शिक्षा मंत्रालय के सर्वेक्षण में बड़ा खुलासा: गणित में पिछड़ रहे स्कूलों के बच्चे
सरकारी व निजी स्कूलों के विद्यार्थियों में बुनियादी गणितीय समझ की भारी कमी, केंद्रीय मूल्यांकन ‘परख’ में सामने आई चिंताजनक स्थिति
📌 मुख्य बिंदु (हाइलाइट्स)
- छठी कक्षा के केवल 53% विद्यार्थी ही जानते हैं 1 से 10 तक का पहाड़ा
- तीसरी कक्षा के 55% बच्चों को संख्याओं का क्रम नहीं आता
- केंद्रीय मंत्रालय की ‘परख’ रिपोर्ट में सामने आई कमजोर गणितीय नींव
- 21 लाख से अधिक छात्रों और 2.7 लाख शिक्षकों पर आधारित सर्वेक्षण
- ग्रामीण छात्रों ने कक्षा 3 में किया बेहतर प्रदर्शन, जबकि शहरी छात्रों ने कक्षा 6 और 9 में मारी बाज़ी
- केंद्रीय विद्यालयों (KVs) के नौवीं के छात्रों ने किया सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन
🧮 परख सर्वेक्षण: क्या है यह और क्यों ज़रूरी है?
भारत सरकार के केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा प्रत्येक वर्ष शिक्षा की गुणवत्ता और विद्यार्थियों के अधिगम स्तर को मापने के लिए एक सर्वेक्षण आयोजित किया जाता है जिसे ‘परख’ (PARAKH – Performance Assessment, Review, and Analysis of Knowledge for Holistic Development) कहा जाता है। यह सर्वे राष्ट्रीय स्तर पर तीसरी, छठी और नौवीं कक्षाओं में अध्ययनरत छात्रों के सीखने के स्तर का मूल्यांकन करता है।
नवीनतम परख सर्वेक्षण:
- तारीख: दिसंबर 2023
- कुल विद्यार्थी: 21,15,022
- शिक्षक: 2,70,424
- राज्य/केंद्र शासित प्रदेश: 36
- जिले: 781
- स्कूल: 74,229 (सरकारी और निजी दोनों)
📉 गणित में छात्रों की कमजोर नींव: आंकड़ों की जुबानी
सर्वेक्षण के अनुसार विद्यार्थियों का गणित में प्रदर्शन चिंताजनक है:
कक्षा | गणितीय समझ | प्रतिशत |
---|---|---|
कक्षा 3 | 1 से 99 तक की संख्याओं को क्रम में लिखना | 55% |
कक्षा 3 | दो अंकों के जोड़-घटाव का समाधान | 58% |
कक्षा 6 | 1 से 10 तक का पहाड़ा याद होना | 53% |
कक्षा 6 | जोड़ और गुणा को समझना | 53% |
कक्षा 6 | विषय ‘The World Around Us’ | 49% |
कक्षा 6 | भाषा | 57% |
कक्षा 6 | गणित | 46% |
शिक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा:
“जब 50% से भी कम विद्यार्थी बुनियादी सवालों का सही उत्तर दे पा रहे हैं, तो यह स्पष्ट है कि उनके सीखने की क्षमता में अंतर है और हमारी शिक्षा व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता है।”
🏫 निजी बनाम सरकारी स्कूल: किसका प्रदर्शन कैसा रहा?
तीसरी कक्षा:
- निजी स्कूलों ने भाषा और विज्ञान में बेहतर किया, लेकिन गणित में पीछे रह गए।
- ग्रामीण इलाकों के छात्रों ने शहरी छात्रों की तुलना में तीसरी कक्षा में गणित और भाषा में बेहतर प्रदर्शन किया।
छठी कक्षा:
- सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों के छात्रों का गणित में सबसे कमजोर प्रदर्शन।
- निजी स्कूलों में भी गणित का प्रदर्शन औसत से नीचे रहा।
नौवीं कक्षा:
- केंद्रीय विद्यालयों (KVs) के छात्र सभी विषयों में अव्वल रहे, खासकर भाषा में।
- निजी स्कूलों ने विज्ञान और सामाजिक विज्ञान में अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन गणित में फिर पिछड़े।
🏘️ ग्रामीण बनाम शहरी प्रदर्शन: किसका पलड़ा भारी?
