जन्मदिन विशेष: लाल बहादुर शास्त्री ने कार खरीदने के लिए लिया था PNB से लोन, पत्नी ने चुकाया था पूरा कर्ज
हाइलाइट्स:
- लाल बहादुर शास्त्री ने फिएट कार खरीदने के लिए पंजाब नेशनल बैंक से 5000 रुपए का लोन लिया था।
- कार की कीमत रही 12,000 रुपए और शास्त्री जी के पास उस समय 7,000 रुपए थे
- लोन की मंजूरी आधे घंटे में, शास्त्री जी ने बैंक से आम आदमी को भी इतनी जल्दी लोन देने की मांग की
- शास्त्री जी की मृत्यु के बाद बैंक ने कर्ज वसूली के लिए पत्नी ललिता शास्त्री को पत्र लिखा
- ललिता शास्त्री ने अपनी पेंशन से कर्ज की सारी किस्तें चुकाईं
- वह ऐतिहासिक फिएट कार आज भी दिल्ली के जनपथ स्थित शास्त्री जी के संग्रहालय में रखी हुई है
भारत में ईमानदारी और सादगी के प्रतीक, पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने भी कभी अपने लिए कार खरीदने हेतु बैंक से लोन लिया था। उनके बेटे अनिल शास्त्री के अनुसार, प्रधानमंत्री बनने के बाद परिवार के आग्रह पर उन्होंने फिएट कार के लिए 5000 रुपए का लोन पंजाब नेशनल बैंक से लिया, जबकि उनके पास पहले से 7000 रुपए थे। यह घटना शास्त्री जी की सादगी, पारिवारिक समझ और बैंकिंग व्यवस्था में आम आदमी की सुविधा की आवश्यकता की मिसाल पेश करती है।
फिएट कार के लिए लोन और बैंक का व्यवहार
शास्त्री जी ने अपनी सचिव से कार की कीमत पता करवाई, जो 12,000 रुपए थी। बैंक जाते ही सिर्फ आधे घंटे में लोन मंजूर हो गया। इस फुर्ती को देखकर उन्होंने बैंक अधिकारी से कहा था—
“आम आदमी के लिए भी इतने ही कम समय में लोन मंजूर होना चाहिए”।
यह उनकी जन-हितैषी सोच का प्रमाण था।
पत्नी ने चुकाया कर्ज, संग्रहालय में आज भी मौजूद है वही कार
11 जनवरी 1966 को ताशकंद में निधन के बाद बैंक ने शास्त्री जी के कार लोन की किस्तें वसूलने के लिए ललिता शास्त्री को लिखित पत्र भेजा। उनकी पत्नी ने अपनी पेंशन से पूरी रकम चुका दी, जिससे शास्त्री परिवार की ईमानदारी की मिसाल फिर से लोगों के सामने आई।
आज भी शास्त्री जी की वही ऐतिहासिक फिएट कार दिल्ली के जनपथ मार्ग पर स्थित उनके पुराने घर (अब संग्रहालय) में सुरक्षित रखी है, जो उनकी सादगी और जिम्मेदारी की प्रेरणा देती है।
पारदर्शिता व जवाबदेही
लाल बहादुर शास्त्री की यह कहानी भारत के बैंकिंग सिस्टम और प्रशासन में पारदर्शिता व जवाबदेही का संदेश देती है। साथ ही, यह घटना इस बात की भी जबरदस्त मिसाल है कि किस प्रकार सार्वजनिक जीवन में जिम्मेदारी निभायी जानी चाहिए।
आज के नेताओं और आम नागरिकों के लिए यह कहानी प्रेरणा है कि सामाजिक प्रतिष्ठा के बाद भी नियमों का पालन और जिम्मेदारी अहम है। शास्त्री जी का जीवन आम भारतीयों के लिए सादगी, ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा की मिसाल है।



