
बीतें सालों की व्यवस्था की विसंगतियों को सुधारना
उत्तराखंड सरकार का यह निर्णय पंचायतों को एक आधुनिक, सक्षम और उत्तरदायी स्वरूप देने की दिशा में एक मजबूत कदम है। एकीकृत पंचायत भवन, ग्राम स्तर पर प्रशासनिक समन्वय को बल देगा, जिससे योजनाएँ समयबद्ध, पारदर्शी और जन केन्द्रित तरीके से लागू हो सकेंगी। यह ग्रामीण उत्तराखंड को आत्मनिर्भर और विकसित बनाने की दिशा में एक स्थायी बुनियाद सिद्ध हो सकता है।



