रजिस्टर्ड डाक बंद होगी, स्पीड पोस्ट बनेगी नई मानक सेवा: 1 सितंबर 2025 से बड़ा बदलाव
हाइलाइट्स
1 सितंबर 2025 से रजिस्टर्ड पोस्ट की सेवाएं स्पीड पोस्ट में समाहित की जाएंगी।
कानूनी मान्य “प्रूफ ऑफ डिलीवरी”, ऐड्रेस़ी-ओनली डिलीवरी, ट्रैकिंग जैसी सुविधाएं अब स्पीड पोस्ट के “रजिस्ट्रेशन” विकल्प के साथ उपलब्ध रहेंगी।
रजिस्टर्ड पोस्ट का उपयोग 2011-12 में 244.4 मिलियन से घटकर 2019-20 में 184.6 मिलियन पर आ गया—लगभग 25% कमी।
रजिस्टर्ड पोस्ट की शुरुआती फीस लगभग ₹25.96 (प्रत्येक अतिरिक्त 20 ग्राम पर ₹5), जबकि स्पीड पोस्ट 50 ग्राम तक ₹41 से—यानी खर्च लगभग 20-25% अधिक।
सभी सरकारी दफ्तरों, अदालतों, शिक्षा संस्थानों सहित बड़े उपयोगकर्ताओं को 1 सितंबर तक स्पीड पोस्ट पर शिफ्ट होने के निर्देश।
आधुनिकीकरण के तहत सिस्टम, सॉफ्टवेयर और SOP अपडेट—पोस्टल नेटवर्क में गति, कनेक्टिविटी और पारदर्शिता बढ़ाने का लक्ष्य।
भारत के डाक विभाग ने 1 सितंबर 2025 से एक बड़ा बदलाव लागू करने का फैसला किया है—रजिस्टर्ड पोस्ट को स्पीड पोस्ट में मर्ज किया जाएगा, यानी अब अलग से रजिस्टर्ड पोस्ट सेवा नहीं चलेगी, बल्कि उसकी प्रमुख सुविधाएं स्पीड पोस्ट की छतरी के नीचे जारी रहेंगी। यह निर्णय आधुनिकीकरण, कार्यकुशलता और सेवा-संगठन को सरल बनाने की व्यापक योजना का हिस्सा है, जिसमें नेटवर्क, सॉफ्टवेयर, प्रक्रियाएं और ग्राहक-इंटरफेस को एकरूप किया जा रहा है। विभाग ने सभी बड़े उपयोगकर्ताओं—खासकर सरकारी विभागों, अदालतों और शिक्षा संस्थानों—को समयसीमा के भीतर स्पीड पोस्ट अपनाने का निर्देश भी दिया है।
बदलाव की जरूरत क्यों पड़ी
पिछले दशक में रजिस्टर्ड पोस्ट का इस्तेमाल निरंतर घटा है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 2011-12 में लगभग 244.4 मिलियन पंजीकृत लेख बुक हुए थे, जो 2019-20 में घटकर 184.6 मिलियन रह गए—करीब एक-चौथाई कमी। यह गिरावट डिजिटल संचार, प्राइवेट कूरियर, और ई-कॉमर्स लॉजिस्टिक्स के विस्तार से तेज हुई है। नतीजतन, समान प्रकृति वाली सेवाओं को एकीकृत कर सिंगल, तेज और ट्रैक योग्य फ्रेमवर्क खड़ा करना विभाग का लक्ष्य बना।
डाक विभाग की 2 जुलाई 2025 की आधिकारिक दिशा-निर्देश/सर्कुलर-आधारित कवरेज में स्पष्ट है कि यह मर्जर 1 सितंबर 2025 से प्रभावी होगा और इसके लिए सॉफ्टवेयर तथा डॉक्युमेंटेशन अपडेट समय से पहले पूरे करने के निर्देश दिए गए हैं। इस कदम का मकसद डुप्लीकेशन खत्म कर गति, ट्रैकिंग की सटीकता, और ऑपरेशनल एफिशिएंसी बढ़ाना है।
क्या बदलेगा, क्या वही रहेगा
