8वें वेतन आयोग की घोषणा में देरी से केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनधारियों में असमंजस
8वें पे कमीशन (Central Pay Commission- CPC) को लेकर जनवरी 2025 में सरकारी संकेत मिलने के बावजूद किसी भी आधिकारिक घोषणा या आदेश का अभाव है। इसकी वजह से देशभर में लगभग 50 लाख केंद्रीय कर्मचारी और 65 लाख से अधिक पेंशनधारी चिंतित हैं। कर्मचारी प्रतिनिधियों ने सरकार से Terms of Reference (TOR) सार्वजनिक करने, आयोग गठित करने और पेंशनधारियों को समान अधिकार देने की मांग तेज़ कर दी है।
क्या है वर्तमान स्थिति
जनवरी 2025 में कैबिनेट ने 8वें वेतन आयोग के गठन को मंज़ूरी दी थी और उसी समय कर्मचारियों से सुझाव भी मांगे गए थे। लेकिन अभी तक TOR जारी नहीं हुए, न ही आयोग बनाने की कोई आधिकारिक अधिसूचना। इससे कर्मचारियों और पेंशनधारियों में असमंजस और चिंता बढ़ी है ।
NC JCM के सचिव शिव गोपाल मिश्रा ने 18 जून 2025 को कैबिनेट सचिव को पत्र लिखकर कहा है कि TOR तुरंत सार्वजनिक किए जाएं ताकि अफवाहें बंद हों व कर्मचारियों में विश्वास बना रहे ।
पेंशनधारियों का असमंजस
हालिया वित्त विधेयक में इस बात का प्रावधान किया गया है कि पेंशनधारियों को 8वें वेतन आयोग का लाभ देना वैकल्पिक है। इस बात ने 65 लाख से अधिक पेंशनधारियों के बीच नाराजगी और असुरक्षा की भावना को जन्म दिया है ।
NC JCM और Bharat Pensioners Samaj (BPS) ने मांग की है कि पेंशनधारियों को भी समान लाभ दिया जाए – जैसा कि सेवा में लगे कर्मचारियों को मिलेगा ।
कर्मचारी एवं पेंशनधारियों की तीन प्रमुख मांगें
- TOR सार्वजनिक करें ताकि अफवाहें समाप्त हों और कर्मचारियों में विश्वास कायम रहे ।
- पेंशनधारियों को समान अधिकार – वेतन और पेंशन दोनों में संशोधन का लाभ पेंशनधारियों को भी मिले।
- आयोग गठन जल्द – ताकि रिपोर्ट समय पर तैयार हो और इसे 1 जनवरी 2026 से लागू किया जा सके।
देरी का संभावित प्रभाव
विश्लेषण बताते हैं कि आयोग के गठन में देरी से fitment factor, dearness allowance (DA) के गणना और कुल वेतन संरचना पर असर पड़ेगा ।
कुछ अनुमानों के अनुसार, अगर आयोग समय पर नहीं बना, तो यह लागू साल 2026 के बजाए 2028 तक भी खिंच सकता है । इसके अलावा, पेंशनधारकों को मिलने वाले संशोधित पेंशन में भी देरी हो सकती है।
संभावित Fitment Factor और लाभ
कुछ विशेषज्ञ अनुमान लगा रहे हैं कि fitment factor लगभग 2.28 होगा, जिससे न्यूनतम वेतन ₹18,000 से लगभग ₹41,000 तक पहुँच सकता है।
इससे कर्मचारियों और पेंशनधारियों को औसतन 34% से अधिक आर्थिक लाभ मिल सकता है।
उत्तर प्रदेश व कई अन्य राज्यों में रहने वाले केंद्रीय कर्मचारियों के परिवार भी इस देरी से प्रभावित हैं। Ghaziabad, Lucknow, Dehradun जैसे शहरों में केंद्रीय कार्यालयों से जुड़े कर्मचारी परिवार लगभग 10 साल पुराने तय वेतन के आधार पर बजट और खर्च योजना पर पुनर्विचार कर रहे हैं।
प्राकृतिक जीवन यापन की बढ़ती लागत व DA की संभावित वृद्धि ने मध्यम वर्गीय कर्मचारी परिवारों के खर्चों में असमंजस पैदा कर दिया है।
डीए और नॉटिव increment का आधार
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला दिया कि यदि कोई कर्मचारी की अपनी सेवानिवृत्ति के एक दिन पहले वेतन वृद्धि नहीं होती, तब भी उस वेतन वृद्धि को नॉटिव increment मान लिया जाएगा । यह निर्णय उन कर्मचारियों की पेंशन गणना सही ढंग से करेगी।
आगे की दिशा
सरकार, कर्मचारी यूनियनों के दबाव के बीच, जल्द ही TOR जारी कर सकती है और आयोग गठित कर सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि मार्च–अप्रैल 2025 तक आयोग का गठन हुआ, तो 2026 की शुरुआत तक रिपोर्ट तैयार हो सकती है।
सरकारी सूत्रों की मानें, तो वित्त मंत्रालय ने भी 1 जनवरी 2026 से संशोधन लागू करने की योजना बनाई है, बशर्ते आयोग समय पर बने ।
देरी की स्थिति में:
- कर्मचारियों और पेंशनधारियों में भरोसे की कमी हो रही है।
- आर्थिक योजनाओं और बजट में संशोधन की आवश्यकता पैदा हो रही है।
- सरकार को तीन मांगों पर जल्दी निर्णय लेना चाहिए: TOR जारी करना, आयोग गठित करना और पेंशनधारियों को समान लाभ देना।
यह स्थिति स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि Transparent प्रक्रिया और समयबद्ध निर्णय से ही सरकारी नीतियों में विश्वास कायम किया जा सकता है। दूसरी ओर, यदि देरी होती है, तो इसके सामाजिक और आर्थिक दुष्परिणाम गहरे होंगे।
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