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बिहार नगर निकाय चुनाव 2025: पहली बार ई-वोटिंग

बिहार नगर निकाय चुनाव 2025: लोकतंत्र में तकनीक के संगम से बदलती तस्वीर

ई-वोटिंग की ऐतिहासिक शुरुआत,

पटना, 28 जून 2025 – बिहार में आज एक महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक प्रक्रिया चल रही है। राज्य के छह नगर निकायों में आम चुनाव और 51 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं। ये चुनाव न केवल स्थानीय शासन को मज़बूती देने वाले हैं, बल्कि तकनीकी नवाचार की दृष्टि से भी ऐतिहासिक हैं क्योंकि इस बार मोबाइल आधारित ई-वोटिंग प्रणाली की शुरुआत की गई है। इससे लोकतंत्र को नया आयाम और नागरिकों को नई सहूलियत मिली है।


मतदान प्रक्रिया: लोकतंत्र का उत्सव

राज्य निर्वाचन आयोग की अधिसूचना के अनुसार, मतदान आज सुबह 7 बजे से शाम 5 बजे तक जारी रहेगा। वोटों की गिनती 30 जून को सुबह 8 बजे से शुरू होगी और उसी दिन परिणाम भी घोषित कर दिए जाएंगे। चुनाव प्रक्रिया 28 मई 2025 से शुरू हुई थी, जिसमें नामांकन, स्क्रूटनी और नाम वापसी की सभी प्रक्रियाएं तयशुदा समय पर पूरी की गईं।

13 जून को प्रत्याशियों की अंतिम सूची प्रकाशित हुई और उन्हें चुनाव चिह्न आवंटित किए गए। निर्वाचन आयोग ने मतदान केंद्रों पर सुरक्षा के विशेष इंतज़ाम किए हैं ताकि मतदाता निडर होकर मतदान कर सकें।


ई-वोटिंग: भविष्य की ओर एक कदम

बिहार देश का पहला राज्य बन गया है जिसने नगर निकाय चुनाव में मोबाइल आधारित ई-वोटिंग प्रणाली को अपनाया है। यह प्रणाली ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित है, जिससे डेटा की सुरक्षा और प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित होती है। इसमें दोहरी सुरक्षा व्यवस्था — फेस रिकग्निशन और लाइवनेस डिटेक्शन — लागू की गई है।

राज्य निर्वाचन आयुक्त दीपक प्रसाद के अनुसार, यह तकनीक उन नागरिकों के लिए अत्यंत सहायक है जो शारीरिक कारणों से मतदान केंद्र नहीं पहुंच सकते। इसके अलावा इसमें वीवीपैट सुविधा भी मौजूद है, जिससे मतदाता अपने वोट की पुष्टि कर सकते हैं।

“ई-वोटिंग एक जनोपयोगी क्रांति है जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सहभागिता बढ़ाएगी।”
– दीपक प्रसाद, राज्य निर्वाचन आयुक्त


प्रमुख नगर निकाय और उपचुनाव क्षेत्र

इस चुनाव में छह नगर निकायों में आम चुनाव हो रहे हैं:

  • कोचस (जिला रोहतास)
  • मेहसी और पकड़ीदयाल (जिला पूर्वी चंपारण)
  • खुशरूपुर, नौबतपुर, बिक्रम (जिला पटना)

बिक्रम नगर पंचायत का कार्यकाल अगस्त 2025 में समाप्त हो रहा है, इसलिए वहां भी चुनाव कराए जा रहे हैं।

51 सीटों पर हो रहे उपचुनाव में कई प्रमुख नगर परिषदें शामिल हैं:

  • बांका नगर परिषद
  • मैरीवा नगर पंचायत (सिवान)
  • खिजरसराय नगर पंचायत (गया)
  • बोधगया नगर परिषद
  • हिलसा नगर परिषद (वार्ड संख्या 9) – जहां 1152 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे

इन उपचुनावों में 3 मुख्य पार्षद, 3 उप मुख्य पार्षद, और 45 वार्ड पार्षद के रिक्त पदों के लिए मतदान हो रहा है।


स्थानीय मुद्दे और नागरिक अपेक्षाएं

नगर निकाय चुनाव सीधे-सीधे शहरी जीवन की बुनियादी समस्याओं से जुड़े होते हैं:

  • स्वच्छता
  • जलापूर्ति
  • सड़कों की हालत
  • ठोस अपशिष्ट प्रबंधन
  • स्ट्रीट लाइट और पार्कों की स्थिति

स्थानीय प्रतिनिधि इन मुद्दों पर तेज़ी से कार्रवाई कर सकते हैं और केंद्र एवं राज्य सरकार की योजनाओं को जमीन पर लागू कर सकते हैं।

उदाहरण के तौर पर, बोधगया में जलजमाव की पुरानी समस्या रही है जिसे निपटाने के लिए एक उत्तरदायी नगर पार्षद की ज़रूरत है। ऐसे ही कई क्षेत्रों में नागरिक सड़क चौड़ीकरण, नालियों की सफाई और स्मार्ट सिटी योजनाओं के तेज़ कार्यान्वयन की मांग कर रहे हैं।


लोकतांत्रिक सशक्तिकरण की दिशा में पहल

ई-वोटिंग प्रणाली के माध्यम से बिहार ने दिखाया है कि कैसे तकनीक को लोकतंत्र का माध्यम बनाया जा सकता है। इससे विशेष रूप से प्रवासी नागरिकों, वृद्धों, और दिव्यांगों को लाभ मिलेगा, जो पारंपरिक बूथ तक पहुंचने में असमर्थ होते हैं।

इसके अलावा, मतदान प्रतिशत बढ़ाने में भी यह एक प्रभावशाली उपकरण बन सकता है। भविष्य में यदि यह प्रणाली सफल होती है, तो इसे अन्य राज्यों में भी लागू किया जा सकता है।


निष्पक्षता और पारदर्शिता के लिए प्रयास

निर्वाचन आयोग ने सीसीटीवी निगरानी, फ्लाइंग स्क्वाड, और विकास अधिकारियों की नियुक्ति जैसे उपाय अपनाए हैं ताकि चुनाव पूरी तरह पारदर्शी और स्वतंत्र हो। इसके अलावा, मतदाताओं को चुनाव की जानकारी देने के लिए ऑनलाइन पोर्टल और हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए गए हैं।

अगर आप अपने क्षेत्र के मतदान केंद्र की जानकारी या किसी भी चुनाव संबंधी विषय पर सहायता चाहते हैं, तो बिहार राज्य निर्वाचन आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर जा सकते हैं।


निष्कर्ष: लोकतंत्र की नींव को मजबूत करता चुनाव

बिहार का यह नगर निकाय चुनाव सिर्फ एक संवैधानिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह जनभागीदारी और नागरिक जिम्मेदारी का उत्सव है। ई-वोटिंग की शुरुआत ने इस प्रक्रिया को और अधिक समावेशी और सुलभ बना दिया है। इन चुनावों से स्थानीय विकास को गति, नई नेतृत्व पीढ़ी का उदय, और नागरिक समस्याओं के समाधान की राह खुलेगी।

30 जून 2025 को जब परिणाम आएंगे, तब यह स्पष्ट होगा कि जनता ने किस पर भरोसा जताया है और भविष्य में उनके शहरों का स्वरूप कैसा होगा। आशा है कि चुने गए प्रतिनिधि पारदर्शिता, जवाबदेही और विकास को सर्वोपरि रखेंगे।

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