2026 से टू-व्हीलर होंगे महंगे: नए ABS नियम से हीरो, TVS जैसी कंपनियों की बिक्री पर असर संभव
भारत में दोपहिया वाहनों की दुनिया एक बड़े बदलाव की ओर बढ़ रही है। सड़क सुरक्षा को मजबूत करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित एक नए नियम के चलते 2026 से 125cc से कम क्षमता वाले सभी टू-व्हीलर में भी एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम (ABS) को अनिवार्य किया जा सकता है। यह बदलाव जहां उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण है, वहीं वाहन कंपनियों, खासकर हीरो मोटोकॉर्प, TVS और बजाज ऑटो जैसी कंपनियों की बिक्री और लागत पर इसका सीधा असर पड़ सकता है। आइए जानते हैं इस प्रस्तावित बदलाव के असर, संभावनाओं और उद्योग जगत की चिंताओं के बारे में विस्तार से।
क्या है ABS और क्यों हो रहा है जरूरी?
ABS (Anti-lock Braking System) एक इलेक्ट्रॉनिक ब्रेकिंग तकनीक है जो तेज ब्रेक लगाने की स्थिति में वाहन के पहियों को लॉक होने से रोकती है। इससे गाड़ी फिसलती नहीं और चालक का नियंत्रण बना रहता है। दोपहिया वाहनों में यह प्रणाली विशेष रूप से आवश्यक मानी जाती है, क्योंकि इन वाहनों की अस्थिरता सड़क हादसों का प्रमुख कारण है।
वर्तमान में 125cc से ऊपर की बाइकों में ABS पहले से अनिवार्य है, जबकि 125cc से नीचे के मॉडलों में CBS (Combi-Braking System) अनिवार्य किया गया है। लेकिन आगामी सुरक्षा दिशा-निर्देशों के अनुसार, 2026 से 125cc या उससे कम के वाहनों में भी ABS जरूरी हो सकता है, जिससे छोटे मॉडल की कीमतों में बढ़ोतरी तय मानी जा रही है।
ग्राहकों की जेब पर सीधा असर
125cc से कम के टू-वीलर भारत में सबसे ज्यादा बिकने वाले सेगमेंट में आते हैं। इनमें अधिकतर ग्राहक ग्रामीण या कम आय वर्ग से होते हैं। ABS जैसी तकनीक जोड़ने से इन वाहनों की कीमत ₹6,000 से ₹8,000 तक बढ़ सकती है, जिससे affordability प्रभावित होगी। इससे ग्राहक या तो खरीद को टाल सकते हैं या फिर दूसरे विकल्पों की ओर रुख कर सकते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव लाभ की तुलना में लागत अधिक बढ़ा सकता है, खासकर उन ग्राहकों के लिए जो अभी भी बेसिक कम्यूटर बाइकों को प्राथमिकता देते हैं।
कंपनियों पर संभावित प्रभाव
हीरो मोटोकॉर्प, TVS मोटर्स, और बजाज ऑटो जैसी कंपनियों की बिक्री का बड़ा हिस्सा 125cc से कम क्षमता के टू-वीलर से आता है। इस नियम के लागू होने से:
- इन कंपनियों को अपने वाहनों में तकनीकी बदलाव करने होंगे, जिससे R&D और उत्पादन लागत में वृद्धि होगी।
- ऑपरेटिंग मार्जिन घट सकता है यदि बढ़ी हुई लागत को पूरी तरह से ग्राहकों पर ट्रांसफर नहीं किया गया।
- बिक्री की मात्रा घटने की स्थिति में बाजार हिस्सेदारी पर असर संभव है।
विश्लेषकों का मानना है कि Hero और TVS को इस बदलाव से सबसे ज्यादा प्रभावित होने की संभावना है क्योंकि इनकी बिक्री का 70% से अधिक हिस्सा 125cc से नीचे के मॉडलों से आता है।
बाजार विश्लेषकों की राय
कई ऑटोमोबाइल विश्लेषकों और ब्रोकरेज संस्थानों ने इस संभावित बदलाव को “दोहरे प्रभाव वाला कदम” बताया है। एक ओर यह सड़क सुरक्षा के लिहाज से सराहनीय है, लेकिन दूसरी ओर यह ग्राहकों की मांग को कम कर सकता है, जिससे उद्योग की गति प्रभावित होगी।
