उत्तराखंड में ग्राम पंचायतों के प्रशासकों का कार्यकाल समाप्त होने से संवैधानिक संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है। प्रशासकों के कार्यकाल विस्तार के लिए अभी तक कोई अध्यादेश जारी नहीं हुआ है। वहीं, शुक्रवार, 30 मई को क्षेत्र पंचायतों के प्रशासकों का कार्यकाल भी समाप्त हो रहा है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि सरकार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने बताया कि राज्य निर्वाचन आयोग पंचायत चुनाव का कार्यक्रम तय करेगा, जिसके अनुसार चुनाव संपन्न होंगे।
पिछले साल नवंबर और दिसंबर में राज्य के 12 जिलों (हरिद्वार को छोड़कर) में त्रिस्तरीय पंचायतों का कार्यकाल समाप्त हो गया था। चुनाव न हो पाने के कारण सरकार ने ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों और जिला पंचायतों को प्रशासकों के हवाले कर दिया था। पंचायती राज अधिनियम के अनुसार, प्रशासकों की नियुक्ति केवल छह माह के लिए हो सकती है। इस अवधि के समाप्त होने से 7478 ग्राम पंचायतें बुधवार को प्रशासक विहीन हो गईं।
ग्राम पंचायतें एक दिन भी बिना प्रशासक के नहीं रह सकतीं, जिससे संवैधानिक संकट पैदा हो गया है। इसके अलावा, क्षेत्र पंचायतों के प्रशासकों का कार्यकाल 30 मई और जिला पंचायतों के प्रशासकों का कार्यकाल 2 जून को समाप्त हो रहा है।
इस स्थिति से निपटने के लिए सरकार ने पंचायती राज अधिनियम में संशोधन कर प्रशासकों का कार्यकाल एक वर्ष तक बढ़ाने का निर्णय लिया है। इसके लिए तैयार अध्यादेश बुधवार को राजभवन भेजा गया, लेकिन समाचार लिखे जाने तक राजभवन से इसकी स्वीकृति नहीं मिली थी।
राज्यपाल के सचिव रविनाथ रामन ने बताया कि ग्राम पंचायतों से संबंधित अध्यादेश 28 मई को राजभवन को प्राप्त हुआ। राजभवन नियमानुसार प्रक्रिया का पालन करते हुए आवश्यक कार्रवाई कर रहा है।
इस बीच, पंचायत चुनाव की तैयारियों और प्रशासकों के कार्यकाल को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है।