अब ट्रैकिंग कर भी पहुंच सकेंगे बाबा नीब करौरी के कैंची धाम
नैनीताल से कैंची धाम तक 12 किलोमीटर का शांत, सुंदर और आध्यात्मिक ट्रैकिंग मार्ग खुला
📌 हाइलाइट्स
- पर्यटन विभाग ने नैनीताल से कैंची धाम तक 12 किमी ट्रैकिंग रूट किया शुरू
- चीड़ और देवदार के जंगलों से गुजरता है अंग्रेजों के जमाने का ऐतिहासिक मार्ग
- मार्ग पर लगे साइन बोर्ड, रेस्ट पॉइंट्स, और सुरक्षा इंतज़ाम
- भीड़ और ट्रैफिक से परेशान श्रद्धालुओं को अब मिलेगा शांत विकल्प
- यह केवल ट्रैक नहीं, एक आध्यात्मिक अनुभव और ध्यान यात्रा भी है
- देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु हर वर्ष आते हैं कैंची धाम
🚶♂️ 12 किलोमीटर की आध्यात्मिक ट्रैकिंग यात्रा
उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित कैंची धाम अब श्रद्धालुओं के लिए ट्रैकिंग के नए अनुभव के साथ खुल गया है।
- अब श्रद्धालु नैनीताल शहर से लगभग 12 किमी की ट्रैकिंग करके बाबा नीब करौरी महाराज के पावन धाम तक पहुंच सकेंगे।
- यह मार्ग न केवल प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है, बल्कि यह एक मन, शरीर और आत्मा की यात्रा भी है।
🛤️ कौन सा है यह ट्रैकिंग मार्ग?
पर्यटन विभाग द्वारा खोला गया यह मार्ग नैनीताल से दूनीखाल और नाचक गांव होते हुए कैंची धाम तक पहुंचता है।
- यह मार्ग अंग्रेजों के जमाने का पैदल मार्ग है, जिसे अब पुनः संरक्षित और स्वच्छ किया गया है।
- रास्ते में लगे ब्राउजर बैनर और साइन बोर्ड यात्रियों को दिशा और मार्गदर्शन देते हैं।
पर्यटन अधिकारी अतुल भंडारी के अनुसार:
“यह मार्ग उन सभी के लिए आदर्श है जो प्रकृति की गोद में ध्यान, साधना और ट्रैकिंग का आनंद लेना चाहते हैं।“
🌲 प्राकृतिक सौंदर्य का संगम: चीड़, देवदार और पक्षियों की चहचहाहट
ट्रैकिंग मार्ग घने चीड़ और देवदार के जंगलों से होकर गुजरता है।
- यहां की शीतल हवा, बहते जलस्रोत, और पक्षियों की मधुर आवाजें पूरे मार्ग को एक प्राकृतिक ध्यान केंद्र बना देती हैं।
- मार्ग पर श्रद्धालु मनोरम घाटियों, पहाड़ी ढलानों और प्राचीन पेड़ों के बीच चलकर बाबा के दरबार तक पहुंचते हैं।
⛩️ कैंची धाम: सिर्फ मंदिर नहीं, अनुभव है
बाबा नीब करौरी महाराज का कैंची धाम उत्तराखंड के सबसे प्रसिद्ध आध्यात्मिक स्थलों में से एक है।
- यहां हर साल लाखों की संख्या में देश-विदेश से श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं।
- बाबा धाम का स्टीव जॉब्स, मार्क जुकरबर्ग, और विराट कोहली जैसे कई अंतरराष्ट्रीय व्यक्तित्वों ने भी श्रद्धा पूर्वक दर्शन किया है।
🚗 पहले क्या थी समस्या?
