कौन है छांगुर बाबा?
🟩 हाइलाइट्स
- ‘प्रोजेक्ट’, ‘काजल’, ‘दर्शन’, ‘मिट्टी पलटना’ जैसे शब्दों का कोडवर्ड के रूप में इस्तेमाल
- धर्मांतरण के लिए जातियों के अनुसार फिक्स रेट
- लड़कियों को फंसाने के लिए वीजा, स्कॉलरशिप और जॉब का लालच
- 200 करोड़ की फंडिंग का खुलासा, 300 करोड़ की जांच जारी
- नेपाल बॉर्डर पर आलीशान कोठी से चलता था रैकेट
- बुलडोजर चला, संपत्ति कुर्क, ईडी और एटीएस की सख्त जांच
उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में जन्मे छांगुर बाबा उर्फ जमालुद्दीन को लेकर देशभर में आक्रोश और चर्चा का माहौल है। हाल ही में यूपी एटीएस द्वारा की गई गिरफ्तारी के बाद न केवल यह स्पष्ट हो गया कि छांगुर एक जबरन धर्मांतरण रैकेट चला रहा था, बल्कि यह भी उजागर हुआ कि वह कितने सुनियोजित और सुनियंत्रित तरीके से पूरे ऑपरेशन को अंजाम देता था।
जब छांगुर बाबा से पूछताछ हुई, तो उसने स्वीकार किया कि वह ‘प्रोजेक्ट’, ‘काजल लगाना’, ‘मिट्टी पलटना’, और ‘दर्शन’ जैसे कोडवर्ड का उपयोग करता था।
- ‘प्रोजेक्ट’ – लड़की या टारगेट
- ‘मिट्टी पलटना’ – धर्म परिवर्तन
- ‘काजल लगाना’ – ब्रेनवॉश
- ‘दर्शन’ – पीड़िता को बाबा से मिलाना
ये शब्द उसके गिरोह के बीच एक विशेष संकेत बन गए थे, जिनके जरिए बिना संदिग्ध हुए संवाद होता था। इससे साफ है कि रैकेट को बचाने के लिए उसने एक गूढ़ भाषा तैयार की थी।
बलरामपुर के उतरौला में जन्मे जमालुद्दीन ने बचपन रेहरा माफी गांव में गुजारा। कई साल तक उसने भीख मांगकर पेट भरा और फिर नग-आभूषण बेचने का काम शुरू किया। धीरे-धीरे वह आध्यात्मिकता की आड़ में एक बड़ा नेटवर्क खड़ा करने लगा।
वह पहले साइकिल पर घूमकर कथित रूप से “चमत्कारी अंगूठियां” बेचता था और यहीं से उसकी ठग प्रवृत्ति विकसित हुई।
किस तरह से चलता था धर्मांतरण रैकेट?
छांगुर बाबा का तरीका चौंकाने वाला था। जातियों के अनुसार अलग रेट तय किए गए थे। उसने बताया कि उच्च जाति की लड़की के धर्मांतरण के लिए ज्यादा रकम मिलती थी, जबकि दलित वर्ग के लिए अलग रेट था। यह ‘रेट कार्ड सिस्टम’ उसकी रणनीति का हिस्सा था।
वह नेपाली सीमा से सटे बलरामपुर जिले में स्थित अपनी आलीशान कोठी से यह काम करता था। वहाँ कलावा, हिंदू धार्मिक किताबें, मूर्तियां आदि रखी जाती थीं, ताकि माहौल धार्मिक लगे।
विदेशी फंडिंग: 200 करोड़ तक का नेटवर्क
पुलिस और खुफिया एजेंसियों की जांच में अब तक 200 करोड़ रुपये की विदेशी फंडिंग की पुष्टि हो चुकी है। अनुमान है कि 300 करोड़ रुपये से अधिक की फंडिंग अब भी ट्रैक की जा रही है।
सूत्रों के अनुसार छांगुर के कई बैंक अकाउंट जांच के घेरे में हैं। वह फंड का उपयोग न केवल कोठी के संचालन में करता था, बल्कि गरीब परिवारों को आर्थिक मदद के बहाने फंसाकर उनकी लड़कियों को धर्मांतरण के लिए मजबूर करता था।
ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, “फंडिंग का बड़ा हिस्सा पश्चिम एशिया के देशों से आया है। इसमें हवाला नेटवर्क की भी भूमिका की जांच की जा रही है।”
उसकी कोठी किसी किले से कम नहीं थी। ऊंची दीवारें, बिजली वाली कटीली तारें, सीसीटीवी और बाहर से मंगवाया गया इंटीरियर इस बात का प्रमाण हैं कि यह केवल ‘आश्रम’ नहीं बल्कि एक सुनियोजित ठिकाना था।
आरोप है कि यहीं पर धर्मांतरण, वीडियो शूटिंग, धमकी और मानसिक शोषण जैसी गतिविधियां होती थीं। कई लड़कियों को यहां जबरन रखा गया और उन्हें डराकर चुप कराया गया।
छांगुर बाबा के पास एक ठीकठाक प्रशिक्षित गिरोह था, जिसमें पुरुष और महिलाएं शामिल थीं। महिलाएं युवतियों को फुसलाकर बाबा तक पहुंचाती थीं, और बाबा उन्हें ‘दर्शन’ के बहाने मानसिक रूप से कमजोर बनाकर धर्मांतरण करवाता था।
बलरामपुर प्रशासन ने अवैध निर्माण पर कार्यवाही करते हुए उसकी कोठी को बुलडोजर से ध्वस्त किया। यह कार्रवाई न केवल अवैध कब्जे के विरुद्ध थी, बल्कि पूरे राज्य में एक संदेश देने के लिए भी की गई कि ‘धार्मिक आस्था की आड़ में अपराध बर्दाश्त नहीं होगा।’
12 जुलाई 2025 को एटीएस द्वारा पकड़े गए छांगुर बाबा को 16 जुलाई तक रिमांड पर रखा गया है। उससे घंटों पूछताछ हो रही है। ईडी भी मनी लॉन्ड्रिंग के तहत उसकी संपत्ति और लेनदेन की जांच कर रही है।
फिलहाल बाबा का पूरा रैकेट, सहयोगी और फंडिंग चक्र गहन जांच के दायरे में हैं।