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अचानक इस्तीफा क्यों दिया जगदीप धनखड़ ने? उपराष्ट्रपति के स्वास्थ्य और इस्तीफे की पूरी कहानी

 

अचानक इस्तीफा क्यों दिया जगदीप धनखड़ ने? उपराष्ट्रपति के स्वास्थ्य और इस्तीफे की पूरी कहानी

हाइलाइट्स

  • भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई 2025 को स्वास्थ्य कारणों से अपने पद से अचानक इस्तीफा दिया।

  • इस्तीफे का सीधा संबंध लंबी बीमारी, खासकर हृदय संबंधी परेशानियों और डॉक्टरों की सलाह से जुड़ा।

  • मार्च 2025 में धनखड़ को एम्स दिल्ली में भर्ती कराना पड़ा था, जहां उन्हें हृदय संबंधी ऑपरेशन किया गया।

  • इस्तीफे के बाद देश में संविधान, राजनीति और सार्वजनिक जीवन के प्रति स्वास्थ्य की गंभीरता पर चर्चा।

  • उपराष्ट्रपति का इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपते हुए संविधान के अनुच्छेद 67(ए) का उल्लेख किया।

  • राज्यसभा के सभापति का पद भी स्वतः रिक्त हुआ।

  • अगले उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया शीघ्र शुरू होगी।

  • प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति सहित कई नेताओं ने स्वास्थ्य लाभ की कामना की।

  • कार्यकाल के मध्य में इस्तीफा देने वाले धनखड़ तीसरे उपराष्ट्रपति बने।

  • देशभर में इस खबर से राजनीतिक और सामाजिक हलचल तेज।

2025 की मानसून सत्र की शुरुआत के ठीक बाद भारत को एक अहम समाचार मिला—देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से तुरंत इस्तीफा दे दिया। उनका यह फैसला राजनीतिक, संवैधानिक और सामाजिक स्तर पर चर्चा का विषय बन गया।

इस्तीफे का कारण: स्वास्थ्य या कुछ और?

चिकित्सकीय कारणों की पुष्टि

धरातल पर देखें तो जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा पूरी तरह स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण लिया। मार्च 2025 में वे गंभीर हृदय रोग के चलते एम्स दिल्ली में भर्ती हुए थे, जहां उन्हें सीसीयू (क्रिटिकल केयर यूनिट) में रखा गया। उनकी देखभाल वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर राजीव नारंग के निर्देशन में की गई। विशेषज्ञों के मुताबिक उस समय उन्हें दिल की गंभीर समस्या थी, जिसके चलते तत्काल इंटरवेंशन (स्टेंट लगाना) जरूरी हो गया था।

AIIMS की मेडिकल टीम ने हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, थकावट, और कार्डियक स्ट्रेस को देखते हुए लंबे विश्राम और तनाव से बचाव की सिफारिश की थी। इसी कारण उनकी जिम्मेदारियों में कटौती भी की गई, फिर भी वे लगातार संवैधानिक एवं सार्वजनिक कर्तव्यों को निभाते रहे। लेकिन पिछले कुछ महीनों में उनकी तबीयत में ज्यादा सुधार न दिखाई देने पर, अंततः डॉक्टरों के सुझाव और परिवार की सहमति से उन्होंने इस्तीफे का फैसला लिया।

इस्तीफे में कही गई बातें

अपने इस्तीफे में उपराष्ट्रपति ने लिखा:

“स्वास्थ्य देखभाल को सर्वोच्च प्राथमिकता देने और डॉक्टरों की सलाह का अनुपालन करते हुए, मैं संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के तहत भारत के उपराष्ट्रपति पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देता हूं।”

उन्होंने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और सभी सहयोगियों का आभार व्यक्त किया और राष्ट्र सेवा की अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की।

दिल की बीमारी: गंभीर जिम्मेदारी और चुनौतियाँ

भारत जैसे बड़े देश में उपराष्ट्रपति का पद न केवल सम्मानजनक बल्कि अत्यंत जिम्मेदाराना माना जाता है। अगस्त 2022 में उपराष्ट्रपति बनने के बाद धनखड़ ने अनवरत संसद और सार्वजनिक सेवा की जिम्मेदारियां निभाईं। लेकिन उच्च पद, निरंतर यात्राएं, अनियमित दिनचर्या और मानसिक तनाव का मिश्रण हृदय संबंधी रोगों के जोखिम को बढ़ा देता है।

मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक—

  • धनखड़ को मार्च और अप्रैल 2025 में दो बार अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

