भारत डिजिटल भुगतान का वैश्विक अगुवा: यूपीआई ने वीजा को पीछे छोड़ा
हाइलाइट्स बॉक्स
यूपीआई से जून 2024 में रिकॉर्ड 18.4 अरब लेनदेन, ₹24.03 लाख करोड़ का कारोबार
पिछले साल जून की तुलना में 32% की जबरदस्त बढ़ोतरी
विश्वभर के कुल रियल टाइम डिजिटल लेनदेन में भारत का 50% हिस्सा
यूपीआई रोजाना 64 करोड़ लेनदेन, वीजा के 63.9 करोड़ को पीछे छोड़ा
49 करोड़ उपयोगकर्ता, 6.5 करोड़ व्यापारी, 675 बैंक एक प्लेटफॉर्म पर जुड़े
भारत के कुल डिजिटल भुगतान में 85% हिस्सा यूपीआई का
7 देशों में फैली यूपीआई सेवा, 2025 में 4-6 और देशों में विस्तार
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की नवीनतम रिपोर्ट ने पूरी दुनिया को एक बार फिर से एहसास दिलाया है कि भारत डिजिटल भुगतान क्रांति में वैश्विक अग्रणी बन चुका है। यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) की शानदार सफलता ने न केवल भारत की आर्थिक तस्वीर बदली है, बल्कि वैश्विक डिजिटल भुगतान परिदृश्य में भी एक नई मिसाल कायम की है। जून 2024 में यूपीआई ने 18.4 अरब लेनदेन के साथ ₹24.03 लाख करोड़ का कारोबार किया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 32% अधिक है।
यूपीआई बनाम वीजा: नया वैश्विक चैंपियन
यूपीआई की सफलता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसने दुनिया की सबसे बड़ी पेमेंट कंपनी वीजा को भी पीछे छोड़ दिया है। रोजाना लेनदेन की संख्या में यूपीआई अब 64 करोड़ से अधिक ट्रांजैक्शन प्रोसेस करता है, जबकि वीजा 63.9 करोड़ लेनदेन प्रतिदिन संपन्न करता है। सिर्फ 9 साल में यह उपलब्धि हासिल करना वाकई अविश्वसनीय है, क्योंकि वीजा एक पुरानी और स्थापित कंपनी है।
IMF की रिपोर्ट की मुख्य बातें
IMF की रिपोर्ट “Growing Retail Digital Payments: The Value of Interoperability” में स्पष्ट रूप से कहा गया है:
“भारत अब किसी भी अन्य देश की तुलना में तेज भुगतान करता है। साथ ही नकदी के उपयोग के संकेतक में गिरावट आई है।”
यूपीआई अब प्रति माह 18 अरब से अधिक लेनदेन प्रोसेस करता है और भारत में अन्य इलेक्ट्रॉनिक रिटेल भुगतान पर हावी है।
9 साल की यूपीआई यात्रा: शुरुआत से शिखर तक
यूपीआई की शुरुआत 11 अप्रैल 2016 को हुई थी, जब तत्कालीन RBI गवर्नर डॉ. रघुराम राजन ने इसे लॉन्च किया था। राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) द्वारा विकसित यह सिस्टम शुरू में 21 सदस्य बैंकों के साथ पायलट आधार पर शुरू हुआ था।
आरंभिक संघर्ष और वृद्धि
शुरुआती दौर में यूपीआई को अपनाने में समय लगा। अगस्त 2016 में केवल 93,000 लेनदेन हुए थे जिनकी कुल वैल्यू ₹3 करोड़ थी। लेकिन मार्च 2019 तक यह बढ़कर 80 करोड़ लेनदेन हो गए जिनकी वैल्यू ₹1.3 लाख करोड़ थी।
कोविड-19 का प्रभाव और तेज वृद्धि
कोविड-19 महामारी के दौरान यूपीआई को व्यापक स्वीकार्यता मिली। लोगों ने संपर्क रहित भुगतान को प्राथमिकता दी और यूपीआई इसका सबसे बेहतर विकल्प साबित हुआ। 2020 के बाद से यूपीआई में अप्रत्याशित वृद्धि देखी गई है।
