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करवाचौथ 2025: 10 अक्तूबर को साढ़े 13 घंटे का निर्जला व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और चंद्रोदय का समय

करवाचौथ 2025: 10 अक्तूबर को साढ़े 13 घंटे का निर्जला व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और चंद्रोदय का समय

हाइलाइट्स:

  • करवाचौथ का व्रत 10 अक्तूबर 2025, शुक्रवार को रखा जाएगा
  • व्रत की अवधि साढ़े 13 घंटे (13 घंटे 32 मिनट) की होगी
  • सरगी का समय: सुबह 4:00 से 5:30 बजे तक शुभ
  • व्रत आरंभ: सुबह 6:16 बजे से
  • सायंकालीन पूजा: शाम 5:16 से 6:29 बजे तक
  • चंद्रोदय और अर्घ्य: रात 8:03 से 9:10 बजे तक श्रेष्ठ समय
  • चंद्रमा वृष राशि और कृतिका नक्षत्र में होने से सिद्धि योग का लाभ
  • शुक्रवार का दिन होने से विशेष शुभ फल प्राप्त होंगे

हल्द्वानी। सुहागिन महिलाओं का सबसे महत्वपूर्ण व्रत करवाचौथ इस वर्ष 10 अक्तूबर 2025, शुक्रवार को मनाया जाएगा। पति की दीर्घायु और सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए रखे जाने वाले इस निर्जला व्रत की अवधि इस बार साढ़े 13 घंटे की होगी। ज्योतिष गणना के अनुसार, इस दिन सिद्धि योग, कृतिका नक्षत्र और वृष राशि में चंद्रमा होने से व्रती महिलाओं को विशेष लाभ प्राप्त होगा।


करवाचौथ व्रत के शुभ मुहूर्त और समय

ज्योतिषाचार्य अशोक वाष्र्णेय के अनुसार, इस वर्ष करवाचौथ का व्रत अत्यंत शुभ योगों में पड़ रहा है। चंद्रमा का वृष राशि में होना और शुक्रवार का दिन व्रती महिलाओं के लिए विशेष फलदायी सिद्ध होगा। व्रत के मुख्य मुहूर्त निम्नलिखित हैं:

  • सरगी का समय: प्रातः 4:00 बजे से 5:30 बजे तक (सूर्योदय से पूर्व)
  • व्रत प्रारंभ: सुबह 6:16 बजे से
  • सायंकालीन पूजा: शाम 5:16 बजे से 6:29 बजे तक
  • चंद्रोदय समय: रात 8:03 बजे
  • चंद्र अर्घ्य का श्रेष्ठ समय: रात 8:03 से 9:10 बजे तक

इस प्रकार कुल व्रत की अवधि 13 घंटे 32 मिनट की होगी, जो सुबह 6:16 बजे से शुरू होकर रात 8:03 बजे चंद्रोदय तक चलेगी।

व्रत की विधि और पारंपरिक नियम

करवाचौथ के व्रत में सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए निर्जला (बिना पानी पिए) उपवास रखती हैं। व्रत की शुरुआत सरगी से होती है, जो सास या बड़ी महिलाओं द्वारा तैयार करके दी जाती है। सरगी में आमतौर पर:

  • फेनी, मठरी, पराठे
  • फल और मिठाई
  • दूध और चाय
  • सूखे मेवे

शामिल होते हैं। महिलाएं इसे सूर्योदय से पहले ग्रहण करती हैं और फिर पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं।

शाम के समय करवे में जल भरकर दीप जलाकर चंद्रमा की पूजा की जाती है। चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत खोला जाता है। पति के हाथों से पहला घूंट पानी पीना और पहला निवाला खाना पारंपरिक मान्यता है।

ज्योतिषीय योग और इस वर्ष की विशेषताएं

इस वर्ष करवाचौथ में कई शुभ योग एक साथ बन रहे हैं जो इसे विशेष रूप से महत्वपूर्ण बनाते हैं:

  • सिद्धि योग: कार्यों में सफलता दिलाने वाला
  • कृतिका नक्षत्र: तेज और शुद्धता प्रदान करने वाला
  • वृष राशि में चंद्रमा: स्थिरता और समृद्धि देने वाला
  • शुक्रवार: शुक्र ग्रह के कारण सौंदर्य और प्रेम में वृद्धि

ज्योतिषियों के अनुसार, ये योग व्रती महिलाओं के लिए न केवल पति की दीर्घायु बल्कि परिवार में खुशहाली, आर्थिक समृद्धि और संतान प्राप्ति में भी सहायक होंगे।

विशेष रूप से वृष राशि में चंद्रमा होने से यह व्रत अधिक फलदायी माना जा रहा है क्योंकि वृष राशि शुक्र ग्रह की मित्र राशि है और यह वैवाहिक सुख में वृद्धि करती है।

करवाचौथ 2025 में साढ़े 13 घंटे का निर्जला व्रत रखने वाली महिलाओं को विशेष शुभ फल प्राप्त होंगे। सिद्धि योग और अन्य शुभ ज्योतिषीय संयोगों के कारण यह व्रत अत्यधिक फलदायी सिद्ध होगा। महिलाओं को सलाह दी जाती है कि वे निर्धारित मुहूर्त के अनुसार व्रत रखें और विधि-विधान से पूजा-अर्चना करें।

स्वास्थ्य की दृष्टि से भी महिलाओं को सरगी में पौष्टिक आहार लेना चाहिए ताकि लंबे उपवास को सहन करने में आसानी हो। व्रत के दौरान अत्यधिक परिश्रम से बचना चाहिए और आराम करना चाहिए।

करवाचौथ व्रत कथा

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