क्या बंद होगा: अलग से चलने वाली रजिस्टर्ड पोस्ट सेवा का नाम और स्वतंत्र रूप से उसका बुकिंग चैनल बंद होगा; सभी बुकिंग अब स्पीड पोस्ट के अंतर्गत होंगी।
क्या मिलेगा: रजिस्टर्ड पोस्ट की मुख्य सुविधाएं—जैसे सुरक्षित हैंडलिंग, प्रूफ ऑफ डिलीवरी, ऐड्रेस़ी-ओनली डिलीवरी, अकनॉलेजमेंट/रीसीट—अब स्पीड पोस्ट के साथ “रजिस्ट्रेशन/ऐड-ऑन” विकल्प के रूप में उपलब्ध रहेंगी।
डिलीवरी का नियम: सामान्य स्पीड पोस्ट लेटर/पार्सल में एड्रेस-स्पेसिफिक डिलीवरी रहेगी, पर “स्पीड पोस्ट विद रजिस्ट्रेशन” चुनने पर केवल नामित प्राप्तकर्ता को ही सुपुर्दगी होगी—यानी जो कानूनी/आधिकारिक भेजतें हैं उन्हें जरूरी कानूनी प्रमाण पहले की तरह मिल सकेगा।
प्रोसेसिंग: सॉर्टिंग/प्रोसेसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को एकीकृत किया गया है ताकि बैकएंड में देरी घटे, रूटिंग बेहतर हो और टर्नअराउंड टाइम कम हो।
सॉफ्टवेयर/फॉर्म: विभागीय निर्देशों के मुताबिक सभी फॉर्म, रसीद, वेबसाइट/मेन्यू और टेम्प्लेट में “रजिस्टर्ड पोस्ट” शब्द हटाकर स्पीड पोस्ट के अनुरूप अपडेट किए जाएंगे।
इन परिवर्तनों का सार यह है कि सेवा का कानूनी भरोसा और दस्तावेज़ी प्रमाण बरकरार रहेगा, जबकि गति और ट्रैकिंग अब स्पीड पोस्ट की ताकत से और सुदृढ़ होगी।
कीमत का असर और पहुंच
अब तक रजिस्टर्ड पोस्ट की शुरुआती कीमत लगभग ₹25.96 रही है और हर 20 ग्राम पर करीब ₹5 अतिरिक्त लगते रहे हैं; इसके मुकाबले स्पीड पोस्ट की कीमत 50 ग्राम तक ₹41 से शुरू होती है—यानी लागत में औसतन 20-25% की बढ़ोतरी संभव है। यह अंतर छोटे कारोबारियों, किसानों, और दूर-दराज़ के उपभोक्ताओं की जेब पर असर डाल सकता है, जो लागत-संवेदनशील होते हैं। हालांकि, विभाग का तर्क है कि एकीकृत नेटवर्क तेज डिलीवरी, बेहतर कनेक्टिविटी, और पारदर्शी ट्रैकिंग से उपयोगकर्ता अनुभव सुधारेगा, जिससे मूल्य के अनुपात में कुल लाभ बढ़ेगा।
स्थानीय अनुभव बताते हैं कि ग्रामीण मंडियों के कॉन्ट्रैक्ट, सहकारी समितियों के सूचना पत्र, और पंचायतों/अदालतों की नोटिस जैसी भेजतों में पहले रजिस्टर्ड पोस्ट का भरोसा प्रमुख था। अब वही काम “स्पीड पोस्ट विद रजिस्ट्रेशन” चुने जाने पर समान कानूनी सुरक्षा और तेज़ी के साथ संभव होगा—उदाहरण के तौर पर, कोर्ट नोटिस के लिए एड्रेस़ी-ओनली सुपुर्दगी और अकनॉलेजमेंट पहले की तरह साक्ष्य के रूप में उपलब्ध रहेंगे।
संस्थाओं के लिए क्या करना जरूरी
समयसीमा: सभी सरकारी दफ्तर, अदालतें, शैक्षणिक संस्थान, और बड़े उपयोगकर्ता 1 सितंबर 2025 से पहले स्पीड पोस्ट पर पूर्ण शिफ्ट करें।
SOP: विभाग ने SOP, वर्कफ्लो, स्टाफ ट्रेनिंग और ग्राहक जागरूकता कार्यक्रमों के निर्देश जारी किए हैं ताकि परिवर्तन बिना बाधा लागू हो सके।
