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जीएसटी सुधार: 12% और 28% स्लैब होंगे खत्म, 90 फीसदी वस्तुएं होंगी सस्ती : विस्तृत रिपोर्ट

जीएसटी सुधार: 12% और 28% स्लैब होंगे खत्म, 90 फीसदी वस्तुएं होंगी सस्ती: विस्तृत रिपोर्ट

हाइलाइट्स

  • राज्यों के मंत्रियों का समूह ने 12% और 28% जीएसटी स्लैब खत्म करने के केंद्र के प्रस्ताव को मंजूरी दी

  • जीएसटी की चार स्लैब की जगह अब सिर्फ 5% और 18% के दो स्लैब होंगे

  • विलासिता की वस्तुओं पर 40% कर लगाया जाएगा

  • 12% स्लैब की 99% वस्तुएं अब 5% में आएंगी

  • प्रधानमंत्री मोदी ने दिवाली 2025 तक लागू करने की घोषणा की थी

  • SBI रिपोर्ट के अनुसार 85,000 करोड़ का राजस्व नुकसान हो सकता है

आम आदमी के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। देश की कर व्यवस्था को सरल बनाने की दिशा में राज्यों के वित्त मंत्रियों के समूह ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। 21 अगस्त 2025 को हुई विशेष बैठक में राज्यों ने केंद्र सरकार के उस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत जीएसटी की 12% और 28% स्लैब को पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा।

सरकार की नई योजना: दो स्लैब वाली सरल व्यवस्था

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ हुई बैठक के बाद बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने घोषणा की कि छह सदस्यीय मंत्री समूह ने केंद्र के दो प्रमुख प्रस्तावों को स्वीकार कर लिया है। अब वस्तु एवं सेवा कर की संरचना में केवल दो मुख्य स्लैब होंगे – 5% और 18%।

प्रधानमंत्री मोदी की दिवाली गिफ्ट घोषणा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2025 को लाल किले की प्राचीर से अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण में यह ऐतिहासिक घोषणा की थी। उन्होंने कहा था, “इस दिवाली में आपकी डबल दिवाली का काम मैं करने वाला हूं। देशवासियों को एक बहुत बड़ा तोहफा मिलने वाला है।”

प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि नेक्स्ट जेनरेशन जीएसटी सुधार लाए जाएंगे और सामान्य मानवी की जरूरतों के टैक्स भारी मात्रा में कम कर दिए जाएंगे। उन्होंने राज्यों से इस प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा करने का आग्रह किया है।

कौन सी वस्तुएं हो जाएंगी सस्ती

12% से 5% स्लैब में आने वाली वस्तुएं

दैनिक उपयोग की वस्तुएं अब और भी सस्ती हो जाएंगी। इनमें शामिल हैं:

  • सूखे मेवे और ब्रांडेड नमकीन

  • टूथ पाउडर, टूथपेस्ट और सभी प्रकार के साबुन

  • हेयर ऑयल और छाते

  • सामान्य एंटीबायोटिक्स और दर्द निवारक दवाएं

  • प्रोसेस्ड फूड, स्नैक्स और फ्रोजन सब्जियां

  • कंडेंस्ड दूध और मोबाइल फोन (कुछ श्रेणी के)

  • कंप्यूटर, सिलाई मशीन और प्रेशर कुकर

  • गीजर, इलेक्ट्रिक आयरन और वैक्यूम क्लीनर

  • 1,000 रुपये से अधिक के रेडीमेड कपड़े

  • 500 से 1,000 रुपये तक के जूते-चप्पल

  • वैक्सीन और एचआईवी/टीबी डायग्नोस्टिक किट

  • साइकिल, बर्तन और ज्योमेट्री बॉक्स

  • नक्शे, ग्लोब और ग्लेज्ड टाइल्स

  • प्री-फैब्रिकेटेड बिल्डिंग और वेंडिंग मशीन

  • पब्लिक ट्रांसपोर्ट वाहन और कृषि मशीनरी

  • सोलर वाटर हीटर जैसे उत्पाद

28% से 18% स्लैब में आने वाली वस्तुएं

घरेलू उपकरण और निर्माण सामग्री में भी बड़ी राहत मिलेगी:

