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उत्तराखंड में शिक्षक पदोन्नति और तबादलों को लेकर होगा घेराव

उत्तराखंड में शिक्षक पदोन्नति और तबादलों को लेकर होगा घेराव


हाइलाइट्स

  • शिक्षक संघ ने पदोन्नति और तबादलों में हो रही देरी के विरोध में मुख्यमंत्री आवास एवं सचिवालय कूच करने का निर्णय लिया

  • 8 सितंबर के बाद शिक्षक संघ की विशाल रैली और विधायकों का घेराव योजना में शामिल

  • प्रमुख मांगों में विभागीय सीधी भर्ती रद्द करने की मांग प्रमुख

  • शिक्षक अवकाश के दिन श्रीनगर गढ़वाल, हल्द्वानी में रैली और जिला एवं ब्लॉक मुख्यालयों में बैठकें

  • प्रभार छोड़ने वाले प्रधानाध्यापकों के आदेश का अनुपालन न करने का निर्णय

  • आंदोलन के दौरान केवल अध्यापन कार्य पर ध्यान केंद्रित रहेगा, अन्य कार्यों का बहिष्कार जारी रहेगा


उत्तराखंड के सरकारी शिक्षकों में पदोन्नति और तबादलों को लेकर नाराजगी चरम पर है। लगातार लंबित मामलों और प्रशासनिक सुस्त प्रक्रिया के खिलाफ शिक्षकों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। शिक्षकों का कहना है कि वर्षों से पदोन्नति न मिलना और तबादलों में देरी से उनका मनोबल गिरा है। शिक्षक संघ ने इस मसले पर 8 सितंबर के बाद संघर्ष की नई रणनीति अपनाने का निर्णय लिया है। इसमें मुख्यमंत्री आवास और सचिवालय तक कूच करना शामिल है ताकि सरकार पर दबाव बन सके।


मांगें और आंदोलन की रूपरेखा

  • पदोन्नति व तबादलों में हो रही देरी को तत्काल दूर करें।

  • प्रधानाचार्य पदों पर विभागीय सीधी भर्ती को रद्द किया जाए।

  • मांग पूरी न होने पर शिक्षक प्रदेश स्तरीय रैली निकालकर सचिवालय और मुख्यमंत्री आवास कूच करेंगे।

  • शिक्षकों ने अवकाश के दिनों में श्रीनगर गढ़वाल और हल्द्वानी में विशाल रैली निकालने का निर्णय लिया है।

  • अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों के विधायकों का घेराव भी योजना में शामिल है।

शिक्षक संघ के अध्यक्ष राम सिंह चौहान और महामंत्री रमेश पैन्युली के नेतृत्व में वर्चुअल बैठक में यह आंदोलन तय किया गया है। इस दौरान शिक्षक केवल अपनी मूल शिक्षण जिम्मेदारियों तक सीमित रहेंगे और अन्य कार्यों का बहिष्कार जारी रखेंगे।


स्थिति और शिक्षक वर्ग की आपत्ति

प्रदेश भर में कई स्कूलों में पदोन्नति के अभाव और प्रधानाचार्य पद खाली रहने के कारण व्यवस्थाएँ प्रभावित हो रही हैं। कई शिक्षक दशकों से इसी पद पर कार्यरत हैं जबकि उन्हें समय पर प्रमोशन नहीं मिला। शिक्षकों का आरोप है कि सरकार उनकी समस्याओं की अनदेखी कर रही है जिससे वे मजबूर होकर आंदोलन पर उतर रहे हैं।
प्रभार छोड़ने वाले प्रधानाचार्यों के बाद यदि किसी शिक्षक को प्रभार सौंपा जाता है, तो अधीनस्थ शिक्षक उस आदेश का पालन नहीं करेंगे, इस पर भी शिक्षक संघ ने सख्त रुख अपनाया है।


सरकार और न्यायालय की स्थिति

सरकार ने इस आंदोलन को लेकर सख्त रवैया अपनाया है। शिक्षा सचिव ने महानिदेशक को आदेश दिया है कि आंदोलनरत शिक्षकों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। वहीं प्रधानाचार्य पदों पर भर्ती से जुड़ा मामला कई उच्च न्यायालयों में विचाराधीन है, जिसके चलन में आने के बाद ही पदोन्नति व तबादलों की प्रक्रिया आरंभ हो पाएगी। शिक्षकों की मांगों को लेकर कुछ गंभीर प्रयास जारी हैं, लेकिन वे फिलहाल संतोषजनक नहीं हैं।


उत्तराखंड के शिक्षक लंबे समय से लंबित पदोन्नति और स्थानांतरण समस्याओं के कारण आंदोलनरत हैं। सरकार की नाकाफी प्रतिक्रियाओं के चलते शिक्षक संघ ने व्यापक संघर्ष की योजना बनाई है। आगामी दिनों में सचिवालय और मुख्यमंत्री आवास तक शिक्षा कार्यकर्ताओं का कूच इस बात का संकेत है कि शिक्षक विरोध जल्द शांत नहीं होगा। इस आंदोलन का असर सरकारी शिक्षा व्यवस्था पर भी पड़ रहा है जिससे शीघ्र स्थायी समाधान की आवश्यकता है।

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