Image of bound cash bundles and handcuffs illustrating concepts of crime and bribery.

डेढ़ करोड़ का घोटाला: पोखरी के ग्रामीण बचत केंद्र में वर्षों तक चलता रहा फर्जीवाड़ा, पूर्व सचिव और लेखा सहायक गिरफ्तार

डेढ़ करोड़ का घोटाला: पोखरी के ग्रामीण बचत केंद्र में वर्षों तक चलता रहा फर्जीवाड़ा, पूर्व सचिव और लेखा सहायक गिरफ्तार

🔶 मुख्य बिंदु (हाइलाइट्स)

  • पोखरी ब्लॉक के मसौली ग्रामीण बचत केंद्र में सामने आया डेढ़ करोड़ का गबन
  • 2017 से 2023 के बीच की गई वित्तीय अनियमितता का खुलासा
  • मृत खाताधारकों के नाम पर भी फर्जी निकासी, 162 खातों में जाली दस्तावेज
  • सहायक विकास अधिकारी की तहरीर में पहले 76 लाख का आरोप, जांच में आंकड़ा पहुंचा 1.5 करोड़
  • पूर्व सचिव मोहनलाल और लेखा सहायक अमित सिंह नेगी को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया
  • पुलिस की विशेष जांच टीम कर रही है अन्य अधिकारियों की भूमिका की भी विवेचना

उत्तराखंड के चमोली जिले के पोखरी ब्लॉक के लोग उस वक्त हैरानी में डूब गए जब यहां के ग्रामीण बचत केंद्र में लगभग डेढ़ करोड़ रुपये के गबन और वित्तीय अनियमितता का पर्दाफाश हुआ। यह मामला ना केवल आर्थिक धोखाधड़ी का प्रतीक है, बल्कि इससे यह भी स्पष्ट होता है कि सरकारी योजनाओं और ग्रामीण सहकारी संस्थाओं में किस प्रकार से वर्षों तक सुनियोजित भ्रष्टाचार चलाया जा रहा था।


सात वर्षों तक जारी रहा घोटाला, मृतकों के नाम पर निकाले गए पैसे

पोखरी ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले मसौली ग्रामीण बचत केंद्र में वर्ष 2017 से 2023 के बीच संचालित गतिविधियों की जब गहन जांच की गई, तो कई चौंकाने वाली बातें सामने आईं।

यह पाया गया कि इस केंद्र से मृत खाताधारकों के नाम पर भी फर्जी हस्ताक्षर करके पैसा निकाला गया। जांच में यह तथ्य भी सामने आए कि कई खातों से बिना खाताधारकों की जानकारी के धनराशि निकाल ली गई। 962 खातों में से 162 खातों में जाली दस्तावेजों के आधार पर धनराशि निकाली गई


शुरुआती शिकायत 76 लाख की, जांच में बढ़कर हुआ डेढ़ करोड़

13 जनवरी 2025 को सहायक विकास अधिकारी राजन कुमार ने थाना पोखरी में एक लिखित तहरीर दी, जिसमें सेवानिवृत्त सचिव मोहनलाल और लेखा सहायक अमित सिंह नेगी पर ₹76,48,559 के गबन का आरोप लगाया गया।

लेकिन जब विभागीय जांच समिति और फिर पुलिस ने दस्तावेजों का गहराई से विश्लेषण किया, तो यह गबन ₹1.5 करोड़ से भी अधिक पाया गया। यह दर्शाता है कि गबन योजनाबद्ध और बहुस्तरीय था।


अधिकारियों ने कैसे अंजाम दी योजना?