  • उन्हें हाई ब्लड प्रेशर, हृदयगति में अनियमितता, तथा लगातार थकावट की शिकायत थी।

  • एम्स के डॉक्टरों ने उन्हें ‘सीवियर कार्डिएक पेशेंट’ श्रेणी में रखा।

  • पुनर्वास की आवश्यकता पर बल दिया गया, साथ ही जिम्मेदारियों में कटौती की सिफारिश की गई।

ऐसी परिस्थितियों में डॉक्टरों और परिवार द्वारा लगातार सलाह दी गई कि वे अपनी सेहत को प्राथमिकता दें। यह कदम व्यक्तिगत नहीं था, बल्कि सार्वजनिक दायित्व को निभाने वाले किसी भी व्यक्ति की प्राथमिकता होनी चाहिए।

इस्तीफे का प्रभाव

धनखड़ के इस्तीफे की खबर आम जनता और राजनीतिक हलकों में कई सवाल और चर्चाएं लेकर आई। उनके अचानक इस्तीफे ने यह सोचने को मजबूर कर दिया कि उच्च संवैधानिक पदों पर तैनात लोगों की स्वास्थ्य सुरक्षा एवं जीवनशैली का क्या महत्व है।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया—

“जगदीप धनखड़ को भारत के उपराष्ट्रपति सहित कई भूमिकाओं में देश की सेवा करने का अवसर मिला है। मैं उनके उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूं।” 

कई पूर्व उपराष्ट्रपतियों ने भी कार्यकाल के दौरान गंभीर स्वास्थ्य संकट का सामना किया था, लेकिन कार्यकाल के मध्य में इस्तीफा देने वाले धनखड़ तीसरे उपराष्ट्रपति बने। इससे पहले 1969 में वीवी गिरि और 1987 में आर वेंकटरमन ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए इस्तीफा दिया था।

संविधान के तहत इस्तीफा देना: प्रक्रिया और प्रावधान

भारतीय संविधान के अनुसार, उपराष्ट्रपति इस्तीफे के लिए राष्ट्रपति को पत्र सौंपता है। संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के तहत, इस्तीफा मिलते ही पद खाली माना जाता है और चुनाव प्रक्रिया शीघ्र शुरू की जाती है। 21 जुलाई 2025 को जैसे ही इस्तीफा स्वीकार हुआ, उसी क्षण से राज्यसभा के सभापति का पद भी स्वतः रिक्त हो गया।

अब संसद के अगले सत्र तक राज्यसभा की कार्यवाही उपसभापति के नेतृत्व में चलेगी।

देशभर के लोगों में इस घटना ने नई जागरूकता पैदा की है। बड़े पदों पर कार्यरत लोगों के लिए न सिर्फ स्वयं की, बल्कि अपने परिवार और देश की भी जिम्मेदारी है। हाल की परिस्थितियों ने समाज को यह सोचने पर मजबूर किया कि व्यस्तता, पेशेवर दबाव और स्वस्थ जीवनशैली का संतुलन किस तरह आवश्यक है।

राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सर्वोच्च न्यायालय, चिकित्सा विशेषज्ञ—सभी ने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी कार्यरत व्यक्ति को प्राथमिकता अपनी स्वास्थ्य देखभाल को देनी चाहिए।

उपराष्ट्रपति का पद खाली होने पर आगे की प्रक्रिया

भारतीय संविधान की धारा 68 के अनुसार, उपराष्ट्रपति का पद रिक्त होने की स्थिति में 6 माह के भीतर नए उपराष्ट्रपति के चुनाव कराने की व्यवस्था है। अभी तक सरकार और निर्वाचन आयोग की ओर से चुनाव की प्रक्रिया संबंधी अधिसूचना जल्द जारी होने की संभावना है। इस प्रक्रिया के दौरान लोकतांत्रिक नियमों के पालन का विशेष ध्यान रहेगा।

देश के बहुत से लोग, खासकर बुजुर्ग वर्ग, दिल की बीमारियों और उच्च रक्तचाप जैसी समस्याओं से जूझते हैं। जगदीप धनखड़ की घटना एक समाज को संदेश देती है कि समय रहते स्वास्थ्य पर ध्यान देना, डॉक्टर के परामर्श का पालन करना, और जिम्मेदारियों में संतुलन बनाना क्यों जरूरी है। जिन लोगों को लगता है कि केवल आम नागरिक ही ऐसी परेशानियों का सामना करते हैं, उनके लिए यह एक स्पष्ट उदाहरण है कि स्वास्थ्य समस्या किसी भी स्तर पर किसी को भी हो सकती है

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