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आयकर रिफंड के नियम में बदलाव: क्या होगा नया और किसे मिलेगा फायदा?

आयकर रिफंड के नियम में बदलाव: क्या होगा नया और किसे मिलेगा फायदा?

हाइलाइट्स

  • देर से रिटर्न भरने पर भी अब टैक्स रिफंड मिलने की संभावना बढ़ी

  • नया आयकर विधेयक लोकसभा की चयन समिति के सामने 285 संशोधनों के साथ पेश

  • धारा 80ए की बहाली, शून्य टीडीएस सर्टिफिकेट का प्रावधान शामिल करने की सिफारिश

  • सरकार का उद्देश्य: सरल, डिजिटल और पारदर्शी आयकर व्यवस्था

  • नया कानून 1 अप्रैल 2026 से लागू होने की संभावना

सरकार और संसद की चयन समिति द्वारा प्रस्तावित बदलावों के चलते भारत में आयकर प्रणाली बड़ी सादगी, पारदर्शिता और करदाताओं के लिए राहत की ओर बढ़ रही है। अभी तक यदि कोई करदाता समय सीमा के बाद आयकर रिटर्न दाखिल करता था, तो उसे टैक्स रिफंड का फायदा नहीं मिलता था। लेकिन बदलते नियमों और समिति की नए सुझावों से इस प्रक्रिया को आसान और न्यायसंगत बनाने के प्रयास तेज हो चुके हैं।

रिफंड नियम में बड़ा बदलाव: देर से रिटर्न भरने पर भी राहत

वर्तमान में यदि आयकरदाता समयसीमा (ड्यू-डेट) चूक जाए तो टैक्स रिफंड समाप्त हो जाता है। लोकसभा की चयन समिति ने इस सख्त नियम में नरमी लाने की सिफारिश की है। इसके बाद देर से रिटर्न दाखिल करने वालों को भी रिफंड की पात्रता दी जा सकेगी। यह बदलाव यदि लागू होता है तो लाखों करदाताओं को सीधा लाभ मिलेगा, खासकर उन लोगों को जो अनजाने या विशेष परिस्थितियों में रिटर्न नहीं भर पाते थे।

प्रमुख सुझाए गए संशोधन

1. रिफंड नियम में नरमी

  • समिति के अनुसार, रिफंड संबंधी प्रावधान करदाता के पक्ष में नरम किया जाए।

  • इससे रिटर्न फाइल करने में हुई देरी की स्थिति में भी रिफंड क्लेम संभव होगा।

2. धारा 80ए की बहाली

  • नए आयकर विधेयक से धारा 80ए हटाई गई थी, जिससे कंपनियों को इंटर-कॉरपोरेट डिविडेंड पर कर छूट नहीं मिल रही थी।

  • समिति ने सुझाव दिया है कि धारा 80ए को बहाल किया जाए ताकि कंपनियां अतिरिक्त कर से बच सकें और व्यवसायों में प्रोत्साहन मिले।

3. शून्य टीडीएस प्रमाणपत्र की सुविधा

  • अभी प्रस्तावित कानून में केवल कम टीडीएस कटौती प्रमाणपत्र की अनुमति है।

  • चयन समिति चाहती है कि करदाता शून्य टीडीएस प्रमाणपत्र भी हासिल कर सकें, ताकि जिनकी अंतिम कर देनदारी शून्य है, उनका टैक्स रुके नहीं।

क्यों जरूरी है नया आयकर कानून?

  • मौजूदा आयकर अधिनियम-1961 पिछले 60 वर्षों में 65 बार संशोधित और 4000 से अधिक बार बदला गया है, जिससे यह कानून काफी जटिल हो गया।

  • नए कानून का उद्देश्य:

    • सरल और स्पष्ट नियम

    • पारदर्शिता एवं डिजिटल प्रक्रियाएं

    • दोगुने प्रावधान समाप्त करना

    • करदाताओं की समझ और सुविधा बढ़ाना

नए विधेयक में प्रमुख विशेषताएं

विषयपुराने कानून मेंनए कानून में
धाराओं की संख्या700+536
अध्याय2823
कुल शब्द3 लाख+2.6 लाख
कुल पृष्ठ850600

लागू होने की संभावित तिथि

सरकार ने स्पष्ट किया है कि नए आयकर विधेयक को 1 अप्रैल 2026 से लागू करने का लक्ष्य है। यदि संसद की स्वीकृति मिलती है, तो वित्त वर्ष 2026-27 से भारत में नया टैक्स ढांचा प्रभावी हो जाएगा।

प्रभाव

  • बिजनेस जगत, मल्टीनेशनल कंपनियां व सामान्य करदाता, सभी के लिए नियम समान, प्रक्रिया आसान

  • रिफंड नियम नरम होने से छोटे व्यवसायी और रेगुलर कर्मचारियों को राहत

  • राज्य सरकारों के लिए भी कर संग्रह आसान, पारदर्शी और विवाद न्यूनतम

भारत की आयकर प्रणाली में यह बदलाव ऐतिहासिक माने जा सकते हैं। यदि लोकसभा की चयन समिति के सभी प्रस्ताव और संशोधन संसद द्वारा स्वीकारी जाते हैं, तो रिटर्न फाइलिंग, रिफंड क्लेम, टीडीएस कटौती, कॉर्पोरेट लाभांश छूट आदि क्षेत्र में लाखों करदाताओं को सीधा लाभ मिलेगा।
सरकार का यह निर्णय टैक्स कमप्लायंस बढ़ाने, विवाद घटाने और करदाताओं का विश्वास सुदृढ़ करने का मार्ग प्रशस्त करेगा। नई कर व्यवस्था से आशा है कि प्रक्रियाएं डिजिटलीकरण के साथ अधिक असरदार और ह्यूमन-फ्रेंडली बनेंगी।

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