वर्तमान आंकड़े: यूपीआई की व्यापकता
उपयोगकर्ता और व्यापारी आधार
उपयोगकर्ता: 49 करोड़ व्यक्तिगत उपयोगकर्ता
व्यापारी: 6.5 करोड़ व्यापारी
बैंक: 675 बैंक एक ही प्लेटफॉर्म पर जुड़े हुए
मासिक और दैनिक लेनदेन
जून 2025 के आंकड़े दर्शाते हैं:
मासिक लेनदेन: 18.4 अरब ट्रांजैक्शन
मासिक वैल्यू: ₹24.03 लाख करोड़
दैनिक औसत: 613 मिलियन लेनदेन प्रतिदिन
डिजिटल भुगतान में तेज वृद्धि
मार्च 2021 में डिजिटल भुगतान का हिस्सा 14-19% था
मार्च 2024 तक यह बढ़कर 40-48% हो गया
यह तीन साल में दोगुने से भी अधिक की वृद्धि दर्शाता है
नकदी के उपयोग में कमी
मार्च 2024 तक नकदी अभी भी उपभोक्ता खर्च का 60% हिस्सा है
लेकिन इसकी हिस्सेदारी तेजी से घट रही है
जनवरी-मार्च 2021 में 81-86% से घटकर जनवरी-मार्च 2024 में 52-60% हो गई
ग्रामीण और शहरी विभाजन:
ग्रामीण भारत में डिजिटल भुगतान अपनाने की दर धीमी है, लेकिन सुधार के संकेत दिख रहे हैं:
ग्रामीण और अर्ध-शहरी भारत में 38% लोग यूपीआई को सबसे पसंदीदा लेनदेन माध्यम मानते हैं
फिनटेक उपभोगताओं में से आधे से अधिक अर्ध-शहरी और ग्रामीण भारत से हैं
डिजिटल भुगतान उपयोगकर्ताओं में से एक तिहाई ग्रामीण क्षेत्रों से हैं
मुख्य चुनौतियां:
बुनियादी ढांचे की कमी: इंटरनेट कनेक्टिविटी और बैंकिंग सुविधाओं की कमी
डिजिटल साक्षरता: तकनीकी जानकारी का अभाव
भाषा की बाधा: अंग्रेजी भाषा की समझ में कमी
सरकारी पहल:
डिजिधन अभियान के तहत 25 लाख ग्रामीण नागरिकों को डिजिटल भुगतान के लिए नामांकित किया गया
2 लाख कॉमन सर्विस सेंटर्स (CSC) के माध्यम से पहुंच बढ़ाई गई
छोटे व्यापारियों पर यूपीआई का प्रभाव
यूपीआई ने छोटे व्यापारियों के लिए एक क्रांतिकारी बदलाव लाया है:
तत्काल भुगतान: सेकंडों में पेमेंट की प्राप्ति
कम लागत: पारंपरिक भुगतान विधियों की तुलना में कम शुल्क
24/7 उपलब्धता: किसी भी समय लेनदेन की सुविधा
बेहतर नकदी प्रवाह: तुरंत पैसा बैंक खाते में आना
NPCI और Women’s World Banking की रिपोर्ट के अनुसार:
16-20 मिलियन महिला सूक्ष्म व्यापारी अभी भी merchant aggregators से अछूते हैं
UPI merchant solution अपनाने से महिला व्यापारियों का डिजिटल लेनदेन 10% से बढ़कर 30% तक हो सकता है
यूपीआई का वैश्विक सफर
यूपीआई अब 7 देशों में सक्रिय है:
भूटान – पहला अंतर्राष्ट्रीय विस्तार
नेपाल – 2022 में पहला विदेशी देश
सिंगापुर – PayNow के साथ interoperability
श्रीलंका – QR code payments
मॉरीशस – द्विपक्षीय भुगतान सुविधा
संयुक्त अरब अमीरात (UAE) – Instant Pay के साथ integration
फ्रांस – यूरोप में पहला कदम, Eiffel Tower पर भी UPI payments
भविष्य की योजनाएं
NIPL के CEO रितेश शुक्ला के अनुसार:
2025 में 4-6 और देशों में यूपीआई का विस्तार
कतर, थाईलैंड और दक्षिण पूर्व एशिया प्राथमिकता क्षेत्र
RBI का लक्ष्य 2028-29 तक 20 देशों में यूपीआई का विस्तार
