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क्लस्टर विद्यालय योजना बिना तैयारी के थोपने का आरोप

क्लस्टर विद्यालय योजना बिना तैयारी के थोपने का आरोप, पर्वतीय क्षेत्रों की व्यावहारिक समस्याओं को लेकर कार्मिकों ने जताई चिंता


उत्तराखंड सरकार द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत लागू की जा रही क्लस्टर विद्यालय योजना पर राज्य के कर्मचारियों और शिक्षक संगठनों ने सवाल उठाए हैं। उत्तराखंड कार्मिक एकता मंच की हालिया ऑनलाइन बैठक में इस योजना को व्यावहारिक कठिनाइयों को नजरअंदाज कर जबरन लागू करने का आरोप लगाया गया। साथ ही, बैठक में गोल्डन कार्ड योजना, त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में ड्यूटी कर रहे कर्मियों की सुरक्षा, और लंबित वेतनमान मामलों पर भी विस्तृत चर्चा हुई।


क्लस्टर विद्यालय योजना को लेकर मुख्य आपत्तियां

कार्मिक एकता मंच के वक्ताओं ने क्लस्टर विद्यालय योजना की अवधारणा को सराहनीय बताते हुए कहा कि यह शिक्षा के केंद्रीकरण और संसाधनों के अधिकतम उपयोग की दिशा में एक अच्छा कदम है।

लेकिन वक्ताओं ने यह भी स्पष्ट किया कि—

  • उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों की भौगोलिक स्थितियाँ अत्यंत विषम हैं।
  • गांवों से क्लस्टर विद्यालयों तक पहुंचना बरसात, बर्फबारी, भूस्खलन के समय लगभग असंभव होता है।
  • परिवहन की कमी और जोखिमपूर्ण मार्ग बच्चों और शिक्षकों दोनों के लिए खतरा है।
  • बिना समुचित तैयारी और अध्ययन के यह योजना जमीनी स्तर पर असफल हो सकती है।

“व्यावहारिक कठिनाइयों का समाधान किए बिना इस योजना को लागू करना, शिक्षा की गुणवत्ता के बजाय उपस्थिति और सुरक्षा पर संकट पैदा कर देगा।”
उत्तराखंड कार्मिक एकता मंच के वक्ताओं का मत


त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में ड्यूटी पर तैनात कर्मियों की सुरक्षा पर चिंता

वक्ताओं ने राज्य में बारिश और आपदा के बीच आयोजित किए जा रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों को कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए खतरा बताया।

  • चुनाव ड्यूटी में लगे शिक्षक, कर्मचारी और अन्य स्टाफ दुर्गम क्षेत्रों में तैनात किए जा रहे हैं
  • बरसात के चलते सड़कें टूट गई हैं, पुल बह गए हैं, जिससे ड्यूटी पर पहुंचना खतरनाक हो गया है।
  • सरकारी स्तर पर कोई सुरक्षा नीति या राहत प्रावधान स्पष्ट नहीं है।

गोल्डन कार्ड योजना पर सवाल

बैठक में गोल्डन कार्ड स्वास्थ्य बीमा योजना पर भी सवाल उठाए गए। वक्ताओं ने कहा कि—

  • जनवरी 2021 से कर्मचारियों और पेंशनर्स के वेतन और पेंशन से नियमित अंशदान लिया जा रहा है।
  • इसके बावजूद स्वास्थ्य सेवाएं संतोषजनक नहीं हैं।
  • निजी अस्पतालों में इलाज की प्रक्रिया जटिल, और सरकारी अस्पतालों में कैशलेस इलाज की व्यवस्था न के बराबर है।

“गोल्डन कार्ड योजना केवल वेतन कटौती तक सीमित रह गई है, सुविधाएं नहीं मिल पा रहीं।”


चयन वेतनमान और प्रोन्नति के लंबित मामले

बैठक में यह मुद्दा भी उठाया गया कि बेसिक से एलटी में समायोजित शिक्षकों को—

  • चयन वेतनमान
  • प्रोन्नत वेतनमान
  • और 2014 सेवा नियमावली में संशोधन

की प्रक्रिया को शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता में त्रिस्तरीय बैठक में सैद्धांतिक सहमति मिल जाने के बावजूद अब तक लंबित रखा गया है।
वक्ताओं ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण और कार्मिकों की उपेक्षा बताया।


बैठक में शामिल प्रमुख पदाधिकारी

बैठक की अध्यक्षता कार्मिक एकता मंच के संस्थापक अध्यक्ष रमेश चंद्र पांडे ने की। बैठक में अन्य पदाधिकारी भी मौजूद रहे, जिनमें शामिल हैं:

  • संयोजक महासचिव: डी.डी. फुलोरिया
  • वरिष्ठ उपाध्यक्ष: धीरेंद्र पाठक
  • सीता राम पोखरियाल
  • मनोज जोशी
  • हरीश गैरोला
  • टी. कुमार
  • नरेंद्र गोस्वामी
  • दिनेश कुमार
  • हरीश डबराल
  • मनोज बाला
  • सुधीर पांडे

नीति बनाते समय जमीनी सच्चाई अनदेखी न हो

उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्य में किसी भी शिक्षा या प्रशासनिक नीति को लागू करने से पहले स्थानीय भूगोल, मौसमी परिस्थितियों, और आधारभूत संरचना को समझना अनिवार्य है।
क्लस्टर विद्यालय योजना या कोई भी केंद्रीकृत नीति तभी सफल हो सकती है जब उसमें स्थानीय परिवेश का सम्मान किया जाए और कर्मचारियों व छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।


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राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) आधिकारिक दस्तावेज – शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार


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