देहरादून, 1 जून 2025: उत्तराखंड में गुठलीदार फलों (स्टोन फ्रूट्स) जैसे आड़ू, प्लम और खुमानी की खेती को बढ़ावा देने के लिए धाद संस्था और दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र ने संयुक्त रूप से एक विमर्श कार्यक्रम का आयोजन किया। शनिवार को लैंसडौन चौक स्थित पुस्तकालय सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने स्टोन फ्रूट्स की खेती की संभावनाओं और किसानों की आर्थिक समृद्धि पर विस्तृत चर्चा की।
**पारंपरिक बीज और जैविक खेती पर जोर**
बीज बचाओ आंदोलन के प्रणेता विजय जड़धारी ने कहा कि उत्तराखंड की जलवायु स्टोन फ्रूट्स की खेती के लिए आदर्श है। उन्होंने पारंपरिक बीजों के संरक्षण और जैविक खेती को अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया। कृषक संगठन के अध्यक्ष बीरभान सिंह ने बताया कि 1000 से 2000 मीटर की ऊंचाई वाले क्षेत्र इन फलों के उत्पादन के लिए उपयुक्त हैं। उन्होंने कहा कि यदि स्थानीय बाजार विकसित किए जाएं, तो किसानों को बड़े शहरों पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा।
**10 हजार बच्चों को जोड़ने का अभियान**
धाद संस्था के सचिव तन्मय ने “आड़ू, प्लम, खुमानी का महीना” अभियान के तहत समाज, किसानों और बाजार के बीच संवाद स्थापित करने की जरूरत पर जोर दिया। कोर टीम सदस्य पवन बिष्ट ने “बीज लाओ” अभियान की जानकारी दी, जिसका लक्ष्य 10 हजार बच्चों को जागरूक करना और जोड़ना है। धाद के अध्यक्ष लोकेश नवानी ने स्थानीय फलों की ब्रांडिंग पर बल देते हुए कहा कि सरकारी सहयोग से उत्तराखंड फल उत्पादन के क्षेत्र में अग्रणी बन सकता है।
**सीढ़ी पोस्टर का लोकार्पण**
कार्यक्रम में जैविक और प्राकृतिक खेती पर आधारित दिनेश सेमवाल द्वारा तैयार “सीढ़ी पोस्टर” का लोकार्पण भी किया गया। आयोजन का संचालन हिमांशु आहूजा ने किया। कार्यक्रम में बुद्धिजीवी, सामाजिक कार्यकर्ता, किसान और लेखक बड़ी संख्या में शामिल हुए।
यह पहल उत्तराखंड की बागवानी को नई दिशा देने और किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।