ICICI Securities की एक रिपोर्ट के अनुसार, यदि यह नियम लागू होता है, तो Hero Motocorp और TVS की वॉल्यूम ग्रोथ पर 5-8% तक नकारात्मक असर पड़ सकता है।
सरकार की मंशा – सुरक्षा सर्वोपरि
हाल के वर्षों में भारत में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। 2023 की NCRB रिपोर्ट के अनुसार, दोपहिया वाहन दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या कुल सड़क दुर्घटनाओं में 45% से अधिक थी। सरकार का उद्देश्य है कि तकनीक के माध्यम से सड़क सुरक्षा को बेहतर बनाया जाए, और ABS अनिवार्यता इसी दिशा में एक कदम है।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित यह नियम अभी सार्वजनिक राय के लिए खुला है। मंत्रालय ने इस पर ऑटोमोबाइल कंपनियों और आम नागरिकों से सुझाव मांगे हैं।
ग्रामीण भारत पर प्रभाव
ग्रामीण और पहाड़ी क्षेत्रों में, जहां सड़कें अक्सर खराब होती हैं और सुरक्षा उपकरणों की कमी होती है, वहाँ ABS अनिवार्यता से दुर्घटनाएं घट सकती हैं। लेकिन इन इलाकों में आमतौर पर लोग कम कीमत वाले वाहन ही खरीदते हैं। यदि वाहन महंगे हुए, तो यह ग्रामीण ग्राहकों की पहुंच से बाहर हो सकता है।
उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों में, जहां छोटे इंजन वाली बाइकों का उपयोग रोज़मर्रा की आवाजाही के लिए किया जाता है, वहां यह नीति लाभ और हानि दोनों लेकर आएगी – सुरक्षा तो बढ़ेगी, लेकिन खर्च भी।
इलेक्ट्रिक दोपहिया क्षेत्र पर असर
यह नियम फिलहाल ICE (Internal Combustion Engine) दोपहिया वाहनों पर लागू होगा। लेकिन आने वाले समय में अगर यह नियम इलेक्ट्रिक स्कूटर्स या बाइकों पर भी लागू हुआ, तो इसमें सक्रिय कंपनियों जैसे Ola Electric, Ather, और Bajaj Chetak पर भी असर पड़ सकता है।
अभी भी अधिकांश इलेक्ट्रिक स्कूटर्स में ABS की सुविधा नहीं दी जाती, क्योंकि वे कम गति पर चलते हैं। लेकिन यदि नियम सब पर लागू होता है तो इन कंपनियों को भी अपने उत्पादों को अपडेट करना होगा।
संभावित विकल्प और सुझाव
विशेषज्ञों ने यह भी सुझाव दिया है कि सरकार को एक चरणबद्ध योजना बनानी चाहिए जिसमें:
- 100cc से ऊपर के मॉडलों में पहले ABS अनिवार्य किया जाए,
- 100cc से नीचे के वाहनों के लिए कम कीमत वाले तकनीकी विकल्प (जैसे low-cost ABS या hybrid CBS+ABS) तैयार किए जाएं,
- साथ ही सरकार द्वारा सब्सिडी या टैक्स में राहत देने पर विचार किया जाए जिससे कंपनियों और ग्राहकों दोनों पर बोझ कम हो।
एक जरूरी लेकिन संतुलित कदम
यह स्पष्ट है कि ABS अनिवार्यता का उद्देश्य सड़क सुरक्षा को मजबूत करना है, जो एक सकारात्मक सोच को दर्शाता है। लेकिन इस नियम को लागू करने का तरीका और समय निर्धारण ऐसा होना चाहिए जिससे आम जनता, खासकर ग्रामीण और निम्न आय वर्ग, पर आर्थिक दबाव न पड़े। उद्योग के लिए यह समय तकनीकी नवाचार और लागत नियंत्रण की चुनौती का है।
यदि सरकार और ऑटो उद्योग मिलकर एक संतुलित समाधान निकालें, तो यह नियम न केवल जानें बचा सकता है, बल्कि भारत को एक सुरक्षित और स्मार्ट मोबिलिटी की दिशा में भी आगे बढ़ा सकता है।