डॉक्युमेंट अपडेट: सभी फॉर्म/लेटरहेड/टेम्पलेट से “रजिस्टर्ड पोस्ट” हटाकर स्पीड पोस्ट के अनुरूप ज़िक्र करें, और जहां ऐड्रेस़ी-ओनली/प्रूफ ऑफ डिलीवरी की जरूरत हो, वहां “रजिस्ट्रेशन” को अनिवार्य करें।
यह प्रशासनिक अनुशासन अदालतों/विभागों के रिकॉर्ड-रखाव में कानूनी अनुरूपता और डिजिटल ट्रेसबिलिटी सुनिश्चित करेगा।
स्पीड पोस्ट बनाम रजिस्टर्ड पोस्ट: व्यावहारिक अंतर
उद्देश्य: रजिस्टर्ड पोस्ट का मूल जोर सुरक्षा और कानूनी प्रमाण पर था; स्पीड पोस्ट का मूल फोकस समयबद्ध, तेज़ डिलीवरी पर है।
डिलीवरी नियम: रजिस्टर्ड—केवल नामित प्राप्तकर्ता; स्पीड—पते पर कोई भी ग्रहणकर्ता; पर अब “स्पीड पोस्ट विद रजिस्ट्रेशन” लेने पर रजिस्टर्ड-जैसी ऐड्रेस़ी-ओनली डिलीवरी मिलेगी।
ट्रैकिंग: रीयल-टाइम ट्रैकिंग और डिजिटल अपडेट स्पीड पोस्ट की मुख्य विशेषता है, जो अब रजिस्टर्ड की सुरक्षा-सुविधाओं के साथ सम्मिलित होगी।
शुल्क: रजिस्टर्ड अपेक्षाकृत सस्ता, स्पीड पोस्ट थोड़ा महंगा—कुल मिलाकर 20-25% अधिक, केस-टू-केस वजन/दूरी पर निर्भर।
उपयोग: कानूनी/आधिकारिक भेजतों के लिए—अब “रजिस्ट्रेशन के साथ स्पीड पोस्ट” चुनना व्यावहारिक समाधान है।
यह पुनर्संरचना सरल विकल्प देती है—यदि कानूनी प्रमाण चाहिए तो रजिस्ट्रेशन ऐड-ऑन चुनें; यदि सामान्य तेज़ भेजना है, तो मानक स्पीड पोस्ट पर्याप्त है।
ग्रामीण और छोटे कारोबारियों पर संभावित प्रभाव
ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां डिजिटल विकल्प सीमित हैं, और किराना/कृषि-आधारित छोटे व्यापारी किफायती डाक पर निर्भर रहते हैं, लागत बढ़ोतरी चिंता बढ़ा सकती है। पर डोर-टू-डोर तेज़ डिलीवरी, रीयल-टाइम ट्रैकिंग, और ऐड्रेस़ी-ओनली विकल्प के चलते पार्सल के रिटर्न/मिस-डिलीवरी की घटनाएं घट सकती हैं—जो कुल लागत-लाभ समीकरण में संतुलन ला सकती हैं। स्थानीय पंचायत/कृषि मंडी/कोऑपरेटिव को सलाह दी जा रही है कि जिन संचारों में कानूनी मान्यता आवश्यक हो, वहां रजिस्ट्रेशन विकल्प अनिवार्य करें, जबकि सामान्य लेनदेन में मानक स्पीड पोस्ट पर्याप्त रहेगी।
उपभोक्ता के लिए चरणबद्ध मार्गदर्शिका
क्या यह कानूनी/आधिकारिक दस्तावेज़ है? यदि हां, तो “स्पीड पोस्ट विद रजिस्ट्रेशन” चुनें ताकि ऐड्रेस़ी-ओनली डिलीवरी और प्रूफ ऑफ डिलीवरी मिले।
वज़न और गंतव्य के अनुसार शुल्क देखें: प्रारंभिक सीमा 50 ग्राम तक ₹41 (स्थान के अनुसार परिवर्तन संभव), रजिस्टर्ड की तुलना में कुल खर्च अधिक हो सकता है।
बुकिंग के समय विकल्प सुनिश्चित करें: काउंटर/ऑनलाइन बुकिंग में रजिस्ट्रेशन/अकनॉलेजमेंट विकल्प स्पष्ट रूप से मार्क करें।
