सहसपुर जमीन घोटाला: ईडी के शिकंजे में पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत, ट्रस्ट सहित पांच पर चार्जशीट
हाइलाइट्स
ईडी ने पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत, उनकी पत्नी, करीबी और एक ट्रस्ट के खिलाफ स्पेशल कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की।
सहसपुर स्थित 101 बीघा जमीन मनी लॉंड्रिंग जांच के दायरे में।
जमीन का बाजार मूल्य 70 करोड़ रुपये से अधिक, जबकि खरीद कीमत मात्र 6.56 करोड़।
श्रीमती पूर्णा देवी मेमोरियल ट्रस्ट के अधीन दून इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस संचालित।
कोर्ट चार्जशीट का संज्ञान ले तो ट्रायल जल्दी शुरू होने की संभावना।
मामले में धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा और जालसाजी के आरोप।
जांच में हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना और साजिश के बड़े प्रमाण मिले।
जनवरी 2025 में जमीन को ईडी ने अस्थाई तौर पर अटैच कर लिया था।
उत्तराखंड की राजनीति व शिक्षा क्षेत्र पर गहरा प्रभाव पड़ने की संभावना।
चार्जशीट के साथ राज्य की राजनीति में सुगबुगाहट।
देहरादून के बहुचर्चित सहसपुर जमीन घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत, उनकी पत्नी दीप्ति रावत, उनकी करीबी सहयोगी, लक्ष्मी सिंह राणा और श्रीमती पूर्णा देवी मेमोरियल ट्रस्ट के खिलाफ मनी लॉंड्रिंग निवारण अधिनियम (पीएमएलए) 2002 के तहत स्पेशल कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की है। यह कार्यवाही राज्य स्तरीय राजनीति और शिक्षा जगत के लिए गंभीर मानी जा रही है।
घोटाले की पूरी कहानी
साजिश, पावर ऑफ अटॉर्नी और सस्ती रजिस्ट्री
ईडी की जांच में खुलासा हुआ कि सचिवालय से सेवानिवृत्त बीरेंद्र सिंह कंडारी, पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत, उनकी पत्नी दीप्ति रावत, लक्ष्मी सिंह राणा और स्व. सुशीला रानी समेत अन्य ने साजिश के तहत सहसपुर की लगभग 101 बीघा जमीन को नाम-परिवर्तन और दस्तावेजी हेरफेर कर अपने नजदीकी लोगों के नाम रजिस्टर्ड कराया।
जांच में सामने आया कि उच्च न्यायालय की स्पष्ट रोक के बावजूद, सुशीला रानी ने साथियों के साथ मिलकर दो जमीनों के लिए पावर ऑफ अटॉर्नी (अधिकार पत्र) भी रजिस्टर्ड करवा ली।
इसके बाद ये जमीनें बीरेंद्र सिंह कंडारी, जो कि पावर ऑफ अटॉर्नी होल्डर थे, द्वारा दीप्ति रावत और लक्ष्मी सिंह राणा को बहुत कम कीमत पर बेची गईं। ये कीमत उस क्षेत्र के निर्धारित सरकारी सर्किल रेट से भी काफी कम थी।
ट्रस्ट और मेडिकल संस्थान की भूमिका
दीप्ति रावत के नाम पर खरीदी गई ये विवादित जमीनें बाद में श्रीमती पूर्णा देवी मेमोरियल ट्रस्ट की मिल्कियत में चली गईं, जिसके तहत दून इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस का संचालन किया जा रहा है।
यह ट्रस्ट और उनमें संचालित संस्थान हरक सिंह रावत और उनके परिवार के नियंत्रण में बताए जाते हैं।
ईडी जांच में यह बात भी सामने आई कि उक्त जमीनें शिक्षण गतिविधियों के लिए इस्तेमाल की जा रही हैं, लेकिन इनकी खरीद में हेराफेरी का आरोप है।
आर्थिक पहलू और अटैचमेंट
जनवरी 2025 में ईडी ने लगभग 101 बीघा विवादित जमीन को प्रोविजनल अटैचमेंट आदेश के माध्यम से अस्थायी रूप से जब्त कर लिया था।
इन जमीनों की खरीद कीमत लगभग 6.56 करोड़ रुपये दर्शाई गई, जबकि इनकी मौजूदा बाजार कीमत 70 करोड़ रुपये से भी ज्यादा आंकी गई है।
ऐसा माना जा रहा है कि साजिशन जमीनें ट्रस्ट के माध्यम से परिवार और करीबियों के लिए उपयोग में लाई गईं।
न्यायिक प्रक्रिया और अगला कदम
ईडी ने स्पेशल पीएमएलए कोर्ट, देहरादून में हरक सिंह रावत, दीप्ति रावत, बिरेंद्र सिंह कंडारी, लक्ष्मी सिंह राणा और श्रीमती पूर्णा देवी मेमोरियल ट्रस्ट के खिलाफ अभियोजन शिकायत (चार्जशीट) दाखिल की है।
कोर्ट यदि चार्जशीट का संज्ञान लेता है तो ट्रायल जल्द शुरू होगा, जिससे आरोपियों की मुश्किलें बढ़ जाएंगी।
मामला धोखाधड़ी, जालसाजी, साजिश और आपराधिक कृत्यों की गंभीर धाराओं के तहत दर्ज।