सुप्रीम कोर्ट ने बदला सरपंच चुनाव का परिणाम, तीन साल बाद हारे प्रत्याशी की जीत
पानीपत, 14 अगस्त 2025: हरियाणा के पानीपत जिले के बुआना लाखु गांव में हुए सरपंच चुनाव के परिणाम को सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की दोबारा गिनती के बाद हारे हुए प्रत्याशी मोहित को 51 वोटों से विजयी घोषित किया गया। इससे पहले कुलदीप को विजेता घोषित किया गया था। यह मामला देश में अपनी तरह का पहला उदाहरण माना जा रहा है। गुरुवार को इसराना बीडीओ कार्यालय में मोहित को सरपंच पद की शपथ दिलाई जाएगी।
दो साल पहले हुई थी गलती
2 नवंबर 2022 को हुए ग्राम पंचायत चुनाव में एक मतदान अधिकारी की गलती के कारण बुआना लाखु गांव में कुछ घंटों के लिए दो सरपंच बन गए थे। शुरुआत में कुलदीप को विजेता घोषित कर प्रमाणपत्र दिया गया, लेकिन दोबारा मतगणना में मोहित को विजयी घोषित किया गया। जांच में पता चला कि बूथ नंबर 69 पर मतगणना के दौरान गलती से मोहित के वोट कुलदीप के खाते में और कुलदीप के वोट मोहित के खाते में दर्ज हो गए थे। इस गलती के कारण कुलदीप को विजेता घोषित कर दिया गया था।
हाई कोर्ट ने ठुकराई थी दोबारा गिनती की मांग
मोहित ने इस गलती के खिलाफ पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर की, लेकिन हाई कोर्ट ने 1 जून 2025 को दोबारा मतगणना से इनकार कर दिया और फैसला कुलदीप के पक्ष में सुनाया। इसके बाद मोहित ने 12 जून 2025 को सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी।
सुप्रीम कोर्ट ने दो महीने में सुनाया फैसला
सुप्रीम कोर्ट में 31 जुलाई को पहली सुनवाई हुई और 7 जुलाई को कोर्ट ने अपनी निगरानी में ईवीएम की दोबारा गिनती का आदेश दिया। मतगणना में मोहित को 1051 और कुलदीप को 1000 वोट मिले। 11 अगस्त को जस्टिस सूर्यकांत, दीपांकर दत्ता और एनके सिंह की पीठ ने मोहित को विजयी घोषित करते हुए जिला प्रशासन को दो दिन के भीतर शपथ दिलाने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि पुनर्गणना की पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की गई है और ओएसडी (रजिस्ट्रार) की रिपोर्ट पर संदेह का कोई कारण नहीं है।
क्या था मामला?
बुआना लाखु गांव में सरपंच पद के लिए सात प्रत्याशी मैदान में थे, लेकिन मुख्य मुकाबला मोहित और कुलदीप के बीच था। गांव में छह मतदान केंद्र बनाए गए थे। बूथ नंबर 69 पर पीठासीन अधिकारी की गलती से वोटों की अदला-बदली हो गई, जिसके कारण गलत परिणाम घोषित हुआ। रिटर्निंग अधिकारी ने संशोधित परिणाम जारी कर मोहित को विजेता घोषित किया, लेकिन कुलदीप ने हार स्वीकार नहीं की और हाई कोर्ट से स्टे ले लिया।
न्याय की जीत: मोहित
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को गांव में न्याय की जीत के रूप में देखा जा रहा है। मोहित ने कहा कि वह लंबे समय से इस कानूनी लड़ाई को लड़ रहे थे और आखिरकार उन्हें न्याय मिला। यह मामला न केवल स्थानीय स्तर पर चर्चा का विषय बना है, बल्कि यह ईवीएम की विश्वसनीयता और मतगणना प्रक्रिया की पारदर्शिता पर भी सवाल उठाता है।



