114 वर्षीय मैराथन धावक फौजा सिंह का सड़क हादसे में निधन
न्यूज़ डेस्क। 15 जुलाई 2025: विश्व के सबसे बुजुर्ग मैराथन धावक के रूप में प्रसिद्ध 114 वर्षीय फौजा सिंह, जिन्हें ‘टर्बनड टॉरनेडो’ के नाम से जाना जाता था, का सोमवार को पंजाब के जालंधर जिले में एक सड़क हादसे में दुखद निधन हो गया। यह हादसा उनके पैतृक गांव ब्यास पिंड के पास हुआ, जब वह सड़क पार कर रहे थे और एक अज्ञात वाहन ने उन्हें टक्कर मार दी।
फौजा सिंह के बेटे हरविंदर सिंह ने बताया कि “मेरे पिता टहलने के लिए निकले थे, तभी एक अज्ञात वाहन ने उन्हें टक्कर मार दी। उनके सिर में गंभीर चोटें आईं। हम उन्हें तुरंत जालंधर के एक निजी अस्पताल में ले गए, लेकिन दुर्भाग्यवश वहां उनकी मृत्यु हो गई,” हरविंदर ने कहा।
एक प्रेरणादायक जीवन यात्रा
1 अप्रैल 1911 को जालंधर के ब्यास गांव में जन्मे फौजा सिंह ने अपने जीवन में कई प्रेरणादायक उपलब्धियां हासिल कीं। बचपन में वह कमजोर थे और पांच साल की उम्र तक चल नहीं पाते थे। हालांकि, उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति और मेहनत ने उन्हें विश्व स्तर पर पहचान दिलाई। 89 साल की उम्र में, अपनी पत्नी जियान कौर और बेटे कुलदीप सिंह की मृत्यु के बाद, उन्होंने दुख और अवसाद से निपटने के लिए दौड़ना शुरू किया।
साल 2000 में, 89 वर्ष की आयु में, फौजा सिंह ने लंदन मैराथन में भाग लेकर अपनी मैराथन यात्रा शुरू की और दुनिया भर में सुर्खियां बटोरीं। 2011 में, 100 वर्ष की उम्र में, उन्होंने टोरंटो वाटरफ्रंट मैराथन को 8 घंटे, 11 मिनट और 6 सेकंड में पूरा कर विश्व का पहला सेंटेनरियन मैराथन धावक बनने का गौरव हासिल किया। हालांकि, जन्म प्रमाण पत्र की अनुपस्थिति के कारण गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने इसे मान्यता नहीं दी।
फौजा सिंह ने लंदन, न्यूयॉर्क, टोरंटो और मुंबई सहित कई अंतरराष्ट्रीय मैराथनों में हिस्सा लिया। 2003 में टोरंटो मैराथन में उन्होंने 90 वर्ष से अधिक आयु वर्ग में 5 घंटे 40 मिनट का सर्वश्रेष्ठ समय दर्ज किया। 2011 में, उन्होंने टोरंटो में एक ही दिन में 100 मीटर से 5,000 मीटर तक आठ विश्व आयु-समूह रिकॉर्ड बनाए।
विश्व स्तर पर सम्मान और विरासत
फौजा सिंह को उनकी उपलब्धियों के लिए कई सम्मान प्राप्त हुए। वह 2004 के एथेंस ओलंपिक और 2012 के लंदन ओलंपिक में मशाल वाहक थे। 2015 में उन्हें खेल और दान के लिए ब्रिटिश एम्पायर मेडल (BEM) से सम्मानित किया गया। वह डेविड बेकहम और मोहम्मद अली जैसे दिग्गजों के साथ एडिडास के ‘इम्पॉसिबल इज नथिंग’ अभियान का हिस्सा भी रहे।
पंजाब के गवर्नर गुलाब चंद कटारिया ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा, “मैं सरदार फौजा सिंह जी के निधन से बहुत दुखी हूं। 114 वर्ष की आयु में भी उन्होंने ‘नशा मुक्त – रंगला पंजाब’ अभियान में अदम्य उत्साह के साथ हिस्सा लिया। उनकी विरासत नशा-मुक्त पंजाब के लिए प्रेरणा देती रहेगी। ओम शांति।”
पुलिस जांच और श्रद्धांजलि
जालंधर पुलिस ने अज्ञात वाहन चालक के खिलाफ FIR दर्ज की है और मामले की जांच शुरू कर दी है। पुलिस अधीक्षक हरविंदर विर्क ने बताया कि हादसा उस समय हुआ जब फौजा सिंह अपने परिवार के ढाबे की ओर जा रहे थे। पुलिस सीसीटीवी फुटेज की जांच कर रही है ताकि वाहन की पहचान हो सके।
लंदन में फौजा सिंह के कोच हरमंदर सिंह ने उनकी मृत्यु की पुष्टि करते हुए कहा, “वह मानवता के प्रतीक और सकारात्मकता के पावरहाउस थे। उनकी याद में हम इलफोर्ड में फौजा सिंह क्लबहाउस बनाने के लिए धन जुटा रहे हैं।”
फौजा सिंह की मृत्यु ने पंजाब और वैश्विक धावक समुदाय में शोक की लहर पैदा कर दी है। उनकी प्रेरणादायक कहानी और दृढ़ संकल्प की भावना हमेशा लाखों लोगों को प्रेरित करती रहेगी।
श्रद्धांजलि
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा, “फौजा सिंह जी का निधन एक अपूरणीय क्षति है। उनकी असाधारण जिंदगी और अटल भावना पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।
लेखक खुशवंत सिंह, जिन्होंने उनकी जीवनी ‘टर्बनड टॉरनेडो’ लिखी, ने फेसबुक पर लिखा, “मेरा टर्बनड टॉरनेडो अब नहीं रहा। यह दुखद है कि वह हमें छोड़कर चले गए, लेकिन उनकी विरासत हमेशा जीवित रहेगी।”
फौजा सिंह ने अपने जीवन में सिखाया कि उम्र सिर्फ एक संख्या है और सही दृष्टिकोण के साथ कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। उनकी सादगी, अनुशासन और मानवता ने उन्हें न केवल एक खेल आइकन बनाया, बल्कि दुनिया भर में एक प्रेरणा स्रोत भी बनाया।