अब नहीं सुनाई देगी अमिताभ बच्चन की साइबर क्राइम कॉलर ट्यून – सरकार ने क्यों हटाया चेतावनी संदेश?
अगर आपने हाल ही में किसी को कॉल किया हो, तो रिंगटोन से पहले आपको अमिताभ बच्चन की आवाज़ में एक साइबर अपराध से जुड़ा चेतावनी संदेश सुनाई दिया होगा। यह संदेश पिछले कई महीनों से मोबाइल कॉल पर एक नियमित कॉलर ट्यून बन चुका था। लेकिन 26 जून 2025 से यह कॉलर ट्यून पूरी तरह हटा दी गई है। अब सवाल यह है कि सरकार ने ऐसा कदम क्यों उठाया?
किस उद्देश्य से शुरू की गई थी यह कॉलर ट्यून?
सरकार द्वारा यह कॉलर ट्यून साइबर सुरक्षा जागरूकता अभियान के तहत शुरू की गई थी।
भारत में डिजिटल लेन-देन, ऑनलाइन बैंकिंग और सोशल मीडिया उपयोग में तेज़ी से वृद्धि हुई है, जिसके साथ-साथ साइबर फ्रॉड के मामले भी तेजी से बढ़े हैं।
इस खतरे को देखते हुए भारत सरकार के संचार मंत्रालय और साइबर क्राइम सेल ने मिलकर एक खास ऑडियो मैसेज तैयार करवाया, जिसे देश के मशहूर अभिनेता अमिताभ बच्चन ने रिकॉर्ड किया। इसका उद्देश्य था लोगों को साइबर धोखाधड़ी से सचेत करना, जैसे:
- अजनबी लिंक पर क्लिक न करना
- ओटीपी किसी से साझा न करना
- बैंक संबंधित जानकारी साझा करने से बचना
क्यों हटाई गई यह कॉलर ट्यून?
सरकार का कहना है कि यह अभियान “निर्धारित समयसीमा” के लिए था, और अब इसे समाप्त कर दिया गया है। यानी जागरूकता का उद्देश्य पूरा होने के बाद सरकार ने इसे हटाने का निर्णय लिया।
सूचना मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा:
“यह एक समयबद्ध जागरूकता अभियान था। हमने इसे सफलतापूर्वक चलाया और अब इसकी आवश्यकता नहीं रही।”
सोशल मीडिया पर क्या रही प्रतिक्रिया?
हालांकि इस ट्यून का उद्देश्य जागरूकता था, लेकिन लोगों की प्रतिक्रिया मिली-जुली रही।
नाराजगी और आलोचना:
- आपात स्थिति में कॉल करते समय यह लंबा मैसेज समय की बर्बादी लगता था।
- कई यूजर्स ने अमिताभ बच्चन को ट्रोल किया, मानो वह इस मैसेज के जिम्मेदार हों।
एक ट्विटर यूज़र ने लिखा:
“इमरजेंसी में कॉल लगाया और 10 सेकंड तक साइबर क्राइम का मैसेज सुनता रहा। कौन जिम्मेदार है इसका?”
अमिताभ बच्चन ने स्पष्ट किया था कि:
“यह सरकार का संदेश था। हमने सिर्फ वह किया जो हमसे कहा गया।”
इस बयान के बाद भी कुछ लोगों को यह ट्यून “अनावश्यक हस्तक्षेप” लगी।
क्या इस ट्यून से जागरूकता बढ़ी?
साइबर क्राइम से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि इस कॉलर ट्यून से लोगों की सतर्कता में बढ़ोत्तरी हुई:
- कई लोगों ने पहली बार “फिशिंग” और “ओटीपी फ्रॉड” जैसे शब्द सुने
- गांव-देहात तक साइबर जागरूकता पहुंची
- बुजुर्ग और तकनीकी रूप से कमज़ोर वर्ग को सतर्कता के संकेत मिले
नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (cybercrime.gov.in) पर दर्ज शिकायतों की संख्या में भी शुरुआत में बढ़ोतरी देखी गई, जो बताती है कि लोग अब मामलों की रिपोर्ट करने लगे थे।
क्या भविष्य में कोई नया तरीका आएगा?
संभावना है कि सरकार अब डिजिटल प्लेटफॉर्म, सोशल मीडिया और सरकारी पोर्टल्स के माध्यम से साइबर सुरक्षा की जानकारी फैलाएगी। कॉलर ट्यून की जगह अब शॉर्ट वीडियो, वेबसाइट बैनर, SMS या व्हाट्सएप जैसे माध्यमों को प्राथमिकता दी जा सकती है।
उत्तराखंड जैसे दूरस्थ इलाकों में जहां पढ़े-लिखे लोगों की संख्या कम और तकनीकी जानकारी सीमित है, वहां भी यह कॉलर ट्यून कारगर साबित हुई।
अल्मोड़ा, टिहरी, पिथौरागढ़ जैसे जिलों में बुजुर्गों और महिलाओं को जब फोन कॉल के दौरान यह ट्यून सुनाई दी, तो उन्होंने बच्चों और पड़ोसियों से पूछा कि “साइबर ठगी क्या होती है?”
यही सवाल जागरूकता की पहली सीढ़ी साबित हुआ।
क्या कॉलर ट्यून हटाना सही कदम है?
इस बात को लेकर विशेषज्ञों की राय बंटी हुई है:
- कुछ मानते हैं कि यह ट्यून लोगों को बार-बार याद दिलाने का अच्छा तरीका था।
- वहीं कुछ का मानना है कि एक ही संदेश बार-बार सुनाना अब असर खो चुका था।
सरकार को अब नए और प्रभावी माध्यमों की तलाश करनी होगी, ताकि साइबर अपराध के खिलाफ देशवासी लगातार सतर्क बने रहें।



