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शिक्षकों के तबादले, वरिष्ठता के लिए उच्च न्यायालय में विशेष याचिका दाखिल करेगा शिक्षा विभाग

शिक्षकों के तबादले, वरिष्ठता के लिए उच्च न्यायालय में विशेष याचिका दाखिल करेगा शिक्षा विभाग

हाइलाइट्स

  • शिक्षा विभाग शिक्षकों की तबादला प्रक्रिया और वरिष्ठता विवाद को लेकर हाईकोर्ट में विशेष याचिका दाखिल करेगा

  • 18 सितंबर को एलटी शिक्षक भर्ती और 23 सितंबर को वरिष्ठता प्रकरण की सुनवाई

  • महाधिवक्ता, मुख्य स्थाई अधिवक्ता और विभागीय अधिकारी केस की मजबूत पैरवी करेंगे

  • 70 हजार से अधिक शिक्षकों के तबादले से जुड़े हैं मामले

  • शिक्षकों के आंदोलन को जनप्रतिनिधियों और संगठनों का समर्थन

  • कोर्ट के आदेश के चलते तबादलों पर फिलहाल रोक और सीधी भर्ती के खिलाफ नाराजगी

शिक्षा विभाग का कोर्ट में रुख – प्रमुख तथ्य

उत्तराखंड शिक्षा विभाग ने शिक्षकों के स्थानांतरण और वरिष्ठता से जुड़े विवादों का तेजी से हल निकालने के लिए हाईकोर्ट में स्पेशल अपील दायर करने का निर्णय लिया है। इसके लिए अधिकारियों को पत्रावली तैयार करने के विशेष निर्देश दिए गए हैं। शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने अपने शासकीय आवास पर हुई बैठक में कहा कि सैकड़ों प्रधानाचार्य और प्रधानाध्यापक के पद वरिष्ठता विवाद के कारण खाली पड़े हैं, जिससे पढ़ाई पर नकारात्मक असर हो रहा है.

विभाग ने उच्च न्यायालय के महाधिवक्ता (एसएन बाबुलकर) और मुख्य स्थाई अधिवक्ता (सीएस रावत) से निरंतर और प्रभावशाली पैरवी करने को कहा है, ताकि सभी मुद्दों का शीघ्र निस्तारण हो सके.

कोर्ट में विचाराधीन विवाद – वर्तमान स्थिति

  • वरिष्ठता विवाद: सैकड़ों पद खाली हैं, वरिष्ठता के मामले में फैसला नहीं होने से पदोन्नति लंबित.

  • तबादला मामला: हाईकोर्ट के आदेश की वजह से तबादला प्रक्रिया रुकी हुई है। कोर्ट ने सुगम-दुर्गम क्षेत्र के आधार पर तबादलों की नीति को चुनौती दी है; इस पर विभाग ने न्याय विभाग से राय लेकर हाईकोर्ट में पुनर्विचार की तैयारी की.

  • एलटी शिक्षक भर्ती: भर्ती विवाद वर्तमान में उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग और अभ्यर्थियों के बीच चल रहा है; विभाग परिणाम आने तक प्रक्रिया में खुद को नहीं जोड़ सकता.

याचिका दाखिल करने की वजह यह है कि एक ही परिसर में अलग-अलग संवर्ग के शिक्षकों के लिए एक विद्यालय सुगम और दूसरा दुर्गम घोषित हो सकता है, जिससे तबादलों में असमानता और नीति का सवाल खड़ा होता है.

शिक्षकों की नाराजगी और आंदोलन

तबादलों में देरी और वरिष्ठता विवाद के चलते प्रदेश भर के शिक्षक आंदोलन पर उतर आए हैं। मुख्यमंत्री आवास कूच की घोषणा भी हो चुकी है। विभिन्न राजनीतिक दलों और संगठनों ने शिक्षकों के आंदोलन का समर्थन किया है। शिक्षा विभाग में पिछले दो साल से पदोन्नति प्रक्रिया पर भी ठहराव है; विभाग अब सीधी भर्ती की रणनीति से शिक्षकों की नाराजगी बढ़ी है.

शिक्षकों के अनुसार वेतन विसंगति, कोर्ट के फैसलों के बावजूद तदर्थ शिक्षकों को चयन वेतनमान का लाभ न मिलना, पूर्व सेवा का लाभ न मिलना जैसे मुद्दे लंबित हैं, जिनका शीघ्र हल समग्र शिक्षा-व्यवस्था के लिए जरूरी है.

कोर्ट के आदेश, एक्ट और परामर्श

उत्तराखंड में तबादले के लिए स्थानांतरण अधिनियम बना है। इस अधिनियम के तहत प्रत्येक साल सीमित संख्या में सुगम-दुर्गम क्षेत्रों के लिए तबादले होते हैं। इस साल एक्ट के तहत सीमा हटाई गई थी, जिससे 20-25 साल दुर्गम क्षेत्रों में सेवा दे रहे शिक्षकों को सुगम क्षेत्र में आने की उम्मीद थी.

हाईकोर्ट ने हाल ही में सरकार को स्थानांतरण अधिनियम के पूर्ण पालन और पद रिक्तियों की पात्रता सूची वेबसाइट पर प्रकाशित करने के आदेश दिए हैं. विभाग को न्याय विभाग से परामर्श लेने के बाद याचिका दाखिल करने का आधार मिल चुका है.

शिक्षा विभाग ने शिक्षकों के तबादले और वरिष्ठता जैसे जटिल मामले के निस्तारण के लिए उच्च न्यायालय में विशेष याचिका दाखिल करने का निर्णय लिया है। इससे सैकड़ों खाली पद भरने, पढ़ाई पर गुणवत्ता सुधारने, और शिक्षक संतुष्टि व न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। शिक्षकों की मांगें और आंदोलन नीति निर्माण में अहम भूमिका निभाएंगे। कोर्ट के आदेश एवं एक्ट के तहत पारदर्शिता और समानता आने की उम्मीद है।

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