748 सिम कार्ड के साथ बेरीनाग का मोबाइल विक्रेता गिरफ्तार: नेपाल भेजे जा रहे थे प्री-एक्टिवेटेड सिम, साइबर ठगी का संदेह
पिथौरागढ़ जनपद के बेरीनाग कस्बे में साइबर क्राइम और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा चौंकाने वाला मामला सामने आया है। एसटीएफ और साइबर थाना कुमाऊं की संयुक्त कार्रवाई में एक मोबाइल दुकानदार को 748 प्री-एक्टिवेटेड सिम कार्ड, 12 आधार कार्ड और 5 मोबाइल फोन के साथ गिरफ्तार किया गया है। प्रारंभिक जांच में खुलासा हुआ है कि ये सिम कार्ड नेपाल तक भेजे जा रहे थे और इनके जरिए साइबर ठगी तथा देशविरोधी गतिविधियों को अंजाम दिया जा सकता था।
एसटीएफ और साइबर थाना की संयुक्त कार्रवाई
स्पेशल टास्क फोर्स (STF) उत्तराखंड और कुमाऊं साइबर थाना ने एक गुप्त सूचना के आधार पर यह कार्रवाई की। आरोपी की पहचान कालेटी गुर्बुरानी, बेरीनाग निवासी रघुवीर सिंह कार्की के रूप में हुई है, जो स्थानीय बाजार में आरके इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मोबाइल सेंटर नामक दुकान चलाता है।
एसएसपी एसटीएफ नवनीत भुल्लर ने बताया कि भारत सरकार के दूरसंचार मंत्रालय की ओर से दो वरिष्ठ अधिकारियों – सुनील भादू (निदेशक, उत्तर प्रदेश पश्चिम) और लव गुप्ता (निदेशक, उत्तराखंड) – द्वारा जानकारी दी गई थी कि भारत-नेपाल सीमा के आसपास बड़ी संख्या में सिम कार्ड एक ही स्थान से सक्रिय किए गए हैं।
नेपाल में भी सक्रिय थे भारतीय सिम
दूरसंचार विभाग ने आशंका जताई थी कि ये सिम कार्ड नेपाल में भी उपयोग हो रहे हैं और इनका इस्तेमाल साइबर ठगी के साथ-साथ देश विरोधी गतिविधियों में भी किया जा सकता है। सूचना के आधार पर एसटीएफ और साइबर थाना कुमाऊं की टीम ने तकनीकी और भौतिक जांच शुरू की।
जांच में पता चला कि बेरीनाग नया बाजार स्थित आरके इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मोबाइल सेंटर की भूमिका संदिग्ध है। पिछले वर्ष भी उक्त दुकान के खिलाफ फर्जी सिम एक्टिवेशन को लेकर मामला दर्ज किया गया था।
फर्जी तरीके से होता था सिम एक्टिवेशन
पकड़े गए आरोपी रघुवीर सिंह कार्की ने पूछताछ में स्वीकार किया कि वह ग्राहकों से आधार कार्ड की कॉपी लेता था और उनके नाम पर सिम एक्टिवेट करता था। इसके बाद वह इन्हें अन्य मोबाइल नेटवर्क में पोर्ट करा देता था, जिससे सिम ट्रेस करना मुश्किल हो जाता था।
आरोपी ग्राहकों को दोबारा दुकान पर बुलाकर कहता था कि उनकी आईडी गलत वेरिफाई हो गई है और दोबारा बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन की जरूरत है। ग्राहकों को इस प्रक्रिया की असलियत का पता नहीं चलता था, और उनके नाम पर नया सिम जारी कर दिया जाता था।
नेपाल में बेचे गए सिम की जांच जारी
आरोपी ने यह भी कबूल किया है कि वह बड़ी संख्या में सिम कार्ड नेपाल के लोगों को बेच चुका है। इस सूचना के बाद दूरसंचार विभाग ने नेपाल में एक्टिव इन सिम कार्ड्स की जांच शुरू कर दी है। प्राथमिक जांच से यह स्पष्ट है कि आरोपी लंबे समय से इस गैरकानूनी काम में लिप्त था और साइबर अपराधियों का नेटवर्क उससे जुड़ा हो सकता है।
कानूनी कार्यवाही और धाराएं
रघुवीर सिंह कार्की के खिलाफ बेरीनाग थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), आईटी एक्ट, और टेलीकम्यूनिकेशन अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। एसटीएफ द्वारा जब्त किए गए साक्ष्य – जिनमें 748 प्री-एक्टिवेटेड सिम, 12 आधार कार्ड और 5 मोबाइल फोन शामिल हैं – को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है।
यह मामला उत्तराखंड जैसे शांत राज्य में साइबर सुरक्षा की गंभीरता को उजागर करता है। सीमावर्ती क्षेत्रों में इस प्रकार के सिम धोखाधड़ी से न केवल नागरिकों की निजता प्रभावित होती है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा को भी खतरा होता है। यदि समय रहते कार्रवाई न होती, तो इन सिम कार्ड्स का दुरुपयोग सीमा पार से होने वाली ठगी, आतंकवादी संवाद या अन्य संवेदनशील गतिविधियों में हो सकता था।
सरकारी एजेंसियों की तत्परता
इस मामले में भारत सरकार के दूरसंचार विभाग, एसटीएफ और साइबर थाना की भूमिका सराहनीय रही। उनकी सतर्कता और संयुक्त प्रयासों से एक बड़ा साइबर नेटवर्क उजागर हुआ है। अब इस पूरे मामले की गहन जांच की जा रही है और इसके पीछे छिपे अन्य लोगों की तलाश की जा रही है।
बेरीनाग में पकड़े गए मोबाइल दुकानदार द्वारा फर्जी सिम कार्ड की यह पूरी कहानी उत्तराखंड में साइबर अपराध के नए खतरे को सामने लाती है। सीमावर्ती क्षेत्रों में दूरसंचार और ग्राहक पहचान प्रक्रिया को और अधिक सख्त बनाए जाने की आवश्यकता है। आम नागरिकों को भी सजग रहने की जरूरत है कि उनके आधार कार्ड का कहीं दुरुपयोग तो नहीं हो रहा।
यह मामला एक चेतावनी है – न सिर्फ नागरिकों के लिए, बल्कि प्रशासनिक एजेंसियों के लिए भी – कि साइबर अपराध अब सिर्फ कंप्यूटर तक सीमित नहीं रहा, बल्कि मोबाइल और दूरसंचार नेटवर्क इसका मुख्य माध्यम बनते जा रहे हैं।
👉 अधिक जानकारी के लिए डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन, भारत सरकार की आधिकारिक वेबसाइट देखें।