  • सीमेंट और रेडी-मिक्स कंक्रीट

  • ब्यूटी प्रोडक्ट और चॉकलेट

  • टीवी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन और एयर कंडीशनर

  • डिशवॉशर और निजी विमान

  • प्रोटीन कन्सेंट्रेट और चीनी सिरप

  • कॉफी कन्सेंट्रेट और प्लास्टिक प्रोडक्ट

  • रबर टायर और एल्युमिनियम फॉयल

  • टेम्पर्ड ग्लास और प्रिंटर

  • रेजर और मैनिक्योर किट

विलासिता की वस्तुओं पर 40% कर

केंद्र सरकार ने अहितकर और विलासिता की वस्तुओं के लिए एक विशेष 40% स्लैब का प्रस्ताव रखा है। उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने स्पष्ट किया कि महंगी कारों जैसी अल्ट्रा लग्जरी वस्तुओं और तंबाकू उत्पादों पर यह दर लागू होगी।

पश्चिम बंगाल की वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने सुझाव दिया है कि 40% के ऊपर अतिरिक्त उपकर भी लगाया जाना चाहिए, ताकि वर्तमान कराधान का स्तर बना रहे।

आर्थिक प्रभाव और राजस्व संबंधी चिंताएं

SBI की रिपोर्ट: नुकसान और फायदे का विश्लेषण

भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट के अनुसार जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने से 1.98 लाख करोड़ रुपये की खपत को बढ़ावा मिलेगा। हालांकि, इससे सरकार को हर वित्त वर्ष में 85,000 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हो सकता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि कर दरों में कटौती के कारण उपभोग व्यय में कुल 5.31 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि हो सकती है, जो भारत की जीडीपी के 1.6% के बराबर है।

महंगाई दर में कमी की संभावना

खाद्य और कपड़े जैसी आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी दर के 12% से घटकर 5% होने से सीपीआई मुद्रास्फीति में 10-15 बेसिस प्वाइंट (bps) की कमी आ सकती है। कुल मिलाकर सीपीआई में 20-25 आधार अंकों की कमी आने का अनुमान है।

राज्यों की चिंताएं और सुझाव

पश्चिम बंगाल की वित्त मंत्री ने चिंता जताई कि केंद्र के प्रस्ताव में स्लैब बदलाव से होने वाला राजस्व नुकसान शामिल नहीं है। उन्होंने कहा, “राज्य को नुकसान का खामियाजा भी आम आदमी को ही भुगतना होगा।”

तेलंगाना के उपमुख्यमंत्री मल्लू भट्टी विक्रमार्क ने कहा, “राज्यों के राजस्व की सुरक्षा तय करते हुए दरें तर्कसंगत बनानी चाहिए, अन्यथा गरीब, मध्य वर्ग और कल्याणकारी योजनाओं को नुकसान होगा।”

लागू होने की संभावित समयसीमा

वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार जीएसटी परिषद की बैठक सितंबर के तीसरे सप्ताह में होगी और दरों में कटौती अक्टूबर से लागू होने की संभावना है। यह प्रधानमंत्री मोदी की दिवाली तक लागू करने की घोषणा के अनुकूल है।

अगली जीएसटी परिषद की बैठक में निम्नलिखित मुद्दों पर चर्चा होगी:

  • 12% और 28% स्लैब को खत्म करना

  • हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस की दरों को युक्तिसंगत बनाना

  • आवश्यक वस्तुओं पर टैक्स स्लैब में समायोजन

मध्य वर्गीय परिवारों को मिलने वाले फायदे

यह जीएसटी सुधार विशेष रूप से मध्य वर्गीय परिवारों, किसानों और एमएसएमई को बड़ी राहत देगा। रोजमर्रा की जरूरतों से लेकर घरेलू उपकरणों तक सब कुछ सस्ता हो जाएगा।

कृषि मशीनरी से लेकर शिक्षा और स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं तक में कमी से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। छोटे व्यापारी और MSMEs अपने कर दायित्व को बेहतर तरीके से समझ सकेंगे।

व्यवसायिक समुदाय की प्रतिक्रिया

उद्योग विशेषज्ञों ने कहा कि इस बदलाव के लिए बेहद सावधानी से तैयारी करनी होगी। टैक्स सुधारों को लागू करने के लिए जीएसटी कानून में संशोधन की आवश्यकता होगी और नई दरों को लागू करने के लिए प्रशासनिक व्यवस्थाएं भी करनी होंगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीएसटी कानूनों में संशोधन और अगली पीढ़ी के सुधारों के लिए एक टास्क फोर्स के गठन की घोषणा की है। यह कार्यबल नई संरचना को लागू करने में सहायता करेगा।

यह ऐतिहासिक सुधार न केवल आम आदमी की जेब पर सकारात्मक प्रभाव डालेगा, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था में उपभोग की मांग को भी बढ़ाएगा। दिवाली 2025 तक यह वास्तविक उपहार के रूप में करोड़ों भारतीयों के जीवन में खुशियां लाने का वादा करता है।

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