देहरादून, 3 जून 2025: उत्तराखंड के देहरादून, हरिद्वार और ऊधम सिंह नगर को छोड़कर शेष जिलों में गैर प्रकाष्ठ वनोपज के विकास और हर्बल व एरोमा टूरिज्म प्रोजेक्ट के तहत 5000 वन पंचायतों को लाभान्वित किया जाएगा। इस महत्वाकांक्षी योजना के अंतर्गत 5000 हेक्टेयर वन पंचायत भूमि के साथ-साथ इतनी ही निजी भूमि पर जड़ी-बूटियों का रोपण किया जाएगा। 628 करोड़ रुपये की लागत वाली यह योजना वर्ष 2033 तक संचालित होगी।
सोमवार को सचिवालय में आयोजित समीक्षा बैठक में मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन को वन विभाग ने इस प्रोजेक्ट की विस्तृत जानकारी दी। मुख्य सचिव ने स्थानीय वन पंचायतों के क्लस्टर लेवल फेडरेशन के समन्वय से जड़ी-बूटी उत्पादन प्रोजेक्ट को मूर्त रूप देने के निर्देश दिए। उन्होंने स्थानीय समुदायों और वन पंचायतों को जड़ी-बूटी रोपण, ईको टूरिज्म और मूल्य संवर्द्धन गतिविधियों के माध्यम से सशक्त बनाने पर जोर दिया।
मुख्य सचिव ने जड़ी-बूटी उत्पादन के जरिए आजीविका सृजन, कौशल विकास, स्थानीय आर्थिकी और बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए। उन्होंने प्रोजेक्ट के तहत चयनित वन पंचायतों में कार्य को तेजी से आगे बढ़ाने का भी आदेश दिया।
बैठक में सचिव वन सी रविशंकर, वन विभाग के प्रमुख डा. धनंजय मोहन, अपर सचिव पर्यटन पूजा गब्र्याल, अपर सचिव वन विनीत कुमार, सीसीएफ इको टूरिज्म पीके पात्रो, सगंध पौधा केंद्र के निदेशक डा. नृपेंद्र चौहान सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
यह योजना न केवल उत्तराखंड की जैव-विविधता को संरक्षित करेगी, बल्कि स्थानीय समुदायों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और पर्यटन को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।



