वरिष्ठता विवाद में राहत: सरकार वापस लेगी कोर्ट से प्रमोशन केस, 2800 से अधिक शिक्षकों को मिलेगा लाभ
मुख्य बिंदु (हाइलाइट्स)
शिक्षा विभाग एलटी कैडर के वरिष्ठता विवाद और प्रमोशन केस हाईकोर्ट से वापस लेगा
शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने फैसले की पुष्टि की, जल्द शुरू होगी प्रक्रिया
मामले सुलझते ही करीब 2,800 एलटी शिक्षकों को प्रवक्ता पद पर पदोन्नति (प्रमोशन) का रास्ता साफ
विभाग में कुल आठ केस कोर्ट में लंबित, जिनकी वजह से हज़ारों प्रमोशन रुके हुए थे
विवादों के हल से शिक्षा व्यवस्था होगी दुरुस्त, शिक्षक वर्ग ने फैसले का स्वागत किया
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उत्तराखंड के एलटी कैडर और प्रवक्ता पदों पर बीते वर्षों से लंबित वरिष्ठता एवं पदोन्नति (प्रमोशन) विवाद अब अपने अंतिम पड़ाव पर हैं। शिक्षा विभाग की ओर से पुष्टि हुई है कि सरकार हाईकोर्ट में चल रहे एलटी कैडर के वरिष्ठता संबंधी आठों मामलों को वापस लेने जा रही है। इससे वर्षों से अटके 2,800 से अधिक शिक्षकों के प्रमोशन की राह खुल जाएगी।
प्रमोशन और वरिष्ठता विवाद की पृष्ठभूमि
एलटी शिक्षकों की वरिष्ठता: 1995 के सरकारी आदेश (जीओ) के अंतर्गत तदर्थ विनियमित शिक्षकों ने अपनी नियमित सेवा की तिथि (1 अक्टूबर 1990) से वरिष्ठता मांग रखी थी।
प्रवक्ता पद पर प्रमोशन: 2010 में 2,000 एलटी शिक्षकों का प्रवक्ता कैडर में प्रमोशन हुआ तथा उन्हें बैक डेट से वरिष्ठता दी गई। इससे पहले से चयनित (2005) लोक सेवा आयोग प्रवक्ता असंतुष्ट होकर अदालत चले गए।
नतीजा: विभाग में एलटी, प्रवक्ता, प्रधानाध्यापक और प्रधानाचार्य स्तर पर हज़ारों पदोन्नति वर्षों से कोर्ट और वरिष्ठता विवाद के कारण रुकी हुई थीं। सरकारी स्कूलों में रिक्तियां और शिक्षकों में हताशा दोनों लगातार बनी रहीं।
सरकार का नया फैसला
शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के अनुसार—
“वरिष्ठता विवाद पर वित्त, कार्मिक और न्याय विभाग के विशेषज्ञ, अधिकारियों के साथ व्यापक विचार-विमर्श किया गया है। सभी पहलुओं की समीक्षा के बाद निर्णय लिया गया कि शिक्षा विभाग से जुड़े इन प्रमुख आठ केसों को कोर्ट से वापस लिया जाएगा। शीघ्र ही प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी।”
इस फैसले से स्कूलों में शैक्षिक वातावरण और प्रशासनिक कामकाज सुधरेगा, वरिष्ठ शिक्षकों का हक मिलने के साथ लंबे समय से रुकी पदोन्नति प्रक्रिया पटरी पर आ जाएगी।
इससे किसे लाभ होगा?
लगभग 2,800 एलटी कैडर शिक्षक: जल्द प्रवक्ता पद पर प्रमोशन और नियमित वेतन/सीनियरिटी का लाभ
शिक्षक-वर्ग: वर्षों का मानसिक तनाव कम, पद और कार्य का सम्मान बहाल
शिक्षा विभाग: स्कूलों में प्रमुख पदों की रिक्तियां कम होंगी, पढ़ाई–प्रबंधन में गति
छात्र–अभिभावक वर्ग: अनुभवी शिक्षक और प्रशासकीय नेतृत्व; पढ़ाई की गुणवत्ता बढ़ेगी
विवाद क्यों था लंबा?
तदर्थ विनियमित शिक्षकों को नियमित तिथि से वरिष्ठता मिलना या नहीं — इस पर सालों से विभिन्न पक्ष अदालतों में उलझे रहे।
बैकडेट से वरिष्ठता और प्रमोशन पर अलग–अलग समयों की भर्तियां आपस में आरोप–जवाब में फंसी रहीं।
प्रमोशन/उन्नति के लिए एक मानक नीति न होने से विभाग में लगातार असंतोष रहा।
शिक्षकों की प्रतिक्रिया
सरकार के इस निर्णय का स्वागत करते हुए राज्य के हजारों शिक्षक–शिक्षिकाएं इसे ऐतिहासिक और राहत भरा फैसला मान रहे हैं। इससे न केवल वर्षों पुरानी लड़ाई सिरे चढ़ेगी, बल्कि सरकारी स्कूलों की कार्य कुशलता और अनुशासन को भी बूस्ट मिलेगा।
शिक्षक संघों ने सावधानीपूर्वक और निष्पक्ष नियोजन के लिए सरकार को धन्यवाद कहा है।
साथ ही आग्रह किया कि अब आगे विभाग प्रमोशन विवादों का हल जल्द और पारदर्शी प्रक्रिया से करे।
वरिष्ठता–पदोन्नति विवादों का समाधान राज्य की शिक्षा व्यवस्था के लिए मील का पत्थर साबित होगा। शिक्षक–प्रशासन–अदालत तीनों के स्तर पर सहजता व यथाशीघ्र न्याय मिलने की संभावना अब और मजबूत हो गई है। सरकार की प्राथमिकता में शिक्षा को लाने और प्रशासनिक बाधाओं को हटाने की यह नीति दूरगामी सकारात्मक असर डालेगी।