अल्मोड़ा: सात दिन तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ में रखकर 18 लाख रुपये से अधिक की साइबर ठगी
हाइलाइट्स
अल्मोड़ा के उदयपुर देघाट क्षेत्र में साइबर ठगों ने एक व्यक्ति को ‘डिजिटल अरेस्ट’ का डर दिखाकर 18.30 लाख रुपये ठग लिए
पीड़ित से एफडी तुड़वाकर व गहने बेचकर रुपये मंगवाए गए
ठगों ने खुद को दिल्ली पुलिस का अधिकारी बताया, व्हाट्सएप कॉल व वीडियो कॉल के जरिए डराया
आधार, बैंक डिटेल मांगी और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में फंसाने की धमकी दी
पैसे वापस दिलाने के लिए पीड़ित ने पुलिस से कार्रवाई की मांग की
पुलिस व एसएसपी ने जागरूक रहने और किसी भी संदिग्ध कॉल की सूचना तुरंत पुलिस को देने का आह्वान किया
उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में साइबर ठगों द्वारा ‘डिजिटल अरेस्ट’ नामक नए तरीके से ठगी के मामले सामने आ रहे हैं। देघाट के उदयपुर निवासी एक व्यक्ति से ठगों ने खुद को दिल्ली पुलिस का अधिकारी बताकर उनकी पहचान व मोबाइल नंबर का गलत इस्तेमाल होना बताया और ‘डिजिटल अरेस्ट’ करने की धमकी दी। लगातार सात दिन तक पीड़ित से डराते, धमकाते हुए कुल 18.30 लाख रुपये खाते में मंगवा लिए गए।
ठगी कैसे की गई – पूरी वारदात की कहानी
25 अगस्त को पीड़ित को अज्ञात नंबर से कॉल आया—खुद को दिल्ली पुलिस से बताया और वीडियो कॉल/वॉइस कॉल से संपर्क किया।
पीड़ित को कहा गया कि उनके मोबाइल नंबर से अपराध हुआ है—अब वह मनी लॉन्ड्रिंग केस में आरोपी हैं।
‘डिजिटल अरेस्ट’ करने और जेल भेजने की धमकी दी गई। आधार कार्ड, बैंक और जेवरात का विवरण लिया गया।
एफडी तुड़वाकर और गहने बेचकर 15 लाख और 3.8 लाख रुपये के क्रम में कुल 18.30 लाख रुपये साइबर अपराधियों के बताए खाते में भेज दिए गए।
ठग लगातार पीड़ित को किसी से बात न करने और मामले की जांच चल रही है, जल्द पैसे वापस मिलने का झांसा देते रहे।
कुछ दिन बाद भी जब पैसे नहीं लौटे तो पीड़ित को ठगी का अहसास हुआ। तत्काल उन्होंने पुलिस से शिकायत की।
पुलिस व विशेषज्ञों की चेतावनी और सलाह
एसएसपी देवेंद्र पींचा के अनुसार—इस तरह के फोन आने पर किसी भी हाल में डरें नहीं और तुरंत पुलिस अथवा साइबर सेल को सूचना दें।
कोई भी पुलिस, अदालत या सरकारी एजेंसी ‘डिजिटल अरेस्ट’ जैसी प्रक्रिया मोबाइल या ऑनलाइन माध्यम से नहीं करती।
कभी भी आधार, बैंक डिटेल, ओटीपी, पासवर्ड या रकम अजनबी कॉल/वीडियो कॉल पर साझा न करें।
कोई भी कॉलर यदि पुलिस या अन्य अधिकारी बनकर पैसे मांगे तो उसकी पुष्टि संबंधित थाने व हेल्पलाइन नंबर 1930 पर तुरंत करें।
अल्मोड़ा और आसपास के क्षेत्रों में साइबर ठगी के इस तरह के कई मामले लगातार सामने आ रहे हैं। फर्जी पुलिस अधिकारी, रिश्तेदार या बैंक अधिकारी बनकर लोगों से लाखों की ठगी की जा रही है। अधिकांश मामलों में पीड़ित डर या झांसे में आकर अपनी मेहनत की कमाई खो बैठते हैं। जागरूकता की कमी व तकनीकी जानकारी न होने के चलते साइबर अपराधी बड़े पैमाने पर सफल हो रहे हैं।
‘डिजिटल अरेस्ट’ या इसी तरह के साइबर फ्रॉड से बचने का सबसे बड़ा मंत्र है—सतर्कता, जागरूकता और फौरन पुलिस को सूचना। किसी भी परिस्थिति में डरें नहीं, गहने-रुपये या बैंक जानकारी साझा न करें। सतर्क रहें—स्मार्ट रहें।



