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अब स्नातक में पढ़ने होंगे सात विषय: एनईपी के तहत लागू हुआ नया ढांचा

अब स्नातक में पढ़ने होंगे सात विषय: एनईपी के तहत लागू हुआ नया ढांचा

प्रकाशन तिथि: 14 जुलाई 2025

मुख्य बिंदु:

  • स्नातक प्रथम सेमेस्टर में अब सात विषय होंगे अनिवार्य
  • एनईपी के तहत भाषा को विषयों में किया गया शामिल
  • हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत में से किसी एक भाषा का करना होगा चयन
  • नैतिक शिक्षा और स्किल कोर्स भी अनिवार्य
  • एमबीपीजी कॉलेज हल्द्वानी में हुआ नया ढांचा लागू

एनईपी 2020 का प्रभाव: स्नातक शिक्षा में बड़ा बदलाव

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) के अंतर्गत उच्च शिक्षा के स्वरूप में व्यापक बदलाव किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में उत्तराखंड के उच्च शिक्षण संस्थानों में अब स्नातक के पहले सेमेस्टर से ही विद्यार्थियों को सात विषय पढ़ने होंगे। यह बदलाव विद्यार्थियों को बहुआयामी ज्ञान, भाषाई कौशल और व्यावहारिक दक्षता प्रदान करने की दृष्टि से किया गया है।

अब तक स्नातक स्तर पर विद्यार्थियों को छह विषय पढ़ने होते थे, लेकिन नए ढांचे में भाषा को एक अलग विषय के रूप में जोड़ा गया है, जिससे विषयों की कुल संख्या सात हो गई है।

सात विषयों की नई रूपरेखा क्या होगी?

एमबीपीजी कॉलेज हल्द्वानी के प्रवेश विभाग के अनुसार, अब छात्रों को निम्नलिखित सात विषयों का अध्ययन करना होगा:

  1. मुख्य विषय (Core Subjects): संकाय के अनुसार तीन विषय – जैसे कला, विज्ञान, वाणिज्य
  2. जनरल विषय: किसी भी अन्य संकाय से एक वैकल्पिक विषय
  3. भाषा: हिंदी, अंग्रेजी या संस्कृत में से एक
  4. स्किल कोर्स (Skill Course): कोई भी व्यावसायिक या तकनीकी दक्षता आधारित विषय
  5. नैतिक मूल्य आधारित विषय: नैतिकता, पर्यावरण या मानवीय मूल्य पर केंद्रित

इन सभी विषयों को छात्रों के लिए अनिवार्य कर दिया गया है, ताकि बहु-विषयक शिक्षा का लक्ष्य प्राप्त किया जा सके।

भाषा का नया विषय क्यों जोड़ा गया?

भाषा की समझ और अभिव्यक्ति किसी भी विद्यार्थी की शिक्षा का मूल आधार होती है। एनईपी 2020 के अनुसार, छात्रों को क्षेत्रीय और वैश्विक दोनों भाषाओं में दक्ष बनाना आवश्यक है। इसी सोच के तहत अब छात्रों को हिंदी, अंग्रेजी या संस्कृत में से किसी एक भाषा का अध्ययन करना होगा।

एमबीपीजी कॉलेज में यह निर्णय विशेष रूप से लागू किया गया है, और छात्रों को प्रवेश के समय भाषा का चयन करना अनिवार्य किया गया है।

स्किल कोर्स – विद्यार्थियों को मिल रहा व्यावसायिक विकल्प

एनईपी का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को केवल किताबी ज्ञान तक सीमित न रखते हुए उन्हें रोजगार योग्य स्किल से जोड़ना है। इसके तहत स्नातक छात्रों को अब किसी भी संकाय से स्किल कोर्स का चयन करने की छूट दी गई है।

डॉ. नवल किशोर लोहनी के अनुसार, “एनईपी के तहत स्किल कोर्स लगभग सभी विषयों में तैयार किए गए हैं और छात्र अपनी रुचि व भविष्य की योजना के अनुसार किसी भी विषय का चयन कर सकते हैं।”

नैतिक शिक्षा: शिक्षा का मानवीय पक्ष

देशभर में शिक्षा को केवल ज्ञान तक सीमित न रखते हुए अब नैतिकता, पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक मूल्य जैसे विषयों को भी पढ़ाया जा रहा है। इसके अंतर्गत छात्रों को नैतिक मूल्य आधारित विषय का अध्ययन करना होगा जिससे वे सजग नागरिक बन सकें।

हल्द्वानी स्थित एमबीपीजी कॉलेज में एनईपी 2020 के निर्देशों के तहत इस नए ढांचे को सत्र 2025-26 से लागू कर दिया गया है। कॉलेज प्रशासन ने विद्यार्थियों को प्रवेश के समय विषयों की विस्तृत जानकारी प्रदान की है और कई वर्कशॉप के माध्यम से उन्हें सही चुनाव में सहायता दी जा रही है।

यह पहल विद्यार्थियों को केवल डिग्री धारक नहीं बल्कि दक्ष और सजग नागरिक के रूप में तैयार करने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।

एनईपी 2020 – व्यापक बदलाव की ओर

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 शिक्षा व्यवस्था को अधिक लचीलापन, बहु-विषयक दृष्टिकोण और व्यावसायिक उपयुक्तता की ओर ले जाने की महत्वाकांक्षा रखती है। यह नया बदलाव स्नातक स्तर पर उसी का परिणाम है।

शिक्षाविदों का मानना है कि यह ढांचा विद्यार्थियों को विज्ञान, कला, भाषा, कौशल और मूल्यों का समन्वित ज्ञान प्रदान करेगा, जिससे वे रोजगार के साथ समाज में भी सार्थक योगदान दे सकेंगे।

अब स्नातक स्तर पर सात विषयों का अनिवार्य ढांचा केवल अकादमिक बढ़ोतरी नहीं है, यह विद्यार्थियों को जीवन के हर पहलू के लिए तैयार करने की दिशा में एक ठोस प्रयास है। एमबीपीजी कॉलेज जैसे संस्थानों में इसका लागू होना उत्तराखंड राज्य के लिए एक प्रेरणादायी उदाहरण बन सकता है।

शिक्षा का यह नया स्वरूप आने वाले वर्षों में छात्रों की बहु-आयामी समझ, भाषाई दक्षता और व्यावसायिक कौशल को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकता है।

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