रानीखेत। भारतीय सेना ने पर्वतारोहण के क्षेत्र में एक नया विश्व कीर्तिमान स्थापित कर देश का गौरव बढ़ाया है। सेना के 22 जांबाज पर्वतारोहियों ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट (8848.86 मीटर) को एकसाथ फतह कर नया विश्व रिकॉर्ड बनाया। यह पहला मौका है जब किसी दल ने इतनी बड़ी संख्या में एक साथ एवरेस्ट की चोटी पर तिरंगा और रेजिमेंट का ध्वज फहराया है। इस अभूतपूर्व उपलब्धि के लिए सेना ने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दावा पेश किया है।
‘इंडियन आर्मी सिल्वर जुबली एवरेस्ट एक्सपिडिशन-2025’ के तहत इस अभियान को यादगार बनाने के लिए सेना ने 32 सदस्यीय दल को रवाना किया था। इस दल का नेतृत्व कर्नल मनोज जोशी ने किया। अभियान की शुरुआत 10 अप्रैल को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा साउथ ब्लॉक, दिल्ली से फ्लैग-ऑफ के साथ हुई। दल काठमांडू (नेपाल) होते हुए लुक्ला पहुंचा और 23 अप्रैल को बेस कैंप पर स्थापित हुआ।
कठिन परिस्थितियों और बर्फानी तूफान के बीच दल ने 22 मई को 8500 मीटर की ऊंचाई तक चढ़ाई की, लेकिन मौसम की प्रतिकूलता के कारण कैंप-2 में वापस लौटना पड़ा। दो दिन के इंतजार के बाद 25 मई को पुनः चढ़ाई शुरू की गई और 27 मई की तड़के करीब 4 बजे 22 पर्वतारोहियों ने एकसाथ एवरेस्ट की चोटी पर कदम रखकर इतिहास रच दिया। इस दल में कुमाऊं रेजिमेंट के सात, गढ़वाल और गोरखा रेजिमेंट के चार-चार, लद्दाख रेजिमेंट के पांच, तथा मद्रास और पैराशूट रेजिमेंट के एक-एक जांबाज शामिल थे।
नायब सूबेदार इंदर सिंह की तीसरी बार एवरेस्ट फतह**
16 कुमाऊं रेजिमेंट के अनुभवी पर्वतारोही और सेना मेडल विजेता नायब सूबेदार इंदर सिंह अधिकारी ने तीसरी बार एवरेस्ट की चोटी फतह कर इस विश्व रिकॉर्ड का हिस्सा बनने का गौरव हासिल किया। इससे पहले वे 2012 और 2016 में भी एवरेस्ट पर तिरंगा फहरा चुके हैं। रानीखेत के नैनी मजखाली निवासी इंदर सिंह ने 2009 में माउंट शिवलिंग, 2014 में राजरंभा, 2015 और 2023 में त्रिशुल, 2015 में डियो तिब्बा, 2018 में कामेट और भनोटी, 2019 में मकालू, 2024 में मुकुट, और इसी साल इंदकौल की चोटी फतह की है। उनकी इन उपलब्धियों के लिए उन्हें सेना मेडल से सम्मानित किया जा चुका है।
सेना का गौरवशाली इतिहास
भारतीय सेना का यह पहला एवरेस्ट अभियान नहीं है। वर्ष 2001 में छह जांबाजों के दल ने इस दुरूह चोटी को फतह किया था। इस बार सिल्वर जुबली अभियान के तहत सेना ने न केवल चोटी पर कब्जा जमाया, बल्कि एकसाथ 22 पर्वतारोहियों के साथ नया कीर्तिमान स्थापित कर दुनिया को अपनी ताकत और संकल्प का परिचय दिया।
यह उपलब्धि न केवल भारतीय सेना की वीरता और दृढ़ता का प्रतीक है, बल्कि देश के युवाओं के लिए भी एक प्रेरणा है। सेना ने इस अभियान के साक्ष्यों को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में मान्यता के लिए प्रस्तुत किया है, जिससे यह उपलब्धि वैश्विक स्तर पर अमर हो सके।