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आउटसोर्स से CRP-BRP भर्ती पर बवाल: शिक्षक संघ ने बताया शासनादेश का खुला उल्लंघन

आउटसोर्स से CRP-BRP भर्ती पर बवाल: शिक्षक संघ ने बताया शासनादेश का खुला उल्लंघन

लेख तिथि: 14 जुलाई 2025

मुख्य बिंदु:

  • समग्र शिक्षा अभियान में आउटसोर्स के माध्यम से हो रही CRP-BRP की भर्ती
  • राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ ने बताया इसे शासनादेश का उल्लंघन
  • नियमित पदों पर आउटसोर्स प्रक्रिया भविष्य में उत्पन्न कर सकती है कानूनी अड़चनें
  • मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर शिक्षक संघ ने उठाई आपत्ति
  • विभागीय नियंत्रण में हो रही यह प्रक्रिया, भविष्य में नियमितीकरण की मांग संभव
शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में नए विवाद की दस्तक

उत्तराखंड के समग्र शिक्षा अभियान के अंतर्गत CRP (क्लस्टर रिसोर्स पर्सन) और BRP (ब्लॉक रिसोर्स पर्सन) के पदों पर आउटसोर्स के माध्यम से की जा रही नियुक्तियों ने एक बार फिर राज्य के शिक्षा तंत्र को सवालों के घेरे में ला खड़ा किया है। राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ ने इस प्रक्रिया को शासनादेश का स्पष्ट उल्लंघन करार दिया है और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर गहरी आपत्ति दर्ज कराई है।

यह मामला केवल तकनीकी भर्ती प्रक्रिया तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भविष्य में प्रशासनिक जटिलताओं, नियमितीकरण की मांगों और न्यायालयी वादों की आशंका से भी जुड़ा हुआ है।

शासनादेश और शिक्षक संघ की आपत्ति

राज्य सरकार ने पहले ही एक स्पष्ट शासनादेश जारी कर यह निर्देशित किया है कि शासकीय सृजित पदों को केवल नियमित चयन प्रक्रिया के माध्यम से ही भरा जाएगा। इसका उद्देश्य था – भविष्य में किसी भी प्रकार के नियमितीकरण के दावे, कानूनी अड़चनें, और अनावश्यक न्यायालयी हस्तक्षेप से बचाव।

राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ का आरोप है कि समग्र शिक्षा अभियान के अंतर्गत CRP और BRP के पदों पर आउटसोर्स एजेंसियों के माध्यम से नियुक्तियां की जा रही हैं।

संघ के प्रांतीय तदर्थ समिति सदस्य मनोज तिवारी के अनुसार, यह प्रक्रिया विभागीय नियंत्रण में संचालित हो रही है और इससे भविष्य में नियुक्त अभ्यर्थी नियमित नियुक्ति की मांग कर सकते हैं।

भर्ती प्रक्रिया में कानूनी और प्रशासनिक जटिलताएं

  • नियमितीकरण की मांग और याचिकाएं
  • शासकीय वित्तीय बोझ बढ़ने की संभावना
  • अन्य पात्र अभ्यर्थियों के अधिकारों का हनन
  • न्यायालयों में विधिक संघर्ष की आशंका
शिक्षा व्यवस्था की गुणवत्ता पर प्रभाव

CRP और BRP जैसे पदों की भूमिका विद्यालयों के शिक्षण प्रशिक्षण, पर्यवेक्षण और नवाचार में अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। यदि इन पदों पर अस्थायी आधार पर नियुक्ति होती है, तो इससे शिक्षा की गुणवत्ता और निगरानी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

आउटसोर्स बनाम नियमित भर्ती – नीति में विरोधाभास?

सरकार जहां नीति आधारित नियुक्ति की बात कर रही है, वहीं आउटसोर्स प्रणाली का विस्तार अकादमिक पदों तक करना चिंता का विषय है। शिक्षक संघ का तर्क है कि यह नीति का विरोधाभास है और इससे शिक्षा व्यवस्था की गंभीरता पर सवाल खड़े होते हैं।

मुख्यमंत्री को सौंपा गया पत्र – क्या कहता है संघ?

“शासन ने जिन पदों को नियमित चयन प्रक्रिया से भरने की व्यवस्था की है, उन पर यदि आउटसोर्स प्रक्रिया से नियुक्ति की जाएगी तो यह न केवल शासनादेश का उल्लंघन होगा, बल्कि प्रशासन को न्यायालयों में बार-बार घसीटे जाने की स्थिति भी उत्पन्न करेगा।”

शिक्षक संघ ने मुख्यमंत्री से इस प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से रोकने और चयन आयोग के माध्यम से भर्ती की मांग की है।

समग्र शिक्षा और विभाग की चुप्पी – 

विभाग की ओर से अब तक कोई औपचारिक बयान नहीं आया है, जिससे स्थिति और भी अस्पष्ट बनती जा रही है। यह विभागीय नियंत्रण की विफलता या अनदेखी दोनों में से कोई एक दर्शाता है।

क्या है समाधान?

  • आउटसोर्स भर्ती प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगे
  • सभी पदों की विज्ञप्ति आयोगों के माध्यम से जारी हो
  • पारदर्शिता और विधिक प्रक्रिया का पालन हो
  • तकनीकी पदों तक सीमित हो आउटसोर्स
यह मुद्दा केवल एक प्रक्रिया का उल्लंघन नहीं, बल्कि राज्य सरकार की नीतिगत पारदर्शिता, विधिक प्रतिबद्धता और शिक्षा की गुणवत्ता की परीक्षा है। यदि समय रहते समाधान नहीं हुआ तो भविष्य में नियमितीकरण संकट, न्यायालयी जटिलता और व्यवस्था पर अविश्वास का माहौल बन सकता है।

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