ट्रैकिंग का उपयोग: स्पीड पोस्ट की रीयल-टाइम ट्रैकिंग से यात्रा-स्थिति देखें; कानूनी उपयोग हेतु डिलीवरी अकनॉलेजमेंट सुरक्षित रखें।
दस्तावेज़ी अनुपालन: अदालत/विभाग के निर्देशानुसार प्रूफ ऑफ डिलीवरी की डिजिटल/हार्ड कॉपी फाइलिंग करें।
ये कदम कानूनी सुरक्षा और सुविधाजनक डिलीवरी दोनों सुनिश्चित करते हैं।
प्रशासन और न्यायालयों के लिए नीतिगत निहितार्थ
अदालतें, वैधानिक निकाय और सरकारी विभाग, जो परंपरागत रूप से रजिस्टर्ड पोस्ट के माध्यम से सर्विस ऑफ नोटिस और रिकॉर्ड-प्रूफ पर निर्भर रहे हैं, अब अपने रूल्स/प्रैक्टिस डायरेक्शंस में “रजिस्टर्ड पोस्ट” के स्थान पर “स्पीड पोस्ट विद रजिस्ट्रेशन” को मानकीकृत कर सकते हैं। इससे डिलीवरी समय घटेगा, ट्रैकिंग पारदर्शिता बढ़ेगी और केस-मैनेजमेंट में देरी कम होगी।
आर्थिक दृष्टि: सेवा-एकीकरण से संभावित लाभ
बैकएंड लॉजिस्टिक्स लेयर घटने से ट्रांजिट डिलेज़ कम, रूटिंग बेहतर।
इन्फ्रास्ट्रक्चर और सॉफ्टवेयर की समानता से ऑपरेशनल कॉस्ट का कुल-योग घटने की संभावना—लंबी अवधि में दक्षता लाभ।
ग्राहक अनुभव—एक ही छत के नीचे स्पीड + सुरक्षा—से सेवा-चयन सरल, भ्रम कम।
यही कारण है कि विभाग ने इसे आधुनिकीकरण और रैशनलाइजेशन की दिशा में निर्णायक कदम बताया है।
क्या रजिस्टर्ड पोस्ट सचमुच “खत्म” हो रही है?
विभागीय/मंत्रालयी स्पष्टीकरण के मुताबिक, मूल विचार “खत्म” करने का नहीं, बल्कि रजिस्टर्ड फीचर्स को स्पीड पोस्ट के भीतर एकीकृत कर देने का है—यानी फीचर्स बने रहेंगे, प्लेटफॉर्म एक हो जाएगा। सरल भाषा में: जो भरोसा रजिस्टर्ड से मिलता था, वह अब स्पीड पोस्ट के भीतर “रजिस्ट्रेशन” चुनने पर उपलब्ध रहेगा। साथ ही, रीयल-टाइम ट्रैकिंग और तेज़ डिलीवरी का फायदा अतिरिक्त रूप से मिलेगा।
व्यवहार में यह कैसे काम आएगा
किसान क्रेडिट, भूमि अभिलेख, या सहकारी समिति की अधिकृत सूचना: “स्पीड पोस्ट विद रजिस्ट्रेशन” चुनें—केवल नामित व्यक्ति को सुपुर्दगी व डिलीवरी प्रमाण मिलेगा; ट्रैकिंग से देरी/गुमशुदगी का जोखिम घटेगा।
विश्वविद्यालय/बोर्ड की अधिसूचनाएं: बड़े पैमाने पर स्पीड पोस्ट से टर्नअराउंड सुधरेगा; जहां कानूनी साक्ष्य आवश्यक, वहां रजिस्ट्रेशन जोड़ें।
MSME/स्टार्टअप के कॉन्ट्रैक्ट/इनवॉइस/नोटिस: किफायत बनाम जोखिम का आकलन कर—कानूनी जोखिम वाले मामलों में रजिस्ट्रेशन, अन्य में सामान्य स्पीड पोस्ट से गति बढ़ेगी।
स्थानीय डाकघरों को भी निर्देश हैं कि काउंटर पर उपभोक्ताओं को सही विकल्प की सलाह दें ताकि कानूनी और परिचालन—दोनों जरूरतें पूरी हों।
आम सवाल-जवाब (FAQ)
क्या 1 सितंबर 2025 के बाद “रजिस्टर्ड पोस्ट” नाम से बुकिंग होगी?
