कैंप के बच्चों ने जाना चिड़ियों का संसार, घूमा धनगढ़ी म्यूजियम


राजकीय इंटर कालेज ढेला में स्कूली बच्चों की 5 दिवसीय कार्यशाला का आज विधिवत समापन बर्ड वाचिंग,धनगढ़ी म्यूजियम भ्रमण और दीप रजवार के रिंगोडा स्थित वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी सेंटर के भ्रमण के साथ हुआ।

प्रातःकालीन सत्र में प्रतिभागी 70 बच्चों ने जाने माने पक्षीविद राजेश भट्ट के साथ जंगल वॉक करते हुए पक्षियों की दुनिया के बाबत जाना। राजेश भट्ट ने बच्चों को बताया कि कार्बेट क्षेत्र में पक्षियों की करीब 600 प्रजातियां पायी जाती हैं। इसमें 350 के आसपास स्थानीय हैं और 250 पक्षी प्रवासी पक्षी हैं।

विशेषज्ञों ने बच्चों को बताया कि पक्षी विशेष रूप से जाड़ों के मौसम में हजारों किलोमीटर की यात्रा कर यहां पहुंचते हैं। गर्मी की शुरुआत होते ही अपने गृह क्षेत्रों को चले जाते हैं। प्रवासी पक्षियों में साइबेरियन पक्षी, एशियन पैराडाइज, स्केरलेट मिनिवेट्ट, स्विफ्ट हैं। इसे लकी बर्ड स्थानीय भाषा में गोताई कहते हैं। यह स्थानीय परिवेश के इतने अनुकूल हो चुकी है कि यह अब स्थायी रूप से यहीं रहने लगी है। रमेश अधिकारी ने बताया कार्बेट की भौगोलिक सुधार के चलते समाप्त हो चुके गिद्ध फिर से दिखाई देने लगे हैं। वर्तमान में ढेला रेंज में ही डेढ़ सौ से अधिक गिद्ध पाये जाते हैं।पार्क के अलग अलग क्षेत्रों में 3 अन्य दुर्लभ पक्षी दिखे, जिसमे साइबेरिया रूबी थ्रोट, सिल्वर इयर मेसिया, चाइनीज रूबी थ्रोट पक्षी हैं, जो लेह लद्दाख में पाई जाती है.यहां

मुनिया,ग्रीन वार्बलर,ग्रीन बी ईटर,फ्लाई कैचर भी पाई जाती हैं।उसके पश्चात बच्चे धनगढ़ी म्यूजियम गए।जहां फोरेस्टर धर्मपाल नेगी ने बच्चों को कार्बेट पार्क के इतिहास की जानकारी देते हुए म्यूजियम का भ्रमण करवाया।इस मौके पर राशिद हुसैन,नवेंदु मठपाल, फॉरेस्टर नवीन पपने, डा कमलेश अटवाल,प्रमोद कुमार,तरुण,आशीष,अंतरिक्ष,सौम्या,प्रोनोवेश मौजूद रहे।

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