यूपीआई की सफलता के कारण
(Interoperability)
यूपीआई की सबसे बड़ी ताकत इसकी इंटरऑपरेबिलिटी है:
विभिन्न बैंकों और ऐप्स के बीच seamless लेनदेन
उपयोगकर्ता अपनी पसंद का ऐप चुन सकते हैं
प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलता है, जिससे सेवाओं में सुधार होता है
रियल टाइम सेटलमेंट
यूपीआई और कार्ड नेटवर्क के बीच मुख्य अंतर:
यूपीआई: रियल टाइम पेमेंट सेटलमेंट
वीजा/मास्टरकार्ड: deferred settlement model (दिन के अंत में या अगले दिन)
सुरक्षा और विश्वसनीयता
यूपीआई की technical decline rate में सुधार:
2016 में 8-10% decline rate
2024 में केवल 0.7-0.8% decline rate
सामाजिक और आर्थिक प्रभाव
वित्तीय समावेश (Financial Inclusion)
यूपीआई ने वित्तीय समावेश में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है:
असंगठित क्षेत्र के व्यापारियों को औपचारिक अर्थव्यवस्था से जोड़ा
ग्रामीण क्षेत्रों में banking services की पहुंच बढ़ाई
महिलाओं के वित्तीय सशक्तिकरण में योगदान
छोटे लेनदेन में वृद्धि
यूपीआई के average transaction value में कमी इसके widespread adoption को दर्शाता है:
2016-17 में औसत लेनदेन आकार: ₹3,872
2023-24 में औसत लेनदेन आकार: ₹1,525
यह छोटी खरीदारी के लिए यूपीआई के बढ़ते उपयोग को दर्शाता है
भविष्य के लक्ष्य
NPCI और सरकार का महत्वाकांक्षी लक्ष्य:
वर्तमान: प्रतिदिन 64 करोड़+ लेनदेन
लक्ष्य: प्रतिदिन 1 अरब लेनदेन
समयसीमा: वित्त वर्ष 2027 तक
PwC रिपोर्ट के अनुमान
PwC की रिपोर्ट के अनुसार:
अगले 5 साल में यूपीआई कुल retail digital payment volumes का 90% हो जाएगा
2029 तक सालाना 439 अरब लेनदेन का अनुमान
चुनौतियां और समाधान
ग्रामीण पहुंच: अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में digital literacy की कमी
नेटवर्क कनेक्टिविटी: दूरदराज के क्षेत्रों में internet connectivity की समस्या
सुरक्षा चिंताएं: फ्रॉड और साइबर सिक्योरिटी के मुद्दे
सरकारी रणनीति
डिजिटल इंडिया: व्यापक digitization campaign
भारतनेट: ग्राम पंचायतों तक high-speed internet
वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम: जागरूकता बढ़ाने के प्रयास
यूपीआई की सफलता केवल एक तकनीकी उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह भारत के डिजिटल परिवर्तन और आर्थिक समावेश की एक शानदार मिसाल है। 2016 में शुरू हुई यह यात्रा आज दुनियाभर के लिए प्रेरणा स्रोत बन गई है। IMF की मान्यता और वीजा जैसी वैश्विक कंपनी को पीछे छोड़ना इस बात का प्रमाण है कि भारत डिजिटल नवाचार में वैश्विक अग्रणी है।
यूपीआई न केवल भुगतान का एक माध्यम है, बल्कि यह छोटे व्यापारियों, ग्रामीण आबादी और महिला उद्यमियों के लिए आर्थिक सशक्तिकरण का साधन बन गया है। भविष्य में इसका और भी व्यापक विस्तार होना तय है, जो भारत को एक डिजिटल-पहली अर्थव्यवस्था बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।