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उत्तराखंड में सरकारी कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर: पदोन्नति का रास्ता साफ, मुख्य सचिव ने तय की डेडलाइन

उत्तराखंड में सरकारी कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर: पदोन्नति का रास्ता साफ, मुख्य सचिव ने तय की डेडलाइन

हाइलाइट्स

  • उत्तराखंड में सरकारी कर्मचारियों की पदोन्नति प्रक्रिया में आएगी तेजी।

  • मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने सभी विभागों को 15 अगस्त तक रिक्त पदों की सूचना देने के दिए कड़े निर्देश।

  • चयन वर्ष 2025-26 के लिए पदोन्नति कोटे के पदों का होगा आंकलन।

  • समय पर विभागीय पदोन्नति समिति (DPC) की बैठकें सुनिश्चित करना है मुख्य उद्देश्य।

  • निर्देशों का पालन न करने वाले विभागों को बताना होगा स्पष्ट कारण।

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उत्तराखंड में विभिन्न सरकारी विभागों में वर्षों से अपनी पदोन्नति का इंतजार कर रहे हजारों कर्मचारियों के लिए एक उम्मीद की किरण जगी है। राज्य के मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने शासन की कार्यप्रणाली में चुस्ती और पारदर्शिता लाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने सभी विभागाध्यक्षों को सख्त निर्देश जारी करते हुए कहा है कि वे चयन वर्ष 2025-26 के लिए पदोन्नति कोटे से भरे जाने वाले सभी रिक्त पदों की विस्तृत जानकारी 15 अगस्त, 2025 तक अनिवार्य रूप से कार्मिक विभाग को सौंप दें। इस कदम का उद्देश्य लंबे समय से अटकी पड़ी पदोन्नति प्रक्रियाओं को गति देना और कर्मचारियों के मनोबल को बढ़ाना है।

क्यों तय की गई 15 अगस्त की समय सीमा?

मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने एक आधिकारिक निर्देश में स्पष्ट किया है कि सभी विभाग अपने यहां 1 जुलाई, 2025 की स्थिति के अनुसार पदोन्नति से भरे जाने वाले पदों का आंकलन करें। इस आंकलन की रिपोर्ट को एक निर्धारित प्रारूप में 15 अगस्त तक कार्मिक एवं सतर्कता विभाग को भेजना सुनिश्चित किया जाए। इस समय सीमा का निर्धारण इसलिए किया गया है ताकि विभागीय पदोन्नति समिति (DPC) की बैठकें समय पर आयोजित की जा सकें और पात्र कर्मचारियों को उनका हक मिल सके। अक्सर विभागों द्वारा जानकारी देने में देरी के कारण पूरी प्रक्रिया महीनों और सालों तक लटकी रहती है, जिससे कर्मचारियों में निराशा का भाव पैदा होता है।

शासन की मंशा: समयबद्ध और व्यवस्थित प्रक्रिया

इस निर्देश के पीछे शासन की मंशा पदोन्नति की प्रक्रिया को पूरी तरह से व्यवस्थित और समयबद्ध बनाना है। मुख्य सचिव का मानना है कि जब सभी विभागों से रिक्तियों का ब्यौरा समय पर मिल जाएगा, तो कार्मिक विभाग के लिए डीपीसी की बैठकों का कैलेंडर तैयार करना और उन्हें लागू करना आसान हो जाएगा। इससे न केवल प्रशासनिक कार्यों में सुधार होगा, बल्कि यह कर्मचारियों के प्रति सरकार की सकारात्मक और संवेदनशील सोच को भी दर्शाता है। यह कदम शासन में एक बेहतर कार्य संस्कृति को बढ़ावा देगा।

क्या है विभागीय पदोन्नति समिति (DPC) की भूमिका?

पदोन्नति प्रक्रिया का पहला चरण

किसी भी सरकारी कर्मचारी के करियर में विभागीय पदोन्नति समिति यानी डीपीसी का बहुत महत्व होता है। यही वह समिति है जो किसी कर्मचारी की सेवा, वरिष्ठता और प्रदर्शन के आधार पर उसे अगले पद पर पदोन्नत करने की सिफारिश करती है। इस प्रक्रिया का सबसे पहला और महत्वपूर्ण चरण रिक्त पदों की सही-सही जानकारी जुटाना है। यदि विभागों द्वारा यही जानकारी समय पर नहीं दी जाती, तो डीपीसी की बैठकें ही नहीं हो पातीं और पूरी प्रक्रिया ठप पड़ जाती है। मुख्य सचिव का नया निर्देश इसी पहली बाधा को दूर करने पर केंद्रित है।

पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना

मुख्य सचिव ने अपने निर्देश में यह भी स्पष्ट किया है कि यदि किसी विभाग में पदोन्नति कोटे के पद खाली हैं, लेकिन उन पर पदोन्नति नहीं की जा सकती है, तो इसका स्पष्ट और तर्कसंगत कारण बताना होगा। विभागों को यह उल्लेख करना होगा कि पात्र कार्मिक उपलब्ध न होने, अदालती मामले लंबित होने या किसी अन्य ठोस वजह से पदोन्नति क्यों रुकी हुई है। यह प्रावधान विभागों की जवाबदेही तय करेगा और मनमाने ढंग से पदोन्नति रोकने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाएगा।

कर्मचारियों पर क्या होगा इसका असर?

वर्षों के इंतजार का होगा अंत

उत्तराखंड के शिक्षा, स्वास्थ्य, राजस्व, पुलिस और अन्य कई विभागों में हजारों कर्मचारी ऐसे हैं जो पात्रता पूरी करने के बावजूद वर्षों से एक ही पद पर काम करने को मजबूर हैं। समय पर पदोन्नति न मिलना उनके मनोबल को कमजोर करता है और उनकी कार्यक्षमता पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। शासन के इस नए कदम से इन कर्मचारियों में एक नई उम्मीद जगी है कि जल्द ही उनके करियर को नई दिशा मिलेगी और उन्हें उनका वाजिब हक प्राप्त होगा।

बेहतर शासन की ओर एक कदम

जब कर्मचारियों को समय पर पदोन्नति मिलती है, तो वे अधिक लगन और उत्साह के साथ काम करते हैं। अनुभवी और योग्य कर्मचारी जब उच्च पदों पर पहुँचते हैं, तो इससे विभाग की कार्यप्रणाली में भी सुधार होता है। यह कदम न केवल कर्मचारियों के हित में है, बल्कि यह प्रदेश की जनता को एक बेहतर और कुशल प्रशासन देने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण पड़ाव है।

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मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन का यह निर्देश उत्तराखंड की प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार और कर्मचारी कल्याण की दिशा में एक सराहनीय पहल है। यह दिखाता है कि शासन कर्मचारियों की समस्याओं को लेकर गंभीर है और उन्हें दूर करने के लिए ठोस कदम उठा रहा है। यदि सभी विभाग इन निर्देशों का ईमानदारी से पालन करते हैं, तो निश्चित रूप से आने वाले महीनों में पदोन्नति प्रक्रिया में अभूतपूर्व तेजी देखने को मिलेगी। इससे न केवल कर्मचारियों का मनोबल बढ़ेगा, बल्कि एक पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासनिक तंत्र की नींव भी मजबूत होगी।

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