सेमीकंडक्टर में भारत ने मारी बाज़ी: ‘विक्रम-32’ स्वदेशी चिप लॉन्च
हाइलाइट्स
भारत ने अपनी पहली पूरी तरह स्वदेशी सेमीकंडक्टर चिप विक्रम-32 (Vikram-3201) लांच कर वैश्विक तकनीकी बाज़ार में उल्लेखनीय उपलब्धि दर्ज की है।
यह चिप ISRO की सेमीकंडक्टर लैब (SCL) द्वारा विशेष तौर पर रॉकेट और अंतरिक्ष मिशनों के लिए विकसित की गई है।
विक्रम-32 प्रोसेसर –55°C से +125°C तक के तापमान में काम करता है और रेडिएशन, कंपन जैसी कठिन परिस्थितियों को भी बर्दाश्त कर सकता है।
चिप प्रोडक्शन पंजाब के मोहाली और पैकेजिंग गुजरात के सानंद में, भारत में ही पूरी वैल्यू चेन।
32-बिट आर्किटेक्चर, फ्लोटिंग पॉइंट सपोर्ट, 152 इंस्ट्रक्शन, 32 रजिस्टर जैसी एडवांस तकनीकी खूबियां।
सुरक्षित एवियोनिक्स और लॉन्च व्हीकल कंट्रोल, मिशन मैनेजमेंट को मिलेगी नई ताकत।
भारत ने अब डिजाइन, फैब्रिकेशन और पैकेजिंग में आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं।
सेमीकंडक्टर सेक्टर में भारत ने नया इतिहास रचते हुए राष्ट्र का पहला पूरी तरह स्वदेशी 32-बिट सेमीकंडक्टर चिप विक्रम-3201 लांच किया है। यह चिप ISRO की सेमीकंडक्टर लैब (SCL), चंडीगढ़ में डिजाइन और बन कर तैयार हुई तथा इस साल सेमीकॉन इंडिया 2025 सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री को भेंट की गई । यह उपलब्धि भारत को चिप डिजाइन, निर्माण और पैकेजिंग की वैश्विक खुर्दबीन पर ला खड़ा करती है।
विक्रम-32 चिप की तकनीकी खासियतें
स्पेस-ग्रेड : यह प्रोसेसर सामान्य स्मार्टफोन या लैपटॉप के चिप से अलग, विशेष रूप से अंतरिक्ष मिशन/रॉकेट की कठोर परिस्थितियों के अनुरूप डिजाइन हुआ है।
32-बिट माइक्रोप्रोसेसर: जटिल गणनाओं और विशेष कार्यों हेतु सक्षम, तेज और भरोसेमंद।
फ्लोटिंग पॉइंट सपोर्ट: यह प्रोसेसर जटिल संख्यात्मक गणनाएँ (decimal calculations) भी बहुत आसानी से करता है।
152 इंस्ट्रक्शन, 32 रजिस्टर: अधिकतम डेटा प्रोसेसिंग और मेमोरी कंट्रोल ।
मेमोरी हैंडलिंग: 4096 मिलियन शब्द डेटा तक संभाल सकने की क्षमता।
तापमान सहिष्णुता: –55 डिग्री सेल्सियस से +125 डिग्री सेल्सियस तक काम करने की शक्ति।
रेडिएशन, कंपन में सक्षम: अंतरिक्ष और मिलिट्री-ग्रेड वातावरण के लिए तैयार।
ऑर्बिट परिवर्तन, दिशा नियंत्रण, स्पेस नेविगेशन और मिशन मैनेजमेंट के लिए।
चिप निर्माण एवं पैकेजिंग: पूरी तरह स्वदेशी प्रणाली
विक्रम-32 चिप का निर्माण पंजाब के मोहाली स्थित सेमीकंडक्टर हब में ISRO की सुविधा में हुआ है। इसका फैब्रिकेशन (Foundry) भारत में 180nm CMOS प्रोसेस पर तैयार किया गया है। पैकेजिंग और टेस्टिंग गुजरात के सानंद में CG-Semi की ओएसएटी (OSAT) पायलट फैसिलिटी में हुई ।
भारत अब न सिर्फ चिप डिजाइन, बल्कि निर्यात के लिए भी पूरी सेमीकंडक्टर वैल्यू-चेन का हिस्सा बनकर उभर रहा है।
First ‘Made in Bharat’ Chips! 🇮🇳 pic.twitter.com/QYFGA4HFLG
— Ashwini Vaishnaw (@AshwiniVaishnaw) September 2, 2025
विक्रम-32 का प्रयोग और भविष्य की दिशा
अंतरिक्ष मिशन: PSLV-C60 जैसे लॉन्च व्हीकल्स में सफल परीक्षण।
सिविल, डिफेंस, ऑटोमोबाइल और एनर्जी सेक्टर में प्रयोग की शुरुआत जल्द।
यह भारत को आयात निर्भरता से मुक्त करेगा, सप्लाई चेन बाधाओं को कम करेगा, और रणनीतिक क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में अहम भूमिका निभाएगा ।
स्थानीय एवं वैश्विक महत्व
भारत का यह कदम स्थानीय स्तर पर तकनीकी आत्मनिर्भरता का प्रतीक है, जिससे युवाओं को रोजगार एवं चिप डिजाइन के क्षेत्र में नई संभावनाएं मिलेंगी। वैश्विक स्तर पर यह उपलब्धि अमेरिका, चीन, दक्षिण कोरिया जैसे देशों की कतार में भारत को तकनीकी पावरहाउस बनाने की दिशा में अहम है।
सेमीकंडक्टर क्षेत्र में 1.60 लाख करोड़ रुपये से अधिक निवेश, 10 से अधिक परियोजनाएं और 23 स्टार्टअप्स को सरकार द्वारा डीएलआई (डिजाइन-लिंक्ड इंसेंटिव) के तहत समर्थन मिला है ।
विक्रम-32 चिप के निर्माण और लॉन्च के साथ भारत ने सेमीकंडक्टर तकनीक में ऐतिहासिक कामयाबी हासिल कर ली है। यह न सिर्फ अंतरिक्ष अभियान को ताकत देगा, बल्कि देश की तकनीकी क्षमता, रोजगार और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भी भारत को नई ऊँचाइयों पर पहुंचाएगा। आने वाले समय में भारत आत्मनिर्भर सेमीकंडक्टर निर्माण क्षेत्र में अग्रणी बनने की राह पर आगे बढ़ रहा है।


