एलटी समायोजित शिक्षकों की संगठन छोड़ने की चेतावनी
हाइलाइट्स बॉक्स
राजकीय एलटी समायोजित, पदोन्नत शिक्षक संघर्ष मंच ने संगठन छोड़ने की चेतावनी दी
शिक्षक संघ पर उनकी मांगों को नजरअंदाज करने और भेदभाव का आरोप
एक सूत्रीय मांग – हड़ताल में शामिल नहीं किए जाने से मंच नाराज
मंच के अध्यक्ष दिग्म्बर फुलेरिया और महासचिव सुजान बुटोला ने संघ को पत्र लिखा
18 अगस्त के आंदोलन में प्रतिभाग तो करेंगे, मांग नहीं मानी गई तो सामूहिक इस्तीफा
शिक्षकों में गहराता असंतोष – संगठन के भीतर मतभेद उजागर
उत्तराखंड में राजकीय एलटी समायोजित, पदोन्नत शिक्षक संघर्ष मंच और राजकीय शिक्षक संघ के बीच मतभेद सतह पर आ गए हैं। मंच ने आरोप लगाया है कि शिक्षक संघ उनकी एक सूत्रीय मांग को लगातार नजरअंदाज कर रहा है। सोमवार से शुरू होने वाली चॉकडाउन हड़ताल में मंच की मांग को शामिल न किए जाने के विरोध में मंच ने संगठन छोड़ने की चेतावनी दी है।
मूल विवाद – मंच की एक सूत्रीय मांग
मंच के अनुसार उनकी सिर्फ एक प्राथमिक मांग है, जिसे शिक्षक संघ ने कभी गंभीरता से नहीं लिया।
मंच के अध्यक्ष दिग्म्बर फुलेरिया और महासचिव सुजान बुटोला ने इसके लिए संघ के अध्यक्ष और महामंत्री को पत्र लिखा।
पत्र में कहा गया है कि मंच के सदस्य लगातार संघ के कार्यक्रमों, आंदोलनों में सक्रिय रहते हैं, लेकिन उनकी मांगों की अनदेखी की जा रही है।
हड़ताल जैसे बड़े आंदोलन में भी मंच की मांग को शामिल नहीं किया गया।
शिक्षक संघ पर भेदभाव का आरोप
मंच ने साफ आरोप लगाया है कि यह रवैया संगठन के अन्य हितधारक सदस्यों के साथ अन्यायपूर्ण है।
मंच की बैठक में तय किया गया कि वे 18 अगस्त को प्रस्तावित आंदोलन में हिस्सा तो लेंगे, लेकिन अगर संघ की मौजूदा कार्यकारिणी के कार्यकाल में उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे सभी सामूहिक रूप से राजकीय शिक्षक संघ से इस्तीफा देने को विवश हो जाएंगे।
चॉकडाउन हड़ताल की पृष्ठभूमि
राजकीय शिक्षक संघ सोमवार से प्रधानाचार्य पदोन्नति परीक्षा के विरोध में चॉकडाउन हड़ताल का ऐलान कर चुका है।
भर्ती समर्थक शिक्षक पहले ही इस हड़ताल के खिलाफ हैं, जिससे संघ के भीतर मतभेद और खुले विवाद सामने आ रहे हैं।
अब एलटी समायोजित, पदोन्नत शिक्षक मंच की नाराजगी ने संकट को और गहरा कर दिया है।
असंतोष और संगठन का भविष्य
संघ के भीतर भावनात्मक एवं सामाजिक असंतोष गहराता दिख रहा है।
मंच की चेतावनी के बाद, शिक्षक संघ पर नेतृत्व स्तर पर दबाव बढ़ने की संभावना है।
यदि मांगें नहीं मानी गईं, तो संगठन को संसाधनों, जन समर्थन और कार्यक्षमता के स्तर पर नुकसान झेलना पड़ सकता है।
उत्तराखंड के सरकारी शिक्षा क्षेत्र में संगठनात्मक एकता गंभीर संकट में है। एलटी समायोजित, पदोन्नत शिक्षक संघर्ष मंच ने अपना आक्रोश और असंतोष खुलकर जाहिर किया है। संगठन की नेतृत्वकारी भूमिका और सभी सदस्यों के हितों को समान रूप से देखने की आवश्यकता है। यदि संवाद, सहमति और सक्रियता नहीं बढ़ी, तो शिक्षक संघ की एकजुटता को गहरा धक्का लग सकता है।



