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जागेश्वर धाम के 500 मीटर दायरे में खाली होगी जमीन, मास्टर प्लान पर तेज़ी से अमल

जागेश्वर धाम के 500 मीटर दायरे में खाली होगी जमीन, मास्टर प्लान पर तेज़ी से अमल

ड्रोन सर्वे से ग्रामीणों में नाराजगी, व्यापारियों ने मेले की फड़ नीति पर जताया विरोध


📌 मुख्य बिंदु (हाइलाइट्स)

  • जागेश्वर मंदिर के 500 मीटर दायरे में खाली कराने की योजना पर काम शुरू
  • पूर्व में जाख, उत्तर में मंटोला, और पश्चिम में हर्बल गार्डन तक होगा विस्तार
  • सर्वेक्षण टीम ने घर-दुकानों, सरकारी परिसंपत्तियों और खेतों की नापजोख शुरू की
  • स्थानीय लोगों ने ड्रोन सर्वे और संभावित विस्थापन पर नाराजगी जताई
  • श्रावणी मेले में फड़ आवंटन के लॉटरी सिस्टम पर व्यापारियों का विरोध
  • नए भवन निर्माण पर प्रतिबंध, पुनर्विकास होगा पारंपरिक पहाड़ी शैली में

🛕 जागेश्वर मंदिर के विकास के लिए बड़ा कदम: मास्टर प्लान के तहत भूमि चिन्हित

उत्तराखंड सरकार ने जागेश्वर धाम को एक आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना बनाई है।

  • इसके लिए मंदिर परिसर के 500 मीटर के दायरे को चिन्हित किया गया है जिसे अतिक्रमण मुक्त और पुनर्निर्मित किया जाएगा।
  • जमीन खाली कराने के लिए नक्शा, खसरा, भवनों की स्थिति और सरकारी संपत्तियों का विस्तृत सर्वेक्षण शुरू कर दिया गया है।

🗺️ कहां तक होगा सर्वे?

दिशाविस्तार सीमा
पूर्वजाख गांव तक
उत्तरमंटोला ग्राम पंचायत की सीमा
पश्चिमहर्बल गार्डन तक
मध्य बिंदुजागेश्वर मंदिर परिसर से 500 मीटर त्रिज्या में सभी ढांचे

🔍 सर्वे टीम की कार्यशैली और उद्देश्य

परियोजना के तहत सर्वेक्षण टीम निम्नलिखित कार्य कर रही है:

  • हर मकान, दुकान, खेत और सरकारी भवन की नापजोख
  • ड्रोन कैमरों से ऊंचाई से क्षेत्र की स्थिति का मूल्यांकन
  • भवन निर्माण की तिथि, नक्शा अनुमोदन, वर्तमान स्थिति का रिकॉर्ड
  • भूमि के मालिकाना हक और उपयोग का मिलान राजस्व अभिलेखों से
  • स्थानीय भू-उपयोग और जल निकासी प्रणाली का विश्लेषण

😠 ग्रामीणों की नाराजगी: ‘ड्रोन आया है, कल मकान खाली कराएंगे’

जैसे ही ड्रोन सर्वे टीम ने क्षेत्र में उड़ान भरी, स्थानीय ग्रामीणों में हलचल और चिंता की लहर दौड़ गई।

  • कई लोगों ने सोशल मीडिया पर विरोध दर्ज किया कि उन्हें बिना सूचना के सर्वे किया जा रहा है
  • ग्रामीणों का कहना है कि “आज सर्वे हो रहा है, कल घर उजाड़े जाएंगे”, जो अस्वीकार्य है।

तहसीलदार जलाल (भनौली) बरखा ने कहा:

हमें मास्टर प्लान के अंतर्गत किसी भी अधिसूचना की प्रतिलिपि नहीं मिली है, सिर्फ सर्वे के लिए टीम पहुंची थी।


📐 सर्वे के बाद क्या होगा?

