पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का निधन, दिल्ली के राममनोहर लोहिया अस्पताल में ली अंतिम सांस
नई दिल्ली, 05 अगस्त 2025: पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का मंगलवार को दिल्ली के राममनोहर लोहिया अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वह लंबे समय से गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे, और चिकित्सकों के तमाम प्रयासों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका। उनके निधन की पुष्टि उनके आधिकारिक एक्स अकाउंट से की गई, जहां उनके निजी सहायक ने 9 जुलाई को उनकी गंभीर स्थिति की जानकारी साझा की थी।
सत्यपाल मलिक का राजनीतिक सफर छात्र राजनीति से शुरू हुआ और वह समाजवादी विचारधारा से जुड़े रहे। उन्होंने जम्मू-कश्मीर, गोवा, मेघालय, बिहार और ओडिशा जैसे राज्यों में राज्यपाल के रूप में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाईं। 2017 से 2022 तक उन्होंने पांच अलग-अलग राज्यों में राज्यपाल का पद संभाला। विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर में उनके कार्यकाल के दौरान धारा 370 को निरस्त किया गया और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों—जम्मू-कश्मीर और लद्दाख—में विभाजित किया गया। इस दौरान उनकी भूमिका चर्चा और विवादों का विषय बनी।
मलिक अपने स्पष्टवादी रवैये के लिए जाने जाते थे। किसान आंदोलन के दौरान उन्होंने केंद्र सरकार के तीन विवादास्पद कृषि कानूनों का खुलकर विरोध किया और सरकार से इन्हें वापस लेने की मांग की। वह कई किसान पंचायतों में शामिल हुए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधे सवाल उठाए, जिसके कारण वह सुर्खियों में रहे। हाल के वर्षों में वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से जुड़े रहे, लेकिन कई मौकों पर उन्होंने सरकार की नीतियों की आलोचना की।
सत्यपाल मलिक खुद को चौधरी चरण सिंह का अनुयायी मानते थे और समाजवादी मूल्यों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता उनके कार्यों में झलकती थी। उनके निधन से देश ने एक निष्पक्ष और निर्भीक राजनेता को खो दिया है।