ग्रामीण क्षेत्रों के तीसरी कक्षा के विद्यार्थियों ने विशेषकर गणित और भाषा में अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन किया।
वहीं, शहरी क्षेत्रों के छठी और नौवीं कक्षा के विद्यार्थी अधिक आगे रहे। इसका मुख्य कारण संभवतः संसाधनों की उपलब्धता, शिक्षक प्रशिक्षण और तकनीकी सुविधाओं की पहुंच बताया जा रहा है।
📊 शिक्षकों की राय क्या कहती है?
सर्वे में शामिल 2.7 लाख शिक्षकों से भी सवाल पूछे गए।
- अधिकांश शिक्षकों ने माना कि गणित विषय में विद्यार्थियों की समझ कमजोर है।
- कुछ ने कोविड-19 के दौरान हुई पढ़ाई की कमी, ऑनलाइन कक्षाओं की प्रभावहीनता और परिवार से शिक्षा में सहयोग की कमी को भी कारण बताया।
🚸 बच्चों के अधिगम पर यह क्या प्रभाव डाल रहा है?
शिक्षा विशेषज्ञों के अनुसार यदि बच्चों की प्रारंभिक गणितीय समझ कमजोर रह जाती है, तो आगे चलकर यह उनके विज्ञान, तकनीकी, वाणिज्य आदि विषयों की पढ़ाई को भी प्रभावित करती है।
- गणितीय अवधारणाएं जैसे गुणा, विभाजन, अंश आदि की समझ उच्च कक्षाओं में और अधिक जरूरी होती है।
- कमजोर नींव होने से बच्चे कक्षा 8-10 तक पहुँचते-पहुँचते ड्रॉपआउट या कम अंक लाने लगते हैं।
🔍 रिपोर्ट में सुझाव और शिक्षा नीति की ज़रूरत
‘परख’ रिपोर्ट में नीति निर्माताओं के लिए सुझाव भी दिए गए हैं:
- प्राथमिक कक्षाओं में गणित की अवधारणाओं को खेल और गतिविधियों के ज़रिये सिखाया जाए।
- शिक्षकों के नियमित प्रशिक्षण और अभिभावकों को शामिल करने की रणनीति बनाई जाए।
- स्मार्ट क्लास, ऑनलाइन अभ्यास, और डिजिटल गणितीय गेम्स को प्रोत्साहन मिले।
🌐 वैश्विक संदर्भ में भारत की स्थिति
OECD द्वारा किए गए अंतरराष्ट्रीय PISA परीक्षण में भी भारत का प्रदर्शन औसत से नीचे रहा है। यह इंगित करता है कि बुनियादी शिक्षा स्तर पर ही सुधार की आवश्यकता है।
गणितीय ज्ञान की यह गिरावट देश की शिक्षा प्रणाली के लिए एक चिंता का विषय है।
- यदि तीसरी कक्षा के बच्चे ही संख्याओं को क्रम में नहीं लिख पा रहे और छठी के विद्यार्थी पहाड़ा नहीं जानते, तो यह संकेत है कि नींव ही कमजोर पड़ रही है।
- यह समय है जब शिक्षा नीति, शिक्षक प्रशिक्षण और पाठ्यक्रम संरचना पर गंभीरता से पुनर्विचार किया जाए।
- साथ ही, स्थानीय प्रशासन, स्कूल प्रबंधन समितियों, और अभिभावकों को मिलकर एक स्थायी समाधान की ओर बढ़ना होगा।
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