जांच में पता चला कि लेखा सहायक अमित सिंह नेगी ने अकेले ₹1,15,20,000 की निकासी की, जबकि इस दौरान कोई राशि वापस नहीं जमा की गई। वहीं पूर्व सचिव मोहनलाल द्वारा भी ₹12,50,000 की अतिरिक्त निकासी की गई, जो उनकी अधिकृत सीमा से बाहर थी।

यह भी सामने आया कि जमा राशि और देनदारी में बड़ा अंतर पाया गया। कुल मिलाकर समिति पर 800 खातों में ₹26,07,061/  83 एफडी खातों में ₹40,96,500 और 20 आरडी खातों में ₹1,45,943 की वैध राशि बकाया है।


पुलिस की विशेष जांच टीम की भूमिका

पुलिस अधीक्षक सर्वेश पंवार के निर्देश पर पुलिस उपाधीक्षक अमित सैनी की अध्यक्षता में एक विशेष टीम गठित की गई, जिसने दस्तावेजों की जांच, खातों की पुनर्समीक्षा और ग्रामीणों से सीधे बयान लेकर तथ्यों की पुष्टि की।

टीम ने अब तक 110 खाताधारकों के बयान दर्ज किए, जिनमें से अधिकतर ने यह स्पष्ट किया कि उन्होंने ना तो किसी फार्म पर हस्ताक्षर किए थे और ना ही उन्हें निकासी की जानकारी थी। कुछ फॉर्मों पर एक ही व्यक्ति के हस्ताक्षर मिले – जिससे फर्जीवाड़े की पुष्टि होती है।


गिरफ्तारी और न्यायिक प्रक्रिया

इन सभी साक्ष्यों के आधार पर पुलिस ने नौटी गांव निवासी पूर्व सचिव मोहनलाल और नौली गांव निवासी लेखा सहायक अमित सिंह नेगी को गोपेश्वर से गिरफ्तार कर लिया। न्यायालय में पेशी के बाद दोनों को पुरसाड़ी कारागार भेज दिया गया है।

अब पुलिस की निगाह अन्य अधिकारियों, लेखाकारों और सहकारी समिति के सदस्यों पर है, जिनकी भूमिका की विवेचना की जा रही है।

ग्रामीण सहकारी संस्थाएं, विशेष रूप से बचत केंद्र, पहाड़ी क्षेत्रों के लिए आर्थिक आत्मनिर्भरता का एक अहम स्तंभ होती हैं। ऐसे में यदि इन संस्थाओं में ही भ्रष्टाचार व्याप्त हो, तो इससे आम नागरिक का विश्वास बुरी तरह टूटता है।

ग्रामीणों ने पुलिस जांच में बताया कि उन्होंने वर्षों तक अपने सीमित संसाधनों को इस केंद्र में जमा किया था, ताकि समय पर जरूरतों को पूरा कर सकें। लेकिन अब वे भयभीत हैं कि उनकी मेहनत की कमाई कहीं डूब ना जाए।

अब तक इस गंभीर मामले पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों या उच्च प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से कोई सार्वजनिक बयान सामने नहीं आया है। यह आश्चर्यजनक है, क्योंकि एक ग्रामीण बचत केंद्र में हुआ डेढ़ करोड़ का गबन, पूरे तंत्र की जवाबदेही पर सवाल खड़ा करता है।


क्या सिस्टम सुधरेगा?

प्रशासन को चाहिए कि:

  • भविष्य में ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए ऑडिट प्रक्रिया पारदर्शी बनाई जाए
  • ग्रामीण बचत केंद्रों के संचालन में डिजिटल निगरानी प्रणाली लागू की जाए
  • खाताधारकों को हर लेन-देन की SMS अथवा ईमेल सूचना अनिवार्य रूप से दी जाए
  • दोषियों को सख्त सजा दिलाकर उदाहरण प्रस्तुत किया जाए

पोखरी का यह मामला उत्तराखंड के सहकारी ढांचे की कमजोर कड़ी को उजागर करता है। वर्षों तक चलती रही यह धांधली न केवल सिस्टम की लापरवाही दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि सुनियोजित षड्यंत्र कितनी चुपचाप ग्रामीणों की मेहनत को निगल सकता है

अब आवश्यकता है कि गंभीर आर्थिक अपराधों पर त्वरित और निष्पक्ष कार्रवाई हो, ताकि समाज में यह संदेश जाए कि ईमानदार बचतकर्ताओं की रक्षा प्राथमिकता है।

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