कैंची धाम तक मुख्य सड़क मार्ग से पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को अक्सर भीषण ट्रैफिक जाम और भीड़भाड़ का सामना करना पड़ता था।
- खासकर जून माह में आयोजित वार्षिक भंडारे के दौरान, सड़क मार्ग लगभग ठप हो जाता है।
- पर्यटकों और स्थानीय लोगों दोनों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता था।
इन्हीं समस्याओं को देखते हुए पर्यटन विभाग ने इस प्राकृतिक ट्रैकिंग मार्ग को पुनः शुरू करने का निर्णय लिया।
🛑 सुरक्षा और सुविधाएं: हर उम्र के लिए सुरक्षित ट्रैक
पर्यटन विभाग ने यह सुनिश्चित किया है कि यह मार्ग हर आयु वर्ग के लोगों के लिए सुविधाजनक और सुरक्षित हो।
सुविधा | विवरण |
---|---|
साइन बोर्ड | हर मोड़ और चढ़ाई पर संकेतक लगे हैं |
रेस्ट पॉइंट्स | नियमित अंतराल पर विश्राम स्थल बनाए गए हैं |
सुरक्षा | गश्ती दल और प्राथमिक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध |
सफाई | पूरे मार्ग की सफाई और संरक्षण किया गया |
🧘♀️ यह सिर्फ यात्रा नहीं, ध्यान और जुड़ाव का अवसर है
यह ट्रैकिंग मार्ग सिर्फ एक फिजिकल यात्रा नहीं है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक साधना का अनुभव भी है।
- चलते समय यात्री प्रकृति से जुड़ते हैं, सांसों की गति महसूस करते हैं, और भीतर के शांति स्रोत को खोजते हैं।
- यह एक ऐसी यात्रा है जहां प्रकृति और भक्ति का अद्भुत समागम होता है।
📷 पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
इस नए ट्रैकिंग मार्ग से नैनीताल क्षेत्र में प्राकृतिक, साहसिक और धार्मिक पर्यटन को एक साथ बढ़ावा मिलेगा।
- स्थानीय गाइडों, दुकानों, होमस्टे और परिवहन सेवाओं को आर्थिक रूप से लाभ होगा।
- विभाग ने इसे सस्टेनेबल टूरिज्म की दिशा में एक मॉडल के रूप में विकसित करने की योजना बनाई है।
🗺️ यात्रा मार्ग का विवरण (ट्रैकिंग गाइड)
- प्रारंभ बिंदु: नैनीताल शहर (हिमालय दर्शन या गवर्नर हाउस के पास)
- दूरी: लगभग 12 किलोमीटर
- रूट: नैनीताल → दूनीखाल → नाचक गांव → कैंची धाम
- समय: लगभग 4-6 घंटे (व्यक्ति की गति और आराम पर निर्भर)
- दुर्बलता स्तर: मध्यम (सामान्य स्वास्थ्य वाले व्यक्ति के लिए उपयुक्त)
🌄 स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
स्थानीय लोगों ने भी इस मार्ग को खुलवाने के फैसले का स्वागत किया है।
- उनका मानना है कि इससे पर्यटन का दबाव शहर के मुख्य मार्गों से हटेगा और श्रद्धालु शांति से बाबा के दर्शन कर सकेंगे।
- युवा ट्रैकर्स, ध्यान-साधना करने वाले साधक, और प्रकृति प्रेमी यात्रियों को इससे नया विकल्प मिलेगा।
केवल एक यात्रा मार्ग नहीं
नैनीताल से कैंची धाम तक 12 किलोमीटर का ट्रैकिंग रूट केवल एक यात्रा मार्ग नहीं, बल्कि एक पर्यावरण, आध्यात्म और पर्यटन का अद्वितीय संगम है।
- यह न सिर्फ भीड़भाड़ से राहत दिलाता है, बल्कि एक ऐसा मार्ग प्रस्तुत करता है जहां भक्त प्रकृति के सान्निध्य में बाबा के चरणों तक पहुंचते हैं।
- यह पहल उत्तराखंड को स्मार्ट, सस्टेनेबल और मानव-केंद्रित पर्यटन की दिशा में आगे बढ़ाने वाला प्रयास है।
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