नहीं। बुकिंग स्पीड पोस्ट के तहत होगी; रजिस्ट्रेशन/अकनॉलेजमेंट जैसे विकल्प ऐड-ऑन के रूप में उपलब्ध होंगे।क्या अदालत/सरकारी नोटिस के लिए पहले जैसी कानूनी मान्यता मिलेगी?
हां, “स्पीड पोस्ट विद रजिस्ट्रेशन” के तहत ऐड्रेस़ी-ओनली डिलीवरी और प्रूफ ऑफ डिलीवरी उपलब्ध रहेंगे।क्या कीमत बढ़ेगी?
बेसिक तुलना में स्पीड पोस्ट की लागत 20-25% तक अधिक पड़ सकती है; वास्तविक शुल्क वजन/गंतव्य पर निर्भर करेगा।ट्रैकिंग कैसी होगी?
रीयल-टाइम ट्रैकिंग और डिजिटल स्टेटस अपडेट स्पीड पोस्ट की प्रमुख ताकत हैं, जो अब रजिस्ट्रेशन वाले आइटम्स पर भी लागू होंगी।क्या कोई ट्रांजिशन सपोर्ट/ट्रेनिंग है?
हां, विभाग ने SOP, वर्कफ्लो, सॉफ्टवेयर बदलाव और जागरूकता के निर्देश जारी किए हैं।
नीति संदेश: सरल, तेज और भरोसेमंद डाक
यह परिवर्तन भारतीय डाक नेटवर्क को सरल बनाते हुए गति और भरोसा—दोनों को एक मंच पर लाता है। एक तरफ डिजिटल युग की जरूरतों के अनुरूप रीयल-टाइम पारदर्शिता मिलती है, दूसरी तरफ कानूनी प्रमाण की परंपरागत आवश्यकताएं भी “स्पीड पोस्ट विद रजिस्ट्रेशन” द्वारा पूरी होती हैं। यही वह संतुलन है जो आधुनिकीकरण और जन-विश्वास को साथ लेकर चलता है।
1 सितंबर 2025 से भारत में रजिस्टर्ड पोस्ट की अलग पहचान इतिहास का हिस्सा बनेगी, मगर उसकी आत्मा—यानी सुरक्षा, ऐड्रेस़ी-ओनली सुपुर्दगी, और प्रूफ ऑफ डिलीवरी—अब स्पीड पोस्ट के साथ एकीकृत रूप में और अधिक तेज़ व ट्रैक योग्य ढंग से उपलब्ध रहेगी। उपयोगकर्ताओं—खासतौर से सरकारी संस्थाओं, अदालतों, विश्वविद्यालयों, MSME और ग्रामीण क्षेत्रों—को बस इतना करना होगा कि वे बुकिंग करते समय “रजिस्ट्रेशन” विकल्प चुनना न भूलें, ताकि कानूनी मान्यता और डिलीवरी प्रमाण सुरक्षित रहे। कीमत में मामूली बढ़ोतरी के बावजूद, गति, ट्रैकिंग, और ऑपरेशनल पारदर्शिता का संयुक्त लाभ इस बदलाव को व्यावहारिक बनाता है।



