पद्मश्री डॉ. यशोधर मठपाल बंदरों के हमले में घायल
हाइलाइट्स
भीमताल के खुटानी इलाके में बंद ने किया हमला
पद्मश्री पुरस्कार विजेता डॉ. यशोधर मठपाल लहूलुहान
बेटे डॉ. सुरेश मठपाल ने कब्जे से भगाए बंदर
प्राथमिक उपचार घर पर ही, रैबीज का इंजेक्शन लगाया गया
भीमताल में पिछले एक साल में करीब 200 लोग बंदरों से घायल होकर इलाज कराने पहुंचे।
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पर्यावरण एवं पुरातत्व के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले पद्मश्री डॉ. यशोधर मठपाल पर शुक्रवार शाम भीमताल के खुटानी निवासी उनके घर के बाहर बंदरों के झुंड ने हमला कर दिया। वैज्ञानिक व गहरी समझ वाले इस वरिष्ठ पुरातत्त्ववेत्ता को मिली इस अप्रत्याशित चोट ने न केवल उनके स्वास्थ्य पर असर डाला, बल्कि स्थानीय निवासियों में बंदरों के बढ़ते आतंक को लेकर चिंता भी बढ़ा दी है।
घटना का विवरण
शुक्रवार शाम लगभग पांच बजे, जब डॉ. मठपाल अपने घर के बाहर खड़े थे, तभी कुछ दूर से आए बंदरों के झुंड ने उन पर अचानक ही झपट्टा मार दिया। हमले में डॉ. मठपाल के हाथ पर गहरे जख्म आ गए और रक्तस्राव होने लगा। चिल्लाहट सुनकर उनके पुत्र व चिकित्सक डॉ. सुरेश मठपाल दौड़े—उन्होंने लकड़ी और डंडों से बंदरों को खदेड़ा तथा घायल पिता को तुरंत अंदर सुरक्षित कमरे में ले आए।
प्राथमिक उपचार और मेडिकल बिंदु
परिवार ने घर पर ही स्थानीय चिकित्सक को बुलाया। डॉक्टर ने घावों की सफाई के बाद रैबीज के टीके की पहली खुराक लगाई और एंटीसेप्टिक दवाएं निर्धारित कीं। सुरेश मठपाल ने बताया, “डॉक्टर ने बताया कि त्वरित उपचार से संक्रमण की आशंका कम हो जाएगी, लेकिन घावों की गहरी प्रकृति के कारण आगे भी जांच और टीकाकरण जारी रहेगा।”
भीमताल में बंदरों का आतंक
भीमताल नगर में पिछले एक वर्ष में बंदरों के हमलों में भारी वृद्धि देखी गई है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ. हेमंत मर्तोलिया ने बताया कि पिछले 12 महीनों में करीब 200 से अधिक लोग बंदर हमले के इलाज के लिए अस्पताल पहुंचे, जिनमें सभी को रैबीज के टीके व प्राथमिक इलाज दिया गया। यह संख्या स्थानीय निवासियों के लिए चिंताजनक संकेत है।
वन विभाग और नगरपालिका की भूमिका
वन विभाग के रेंजर विजय मेलकानी ने बताया कि नई नियमावली के तहत नगर क्षेत्र में बंदरों के नियंत्रण का दायित्व स्थानीय निकाय नगरपालिका पर है, जबकि ग्रामीण इलाकों में वन विभाग सक्रिय होता है। भीमताल नगरपालिका अध्यक्ष सीमा टम्टा कहती हैं, “हमने पिंजरों के जरिए कई बंदरों को पकड़ा है और सोमवार को पुनः टीम भेजकर और जाल लगाए जाएंगे। फिर भी समस्या बने रहने के कारण हम बंदरों के व्यवहारिक अध्ययन व सतत् निगरानी पर जोर दे रहे हैं।”
कारण और समाधान
महासभा के वैज्ञानिकों का मानना है कि पेड़ों की कटाई और पर्यटन से मिलने वाले भोजन के कारण बंदरों का घना जनसंपर्क बढ़ा है। समाधान हेतु विशेषज्ञ सुझाव देते हैं:
पेड़-पौधों को पुनर्वनस्थापन
कचरा प्रबंधन एवं खुले भोजन के न रखने की व्यवस्था
स्थानीय विद्यालयों व सामाजिक संस्थानों द्वारा जागरूकता अभियान
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पद्मश्री डॉ. यशोधर मठपाल पर हुए इस हमले ने स्थानीय प्रशासन, वन विभाग तथा समाज-संगठनों को बंदरों के बढ़ते आतंक पर तीव्र कार्रवाई के लिए सतर्क कर दिया है। धनी वन्य जीवन व मानव बसाहट के अंतर्गत संतुलन बनाए रखने के लिए समन्वित प्रयासों की तत्काल आवश्यकता है, ताकि न मानवीय जीवन को खतरा रहे और न वन्य जीवन का अस्तित्व प्रभावित हो।