1750813703468

चीन का मच्छर जितना जासूसी ड्रोन: युद्ध, निगरानी और राहत कार्यों में क्रांति की तैयारी

चीन का मच्छर जितना जासूसी ड्रोन: युद्ध, निगरानी और राहत कार्यों में क्रांति की तैयारी


वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में जब तकनीक का दायरा लगातार बढ़ रहा है, तब चीन ने एक ऐसा जासूसी ड्रोन विकसित किया है जो आकार में मच्छर जितना छोटा है लेकिन इसकी क्षमताएं अत्यंत प्रभावशाली हैं। यह ड्रोन न केवल सैन्य क्षेत्र में उपयोगी होगा बल्कि आपदा राहत और निगरानी कार्यों में भी नई दिशा देगा।


पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की वर्षगांठ पर हुआ खुलासा

इस अत्याधुनिक ड्रोन को चीन की सेना – पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) की वर्षगांठ के अवसर पर प्रदर्शित किया गया। इस परियोजना पर काम करने वाले वैज्ञानिक हुनान प्रांत की नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ डिफेंस टेक्नोलॉजी से जुड़े हैं। उनका दावा है कि यह ड्रोन किसी भी निगरानी प्रणाली को चकमा देकर बेहद सटीक जानकारी इकट्ठा कर सकता है।


क्या है इस ड्रोन की खासियत

यह ड्रोन इतना छोटा है कि इसे हथेली या मुट्ठी में छिपाया जा सकता है
इसके कुछ मुख्य तकनीकी गुण निम्न हैं:

  • कैमरा और माइक्रोफोन: स्पष्ट चित्र और ध्वनि रिकॉर्डिंग की सुविधा।
  • इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल कैप्चर करने की क्षमता
  • इतना हल्का और छोटा कि खिड़की की दरार से भी प्रवेश कर सकता है।
  • रडार पकड़ नहीं सकता: इसके आकार और डिज़ाइन की वजह से यह रडार सिस्टम से बच निकलता है।

वैज्ञानिक इसे “मिनिएचर बायोनिक रोबोट” कह रहे हैं, क्योंकि इसके पंख पत्तियों जैसे हैं और उड़ान भरते समय यह किसी जीव-जंतु जैसा प्रतीत होता है।


कहां हो सकता है उपयोग

यह ड्रोन न केवल सैन्य अभियानों में सहायक होगा बल्कि इसके अन्य प्रयोग भी बेहद उपयोगी साबित हो सकते हैं:

  1. युद्ध क्षेत्र में निगरानी: शत्रु सीमा में प्रवेश कर जानकारी जुटाने में सक्षम।
  2. आपदा राहत: मलबे में दबे लोगों की खोज, खासकर भूकंप या इमारत गिरने की घटनाओं में।
  3. वातावरण परीक्षण: दुर्गम इलाकों में हवा या जल की गुणवत्ता का परीक्षण कर सकता है।
  4. गुप्त ऑपरेशन: छोटे आकार के कारण यह अत्यंत गोपनीयता से कार्य कर सकता है।

क्या चीन है अकेला इस दिशा में?

इससे पहले नॉर्वे ने भी हथेली के आकार का “ब्लैक हॉर्नेट यूएवी” तैयार किया था, जिसका उपयोग अब ब्रिटेन, अमेरिका, जर्मनी, आयरलैंड, न्यूजीलैंड और यूक्रेन जैसे देश भी कर रहे हैं। यह दिखाता है कि विश्व भर में सूक्ष्म आकार के ड्रोन का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है।


चीन का यह प्रयास सिर्फ सैन्य शक्ति नहीं, बल्कि तकनीकी श्रेष्ठता का भी संकेत है। भारत जैसे देशों के लिए यह चेतावनी है कि सीमा सुरक्षा के पारंपरिक तरीकों के साथ-साथ तकनीकी निगरानी क्षमता को भी सुदृढ़ करने की आवश्यकता है।
उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों में भी, जहां भूस्खलन या बादल फटने की घटनाएं होती हैं, ऐसे ड्रोन राहत कार्यों में मददगार साबित हो सकते हैं।


चीन द्वारा विकसित यह मच्छर आकार का ड्रोन केवल एक तकनीकी नवाचार नहीं है, बल्कि यह वैश्विक सामरिक रणनीति में आने वाले समय में बदलाव का संकेत भी है। ऐसे उपकरण जहां एक ओर सुरक्षा एजेंसियों की चुनौती बढ़ाएंगे, वहीं आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में नयी संभावनाएं भी खोलेंगे। इस तकनीक का जिम्मेदारी से उपयोग और उसकी निगरानी, दोनों ही भविष्य की वैश्विक सुरक्षा के लिए अहम होंगे।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *