images

‘बिना नोटिस के किसी भी वोटर का नाम नहीं हटाया जाएगा’ : चुनाव आयोग

‘बिना नोटिस के किसी भी वोटर का नाम नहीं हटाया जाएगा’ : चुनाव आयोग


हाइलाइट्स

  • निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वस्त किया कि बिहार में किसी भी पात्र मतदाता का नाम बिना नोटिस और सुनवाई के मतदाता सूची से नहीं हटाया जाएगा

  • आयोग ने स्पष्ट किया कि मसौदा मतदाता सूची से बाहर किए गए लोगों की अलग सूची बनाना या साझा करना आवश्यक नहीं है, क्योंकि कानून या नियमों में ऐसी मजबूरी नहीं है।

  • मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के तहत 65 लाख नाम मसौदा सूची में नहीं रखे गए, जिनमें अधिकांश मृतक या अन्य राज्य/देश में पलायन कर चुके हैं।

  • आयोग ने चरणबद्ध और पारदर्शी प्रक्रिया अपनाने का दावा किया—प्रत्येक संभावित विलोपन से पहले नोटिस, सुनवाई और तार्किक आदेश जारी किया जाएगा।

  • सुप्रीम कोर्ट ने आयोग को deleted मतदाताओं की विधानसभा वार व बूथ वार सूची देने का निर्देश दिया था, जिस पर आयोग ने कानून के अनुसार जवाब दिया।


क्या कहता है निर्वाचन आयोग का हलफनामा?

  • प्राकृतिक न्याय का पालन: आयोग के अनुसार, मसौदा सूची से किसी का नाम हटाने से पहले पूर्व सूचना (नोटिस), सुनवाई का अवसर और कारणयुक्त आदेश देना अनिवार्य है।

  • मसौदा सूची “अंतिम निर्णय” नहीं: मसौदा सूची से बाहर किया जाना केवल “वर्क इन प्रोग्रेस” प्रक्रिया है—अंतिम रूप से नाम हटाने का मतलब नहीं, जब तक पूरी प्रक्रिया और आपत्तियों की सुनवाई नहीं हो जाती।

  • विलोपन सूची सार्वजनिक करना जरूरी नहीं: आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि मौजूदा कानून और निर्वाचन नियम (Rule 10 और 11, The Registration of Electors Rules, 1960) मतदाता सूची से हटाए गए नामों की सार्वजनिक सूची बनाने या साझा करने की बाध्यता नहीं रखते

  • आयोग ने इस सूची को राजनीतिक दलों के बूथ लेवल एजेंटों के साथ साझा किया ताकि गलत विलोपन की गणना और सुधार (reconsideration) की जा सके।

  • नोटिस और सुनवाई के बाद ही अंतिम विलोपन: हर विलोपित व्यक्ति को दस्तावेज देने, आपत्ति दाखिल करने, और सुनवाई का अवसर मिलेगा। इसके बाद ही चुनाव अधिकारी द्वारा कारणयुक्त आदेश पास किया जाएगा।


विलोपन के कारण

  • आयोग ने बताया कि मृतक, पलायन (migration), डुप्लीकेट एंट्री (duplicate), ट्रेस न होने (untraceable) जैसी श्रेणियों में नाम हटाए गए।

  • मसौदा सूची में 65 लाख नाम हटे: जिनमें से अधिकांश उपरोक्त श्रेणियों में आते हैं।

  • सार्वजनिक अभियोजन और आपत्तियों का अधिकार: अगस्त 1 से सितम्बर 1, 2025 तक कोई भी नागरिक मसौदा सूची के विरुद्ध आपत्ति दाखिल कर सकता है; सम्पूर्ण प्रक्रिया के बाद अंतिम मतदाता सूची 30 सितम्बर 2025 को प्रकाशित होगी।


सुप्रीम कोर्ट की भूमिका और आगे की सुनवाई

  • सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने आयोग से विस्तृत जवाब, कारण और विलोपित नामों की सूची मांगी थी। आयोग ने कानून के हवाले से जवाब में कहा—सूची या कारण प्रकाशित करना बाध्यकारी नहीं है

  • साथ ही यह सुनिश्चित किया कि कोई भी पात्र वोटर, गलती से सूची से न हटे, और अगर हटता है तो उसे पूरा मौका मिलेगा अपनी बात रखने का।


स्थानीय और सामाजिक प्रभाव

  • विपक्षी दलों और नागरिक अधिकार समूहों ने पारदर्शिता की कमी और संभावित ” वोट चोरी ” का आरोप लगाया था।

  • आयोग ने विधिक प्रक्रिया और अधिकारों की रक्षा के लिए दो स्तरीय अपील प्रणाली (appeal mechanism) भी शुरू की है।

  • वर्तमान मसौदा पर आपत्तियों और संशोधन का अवसर चालू है।

बिहार में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण के दौरान, निर्वाचन आयोग ने कानून के मुताबिक प्रक्रिया अपनाई है—जब तक अंतिम सुनवाई, नोटिस, और आदेश नहीं होता, किसी भी पात्र व्यक्ति का नाम मतदाता सूची से स्थायी रूप से नहीं हटाया जाएगा
आयोग ने स्पष्ट किया है कि मसौदा सूची से विलोपित नामों की अलग सूची सार्वजनिक करना या कारण प्रकाशित करना बाध्यकारी नहीं है, लेकिन सही और पारदर्शी प्रणाली लागू की जा रही है।
सभी नागरिकों को यदि नाम हटाने की नोटिस मिले, तो समय रहते आपत्ति और दस्तावेज प्रस्तुत करें। अंतिम सूची 30 सितंबर को प्रकाशित होने के बाद ही तय होगा कि कौन वोटर रहेगा और कौन बाहर।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *