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सोशल मीडिया और ट्रेडिंग से कमाई का ब्योरा देना हुआ अनिवार्य: आयकर विभाग का बड़ा कदम

सोशल मीडिया और ट्रेडिंग से कमाई का ब्योरा देना हुआ अनिवार्य: आयकर विभाग का बड़ा कदम

हाइलाइट्स

  • आयकर विभाग ने आईटीआर-3 और आईटीआर-4 फॉर्म में 5 नई पेशेवर श्रेणियां (कोड) जोड़ीं।

  • अब सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर/यूट्यूबर/ब्लॉगर सहित वायदा- विकल्प ट्रेडर, कमीशन एजेंट, सट्टा कारोबार से जुड़े लोगों को अपनी आय का विस्तृत ब्योरा देना अनिवार्य

  • सोशल मीडिया कमाई के लिए नया पेशेवर कोड 16021 निर्धारित, आईटीआर फॉर्म में आय के अनुरूप कोड का चयन जरूरी।

  • गलत/छुपाई गई जानकारी पर आयकर विभाग कार्रवाई के लिए तैयार

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डिजिटल युग में तेजी से पनपते नए करियर विकल्प – जैसे यूट्यूब, इंस्टाग्राम, फेसबुक, ऑनलाइन कोचिंग व एफएंडओ (फ्यूचर्स-ऑप्शंस) ट्रेडिंग – अब कर प्रशासन की सतत निगरानी में आ गए हैं। आयकर विभाग ने आईटीआर फॉर्म्स में बड़ा बदलाव करते हुए इन पारंपरिक व आधुनिक सभी पेशों के लिए कोड आधारित वर्गीकरण शुरू किया है, जिससे कर अनुपालन, पारदर्शिता और कर चोरी पर रोक लगे।

क्या हैं नए बदलाव? कौन-कौन से कोड शामिल?

2025 से लागू आईटीआर-3 और 4 फॉर्म में निम्नलिखित पेशेवर कोड जोड़ दिए गए हैं:

कोडपेशा/व्यवसाय
09029कमीशन एजेंट
16021सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर
21009सट्टा कारोबार
21010वायदा-विकल्प ट्रेडर
21011शेयर खरीद-विक्रय

अब तक सोशल मीडिया या ट्रेडर “अन्य” कैटेगरी में आय दिखाते थे, जिससे विभाग को पेशा पहचानने में दिक्कत होती थी। नए कोड से प्रत्येक रिटर्न दाता को अपनी वास्तविक पेशवर पहचान दर्ज करनी होगी।

सोशल मीडिया से कमाई वालों पर क्या असर?

  • कोड 16021 खास तौर से सोशल प्लेटफॉर्म (इंस्टाग्राम, यूट्यूब, फेसबुक आदि), कंटेंट क्रिएटर्स, प्रमोशन या विज्ञापन के जरिए कमाने वालों के लिए तय किया गया है।

  • ये कोड ऑफलाइन-ऑनलाइन आईटीआर यूटिलिटी टूल दोनों में उपलब्ध है।

  • अब इन्फ्लुएंसर, ब्लॉगर्स, ऑनलाइन कोच, यूट्यूबर को अपनी सारी डिजिटल आय नियमानुसार घोषित करनी होगी।

  • अनुमानित कराधान (Section 44ADA) चुनने पर आईटीआर-4, अन्यथा आईटीआर-3 चुनना होगा।

शेयर/एफएंडओ ट्रेडर और नए कोड

  • सक्रिय ट्रेडर्स के लिए कोड:

    • 21010: वायदा व विकल्प ट्रेडिंग (F&O)

    • 21011: शेयर खरीद-विक्रय

  • इन ट्रेडर्स को अब लाभ-हानि सहित सारी डिटेल आईटीआर-3 फॉर्म में देनी होगी।

पारदर्शिता और कर अनुपालन में क्या फायदा?

  • हर कमाई वाली श्रेणी की ट्रैकिंग आसान, कर चोरी की गुंजाइश कम।

  • विभाग के लिए रियल टाइम ट्रैकिंग और एनालिसिस संभव।

  • 20 लाख से अधिक वार्षिक डिजिटल आय वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है, ऐसे लोगों पर विभाग की नजर तेज होगी।

फॉर्म कैसे चुनें?

  • आईटीआर-3: यदि प्रोफेशनल इनकम, ट्रेडिंग, शेयर, कमीशन आदि से आय है और किताबें संधारित करते हैं।

  • आईटीआर-4 (सुगम): यदि अनुमानित कराधान का विकल्प चुना गया है (44ADA/44AD/44AE) और आय 50 लाख तक है।

क्या होगा अगर सही ब्योरा नहीं दिया?

आय का सही ब्योरा न देने, गलत पेशा कोड या छुपाने की कोशिश पर आयकर विभाग कार्रवाई करेगा। पिछले वर्षों में कई सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर, ट्रेडर व अन्य ने गलत जानकारी दी, जिसकी वजह से अब अधिक सख्ती बरती जा रही है।

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डिजिटल पेशेवरों, ट्रेडर और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर अब आयकर विभाग की मुख्य निगरानी में आ गए हैं। टेक्नोलॉजी के इस युग में आय छुपाना या गलत वर्गीकरण करना अब मुश्किल होगा। यदि आप डिजिटल प्लेटफॉर्म या ट्रेडिंग से आमदनी करते हैं, तो नए नियमों के तहत अपना सही कोड आरंभ से ही चुनें, और टैक्स फॉर्म भरते समय पूरी पारदर्शिता बरतें।

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