  1. नए भवन निर्माण पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाएगा।
  2. पहले से बने अवैध निर्माण हटाए जा सकते हैं
  3. जिन लोगों के भवन 500 मीटर के दायरे में हैं, उन्हें पीछे पुनर्वासित किया जा सकता है
  4. बाजार और आवासीय क्षेत्र को पारंपरिक पहाड़ी शैली में सुनियोजित ढंग से पुनर्निर्मित किया जाएगा।
  5. मंदिर परिसर को धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से संरक्षित बनाया जाएगा।

📢 “हमें हटाने का आदेश नहीं मिला, पर डर बना हुआ है”

स्थानीय निवासी कहते हैं कि उन्हें अब तक कोई लिखित आदेश नहीं मिला, लेकिन सर्वेक्षण की मौन प्रक्रिया ने अस्थिरता और भ्रम की स्थिति बना दी है।

  • कुछ लोगों को आशंका है कि उनके घर, खेत या दुकानों को जबरन हटाया जा सकता है
  • प्रशासन ने अभी तक कोई जनसुनवाई, जनसंवाद या स्पष्ट जानकारी नहीं दी है।

🛍️ मेला व्यापारियों का विरोध: फड़ आवंटन में लॉटरी का विरोध

जागेश्वर श्रावणी मेले में स्थानीय व्यापारियों के लिए फड़ आवंटन में लॉटरी प्रणाली लागू की जा रही है, जिससे नाराज होकर व्यापारियों ने विरोध प्रदर्शन किया।

  • व्यापारियों का कहना है कि वे साल भर यहीं रहते हैं, फड़ उनका रोज़गार है
  • यदि बाहरी लोगों को समान मानक पर फड़ मिलेंगे, तो स्थानीय लोगों का हक मारा जाएगा

व्यापार मंडल के जिलाध्यक्ष सुशील साह और अन्य पदाधिकारियों ने कहा:

स्थानीय व्यवसायियों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। हम शुल्क देने को तैयार हैं, लेकिन जगह से हटाया जाना मंजूर नहीं।


🧱 क्या होगा भविष्य में?

  • 500 मीटर क्षेत्र के अंदर कोई नया निर्माण नहीं किया जा सकेगा
  • प्रशासन भविष्य में कर सकता है भवन ध्वस्तीकरण या विस्थापन योजना लागू
  • पुनर्विकास योजना में पहाड़ी वास्तुशिल्प, स्थानीय संसाधन और पारंपरिक शैली को प्राथमिकता मिलेगी
  • जनसुनवाई, पुनर्वास नीति, मुआवजा आदि को लेकर लोगों में स्पष्टता की आवश्यकता है

🧘‍♂️ जागेश्वर धाम: क्यों है इतना महत्वपूर्ण?

  • 125+ प्राचीन मंदिरों का समूह, जहां मुख्य मंदिर भगवान शिव को समर्पित है
  • सप्तऋषियों द्वारा स्थापित, भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों से प्रेरित केंद्रों में एक
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस धाम की महिमा का उल्लेख किया है
  • प्रतिवर्ष श्रावण मास में लाखों श्रद्धालु दर्शन को आते हैं

केवल एक धार्मिक स्थल नहीं

जागेश्वर मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और पर्यटन धरोहर है।

  • मास्टर प्लान यदि जनहित और पारदर्शिता के साथ लागू हो, तो यह क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर उभर सकता है।
  • लेकिन बिना संवाद, सूचना और तैयारी के स्थानीय समुदायों को विस्थापित करना उचित नहीं
  • प्रशासन को चाहिए कि वह जनभागीदारी, मुआवजा नीति, पुनर्वास योजना और स्पष्ट गाइडलाइन के साथ आगे बढ़े।
  • विकास और संवेदना में संतुलन बनाना ही इस परियोजना की सफलता की कुंजी होगी।

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🌐 External Source:

उत्तराखंड पर्यटन विभाग: मंदिरों और सांस्कृतिक धरोहरों का संरक्षण

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