आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की पदोन्नति के लिए नियमावली होगी संशोधित
- आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की पदोन्नति के लिए नियमावली में संशोधन का निर्णय।
- अब सुपरवाइजर के 50 प्रतिशत पदों पर प्रमोशन होगा संभव।
- प्रदेश में 20,000 से अधिक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कार्यरत।
- पहले 10 से 20 साल बाद पदोन्नति, अब हर साल संभव।
- 5120 मिनी आंगनबाड़ी केंद्र उच्चीकृत होकर पूर्ण केंद्र बने।
- महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्या ने घोषणा की।
23 सितंबर, 2025 – देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की करियर ग्रोथ की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। पदोन्नति नियमावली में संशोधन के नए फैसले से सुपरवाइजर पदों पर प्रमोशन अब अधिक पारदर्शी और नियमित होगा। यह फैंसला विवेकपूर्ण है और महिला सशक्तिकरण की ओर एक साहसिक कदम माना जा रहा है।
वर्तमान प्रणाली और इसमें आने वाले बदलाव
वर्तमान समय में प्रदेश के 20 हजार से अधिक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अपनी सेवाएं दे रही हैं। पदोन्नति नियमों के अनुसार सुपरवाइजर के पदों में 40 प्रतिशत कोटा इन कार्यकर्ताओं के लिए निर्धारित था, 10 प्रतिशत मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को और बाक़ी 50 प्रतिशत पद, अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से सीधी भर्ती द्वारा भरे जाते थे।
महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्या के अनुसार,
“संशोधन प्रस्ताव को जल्द ही कैबिनेट में लाया जाएगा। संशोधन से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की सुपरवाइजर पदों पर हर साल प्रमोशन का रास्ता साफ हो जाएगा।”
हाल ही में केंद्र सरकार की स्वीकृति के बाद प्रदेश के 5120 मिनी आंगनबाड़ी केंद्र उच्चीकृत होकर पूर्ण केंद्र बन गए हैं। अब इन पदों का स्वतः अंत हो जाने से, संबंधित कोटा का भी खात्मा हुआ। आवश्यकता महसूस हुई कि नियमावली में यथासमय संशोधन किया जाए, ताकि विभागीय संचार और कैरियर ग्रोथ दोनों सुगम बनें।
पूर्व में, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को 10 से 20 साल तक सुपरवाइजर पद का इंतजार करना पड़ता था। कई कर्मचारी बिना प्रमोशन के ही सेवानिवृत्त हो जाते थे। अब संशोधन के बाद हर साल खाली पदों पर प्रमोशन की स्थिति बनेगी, जिससे कार्यकर्ताओं के मनोबल में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
प्रमुख लाभ
संशोधित नियमावली लागू होने के बाद आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए सुपरवाइजर के 50 प्रतिशत पद प्रोन्नति हेतु आरक्षित किए जाएंगे। इस फैसले से कार्यकर्ताओं को प्रतिवर्ष कैरियर में आगे बढ़ने का मौका मिलेगा। इससे न केवल महिला कर्मचारियों का सशक्तिकरण बढ़ेगा बल्कि विभाग के कार्यों की गुणवत्ता और पारदर्शिता भी सुनिश्चित होगी।
विभाग की हालिया पहल के तहत, 7052 पदों पर भर्ती की प्रक्रिया पूरी की गई है, जिसमें 6330 आंगनबाड़ी सहायिका और 722 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता शामिल हैं। यह चयन प्रक्रिया पहली बार पूरी तरह ऑनलाइन हुई। साथ ही, महिलाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी इस परिवर्तन के कारण मिले हैं।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ग्रामीण परिवारों, बच्चों, गर्भवती महिलाओं, और पोषण-स्वास्थ्य शिक्षा जैसी सरकारी योजनाओं की रीढ़ हैं। संशोधन के बाद, जहां एक ओर उनका सम्मान और अधिकार सुनिश्चित होगा, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण-शहरी क्षेत्रों का सामाजिक आधार भी मजबूत होगा।
“आंगनबाड़ी कार्यकर्ता समाज की आधारशिला हैं, उनकी पदोन्नति के नए अवसर न केवल महिलाओं को ऊर्जावान बनाएंगे, बल्कि विभाग की सेवा में नवोन्मेष और समर्पण भी बढ़ेगा।”
- मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की स्थिति स्पष्ट हुई, उनका इंट्री भी अब नए पदोन्नति नियमों के तहत होगा।
- यह बदलाव, महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग की नीतियों के अनुरूप है।
- विशेषज्ञ एवं स्थानीय कार्यकर्ताओं ने फ़ैसले का स्वागत किया है और भविष्य के लिए आशा प्रकट की है।
- उत्तराखंड का यह प्रयास अन्य राज्यों के लिए उदाहरण बन सकता है, जैसे हरियाणा में भी 50% प्रमोशन कोटा लागू किया गया है।
भविष्य की दिशा
सरकार का लक्ष्य नियमित वार्षिक प्रमोशन सुनिश्चित करना है, जिससे योग्य आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हर साल सुपरवाइजर बन पाएं। यह संशोधन महिला सशक्तिकरण, बाल विकास और ग्रामीण स्वास्थ्य सुधार की दृष्टि से एक ऐतिहासिक कदम है। इससे 20,000 से अधिक कार्यकर्ता लाभान्वित होंगी और उनकी सेवा का सम्मान होगा।
सरकारी रिपोर्टों एवं विभागीय स्रोतों की मानें तो, यह बदलाव विभागीय कार्यप्रणाली, सेवा वितरण और स्तर को बेहतर करेगा। इससे समाज के कमजोर वर्गों तक सरकारी योजनाओं का असर प्रभावी ढंग से पहुंचेगा। यह केवल प्रशासनिक संशोधन नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय की दिशा में भी आगे बढ़ने का प्रतीक है।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए नव अर्जित पदोन्नति अवसर उन्हें सशक्त बनाने और प्रदेश के विकास में नई ऊर्जा देने का कार्य करेंगे। उत्तराखंड सरकार द्वारा नियमावली में किया गया यह बदलाव समाज के हर वर्ग के लिए सकारात्मक भविष्य की ओर संकेत करता है।
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