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CBSE में कक्षा 9 के लिए ओपन बुक एग्जाम की मंजूरी—2026-27 से शुरू होंगी किताब खोलकर परीक्षाएं

CBSE में कक्षा 9 के लिए ओपन बुक एग्जाम की मंजूरी—2026-27 से शुरू होंगी किताब खोलकर परीक्षाएं


हाइलाइट्स

  • केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने कक्षा 9 के लिए ओपन बुक एसेसमेंट (OBA) को 2026-27 शैक्षणिक सत्र से शुरू करने की मंजूरी दी।

  • मुख्य विषयों में शामिल: भाषा, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान में प्रत्येक टर्म में तीन लिखित परीक्षाएं होंगी।

  • पारंपरिक रटने की बजाय समझने, विश्लेषण करने और व्यावहारिक ज्ञान के उपयोग पर जोर।

  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 और स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचा (NCFSE) 2023 के अनुसार।

  • स्कूलों के लिए अनिवार्य नहीं—CBSE फ्रेमवर्क देगा, लेकिन स्कूल चाहें तो इसे अपना सकते हैं।

  • पायलट स्टडी के परिणाम: 12% से 47% तक के स्कोर, शिक्षकों ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी।

  • पहले भी प्रयास: 2014 में ओपन टेक्स्ट बेस्ड एसेसमेंट (OTBA) शुरू किया था, लेकिन 2017 में बंद कर दिया।


ओपन बुक एसेसमेंट क्या है?

NCFSE 2023 के अनुसार, ओपन बुक टेस्ट वह होता है जिसमें छात्रों को प्रश्नों के उत्तर देते समय पाठ्यपुस्तकें, क्लास नोट्स, लाइब्रेरी की किताबें और अन्य संसाधनों का उपयोग करने की अनुमति होती है।

यह परीक्षा:

  • स्मृति-आधारित सवालों की बजाय समझ, विश्लेषण और व्यावहारिक उपयोग पर केंद्रित होती है।

  • रटकर याद करने की बजाय अवधारणाओं को समझने पर जोर देती है।

  • वास्तविक जीवन के समस्या-समाधान कौशल का परीक्षण करती है।


CBSE के निर्णय का विवरण

मंजूरी प्रक्रिया

  • जून 2025 की गवर्निंग बॉडी मीटिंग में यह प्रस्ताव पास किया गया।

  • नवंबर 2023 में पाठ्यक्रम समिति द्वारा चर्चा के बाद अनुमोदन।

  • दिसंबर 2023 में 9-12 कक्षाओं के लिए पायलट स्टडी की मंजूरी दी गई थी।

परीक्षा संरचना

  • प्रत्येक टर्म में तीन पेन-पेपर परीक्षा होंगी।

  • मुख्य विषय: भाषा, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान।

  • छात्र टेक्स्टबुक, क्लास नोट्स और अनुमोदित संसाधन का उपयोग कर सकेंगे।

स्कूलों की भूमिका

  • यह स्कूलों के लिए अनिवार्य नहीं होगा।

  • CBSE एक फ्रेमवर्क और गाइडलाइन तैयार करेगा।

  • स्कूल अपनी इच्छा अनुसार इसे internal assessment में शामिल कर सकते हैं।


पायलट स्टडी के परिणाम

छात्र प्रदर्शन

  • स्कोर रेंज: 12% से 47% तक

  • मुख्य चुनौती: संसाधनों का प्रभावी उपयोग और अंतर-विषयक अवधारणाओं को समझने में कठिनाई

  • बिना अतिरिक्त पठन सामग्री के क्रॉस-कटिंग थीम्स पर आधारित था

शिक्षकों की प्रतिक्रिया

  • सकारात्मक दृष्टिकोण: शिक्षकों ने OBA की क्षमता देखी

  • आलोचनात्मक सोच विकास की संभावना पर जोर

  • संरचित मार्गदर्शन की आवश्यकता महसूस की


उद्देश्य और लक्ष्य

शैक्षिक सुधार

  • रटकर सीखने से दक्षता-आधारित शिक्षा की ओर बदलाव

  • परीक्षा का तनाव कम करना

  • वास्तविक जीवन में ज्ञान के प्रयोग को बढ़ावा

  • अवधारणात्मक स्पष्टता बढ़ाना

NEP 2020 के लक्ष्य

  • उच्च-स्तरीय सोच कौशल का विकास

  • समस्या-समाधान क्षमता बढ़ाना

  • आलोचनात्मक चिंतन को प्रोत्साहन


पिछला अनुभव: OTBA (2014-2017)

CBSE ने पहले भी Open Text Based Assessment (OTBA) का प्रयोग किया था:

OTBA की विशेषताएं

  • कक्षा 9: हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान

  • कक्षा 11: अर्थशास्त्र, जीव विज्ञान, भूगोल

  • छात्रों को चार महीने पहले रेफरेंस मैटेरियल दिया जाता था

क्यों बंद किया गया?

  • आलोचनात्मक क्षमताओं के विकास में सीमित सफलता

  • छात्रों और शिक्षकों की नकारात्मक प्रतिक्रिया

  • वांछित परिणाम नहीं मिले


नया दृष्टिकोण (2026-27)

सुधारे गए तत्व

  • मानकीकृत सैंपल पेपर की तैयारी

  • संरचित मार्गदर्शन प्रदान करना

  • संदर्भ सामग्री का बेहतर उपयोग सिखाना

  • प्रासंगिक ज्ञान के प्रयोग पर जोर

कार्यान्वयन रणनीति


चुनौतियां और समाधान

मुख्य चुनौतियां

  • संसाधनों का प्रभावी उपयोग सिखाना

  • अंतर-विषयक समझ विकसित करना

  • उच्च-स्तरीय प्रश्न बनाना

प्रस्तावित समाधान

  • व्यापक teacher training कार्यक्रम

  • विस्तृत गाइडलाइन और फ्रेमवर्क

  • नियमित मॉनिटरिंग और फीडबैक


CBSE का यह कदम भारतीय शिक्षा व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत है। यह रटकर सीखने की पारंपरिक पद्धति से हटकर समझ-आधारित और व्यावहारिक शिक्षा की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।

हालांकि पायलट स्टडी के मिश्रित परिणाम चुनौतियों को दर्शाते हैं, शिक्षकों की सकारात्मक प्रतिक्रिया और NEP 2020 के लक्ष्यों के साथ तालमेल इस पहल की सफलता की संभावना को बढ़ाता है।

सफलता के लिए उचित प्रशिक्षण, मार्गदर्शन और क्रमिक कार्यान्वयन आवश्यक होगा। यह छात्रों की तनावमुक्त और समझ-आधारित शिक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।

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